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कान तक पहुंचा काम--बेटी प्रीति सिंह की सफलता से परिवार हुआ गदगद

कृषि मंडी समिति के सचिव रहे नरेन्द्र सिंह की बेटी प्रीति सिंह पारीक की बनी ज़री साड़ी की चमक फ्रांस में फैली

कान तक पहुंचा काम--बेटी प्रीति सिंह की सफलता से परिवार हुआ गदगद
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मुजफ्फरनगर। बच्चों की हर छोटी से छोटी सफलता अभिभावकों के लिए बड़ी खुशी का अवसर प्रदान करती है। ऐसा ही मामला कृषि उत्पादन मंडी समिति मुजफ्फरनगर में सचिव के रूप में कार्यरत रहे रिटायर्ड नरेन्द्र सिंह के परिवार मं भी बना हुआ है। उनकी बेटी प्रीति सिंह पारीक की बनी कोटा ज़री साड़ी की चमक फ्रांस में फैली है। कान्स फिल्म फेस्टिवल में मास्टकार्ड एमीओ राजा राजमन्नार की पत्नी ज्योति ने जब प्रीति सिंह द्वारा तैयार की गई कोटा ज़री साड़ी पहनकर रेड कार्पेट पर चहल कदमी की तो पूरे भारत का मान बढ़ा।

कोटा डोरिया की अंतरराष्ट्रीय ख्याति के बाद कोटा ज़री साड़ी ने भी कोटा का नाम विश्व पटल पर ला दिया है। कोटा की प्रीति सिंह पारीक की बनी ज़री साड़ी की चमक फ्रांस में फैली है। फ्रांस में आयोजित कान्स फिल्म फेस्टिवल में मास्टकार्ड एमीओ राजा राजमन्नार की पत्नी ज्योति ने कोटा ज़री साड़ी पहनकर रेड कार्पेट पर कोटा की ज़री साड़ी की चमक को बढ़ाया है। प्रीति सिंह पारीक ने बताया कि यह प्रथम बार है जब कोटा की ज़री साड़ी को फिल्म फेस्टिवल या अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में पहना गया है। इस बार कान्स फिल्म फेस्टिवल में भारतीय संस्कृति की झलक देखने को मिली। कोटा की पारंपरिक ज़री साड़ी इस फेस्टिवल में आकर्षण का केंद्र बनी। इन साड़ियों की खूबसूरती और उन पर किया गया कारीगारी का कमाल सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। कोटा की ज़री साड़ी अपने आप में एक कला हैं।


इन साड़ियों पर किया गया जरदोजी काम इतना सूक्ष्म और सुंदर है कि देखने वाले को मोहित कर देता है। उन्होने बताया कि इससे पूर्व महारानी राधिका राजे गायकवाड़ व महारानी अम्बिका राजे, बोट के संस्थापक अमन गुप्ता की पत्नी प्रिया गुप्ता सहित कई हस्तियां अपनी शोभा कोटा जरी साडी से बढ़ा चुकी है। प्रीति ने कहा कि कोटा जरजोदी अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिलने से भारतीय वस्त्रों की यात्रा के लिए उपलब्धि मील का पत्थर साबित होगी। हैंडक्राफ्टेड वीमेन लग्जरी क्लोथिंग ब्रांड, सोंचिरैया की स्थापना वर्ष 2017 में की गई थी। वर्ष 2020 में कैथून के विशेषज्ञ शिल्पकारों के मुलाकात के बाद उन्होंने जरदोजी की कला को पुनरु(ार करने के उद्देश्य से प्रोजेक्ट शुरू किया। पारंपरिक बुनाई, शिल्प कौशल और रचनात्मक कला से बनी ज़री साडी कैथून के शिल्पकारों का विशेष हुनर है। जरदोजी की साड़ी को बनाने में 3 माह से भी अधिक का समय लगता है। कैथून के कुशल कारीगर इस कार्य मे सदियों से लगे हुए है। प्रीति ने कहा कि इस फेस्टिवल में कोटा की ज़री साड़ियों ने भारतीय संस्कृति को नई पहचान दी है। इन साड़ियों ने दुनिया को दिखाया कि भारतीय कला और संस्कृति कितनी समृ( और सुंदर है।

ज़री साड़ी एक प्रकार की परंपरागत बुनाई शैली है, जिसमें सोने और चांदी के तारों से डिजाइन बुने जाते हैं। जरदोजी में जरी के धागों से हाथ से डिजाइन बुने जाते हैं। यह एक धीमी और कठिन प्रक्रिया है जिसमें बहुत कौशल और धैर्य की आवश्यकता होती है। जरी कोटा एक शानदार कपड़ा होता है, जो शु( रेशम और सूती धागों को शु( सोने और चांदी के ज़री धागे के साथ मिलाकर बनाया जाता है । जरदोजी साड़ियों में आमतौर पर फूलों, पत्तियों, पेड़ों आदि के प्राकृतिक मोटिफ बुने होते हैं। इनमें जटिल बेलनुमा और जालीदार डिजाइन भी शामिल किए जाते हैं। प्राचीन परंपराओं के प्रति सचेत रहते हुए,बुनकर शु( सोने और चांदी की ज़री का उपयोग करते हैं। इसकी बुनावट बहुत नाजुक होती है। इन साड़ियों की बारीक कढ़ाई और जटिल डिजाइनें उन्हें अनूठा आकर्षण प्रदान करती हैं।

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