लखनऊ में कोडीनयुक्त कफ सिरप तस्करी मामले में फरार चल रहा STF का बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह आखिरकार गिरफ्तार हो गया। STF ने मंगलवार को उसे लखनऊ से दबोच लिया। उसके खिलाफ एक दिन पहले ही लुकआउट नोटिस जारी किया गया था। कफ सिरप मामले में उसका नाम सामने आने के बाद वह फरार हो गया था। बताया जा रहा है कि आलोक की पूर्वांचल के बाहुबली और पूर्व सांसद धनंजय सिंह के साथ कई तस्वीरें भी वायरल हैं।
STF द्वारा पकड़े जाने के बाद आलोक ने पूछताछ में दावा किया कि वह खुद सरेंडर करने जा रहा था और इसके लिए लखनऊ कोर्ट में अर्जी भी दाखिल कर चुका था, लेकिन उससे पहले ही STF ने उसे गिरफ्तार कर लिया। कफ सिरप तस्करी प्रकरण में अब तक कुल तीन गिरफ्तारियां हो चुकी हैं—27 नवंबर को अमित सिंह टाटा, 30 नवंबर को भोला जायसवाल और अब आलोक सिंह की गिरफ्तारी की पुष्टि हुई है।
आलोक का पैतृक घर चंदौली में है, जबकि लखनऊ के नाका स्थित मोतीनगर में उसका दूसरा घर है। उसका नाम पहली बार 2006 में उस समय सामने आया था, जब प्रयागराज के एक कारोबारी से लखनऊ में 4 किलो सोना लूटने के मामले में पांच पुलिसकर्मियों समेत सात लोगों को आरोपी बनाया गया था। आरोपियों में दरोगा संतोष सिंह, बृजनाथ यादव, तत्कालीन क्राइम ब्रांच के सिपाही सुशील पचौरी, आलोक सिंह, संतोष तिवारी, नीरज गुप्ता और सुभाष शामिल थे। पुलिस ने उस समय 3 किलो सोना बरामद करने का दावा किया था।
इस मामले के बाद आलोक सिंह और सुशील पचौरी को पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। हालांकि कोर्ट में मामला जाने के बाद फैसला आलोक सिंह के पक्ष में आया और 27 सितंबर 2022 को उसे सेवा में बहाल कर दिया गया।
इसके बाद भी आलोक का विवादों से नाता बना रहा। नाका क्षेत्र में एक व्यापारी से लूट समेत कई संगीन आरोप उस पर लगे, जिसके बाद उसे लाइन हाजिर कर दिया गया। इसी दौरान उसकी नजदीकियां पूर्व सांसद धनंजय सिंह से बढ़ीं और वह रियल एस्टेट तथा अन्य कारोबार के जरिए प्रभावशाली होता गया।
साल 2019 में पूर्व सांसद धनंजय सिंह और आलोक सिंह पर एक और गंभीर आरोप लगा था—हजरतगंज इलाके में मुख्तार अंसारी के प्रतिनिधियों पर जानलेवा हमला करने का।
STF अब कफ सिरप तस्करी मामले में आलोक की संलिप्तता, नेटवर्क और अन्य आरोपियों के बारे में पूछताछ कर रही है।






