मुजफ्फरनगर। जिले के प्रशासनिक गलियारों में एक बार फिर हलचल मच गई है। जिलाधिकारी उमेश मिश्रा ने दो पीसीएस अफसरों के तबादले किए हैं। इनमें सबसे चर्चित नाम पीसीएस अधिकारी निकिता शर्मा का है, जिन्हें अब उप जिलाधिकारी मुख्यालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह नियुक्ति इसलिए भी सुर्खियों में है क्योंकि हाल ही में निकिता शर्मा और प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार के बीच तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी, जिसके चलते उन्हें सदर एसडीएम पद से हटा दिया गया था। वहीं, उप जिलाधिकारी मुख्यालय पद पर कार्यरत राहुल देव भट्ट का तबादला कर उन्हें जानसठ न्यायिक का एसडीएम बनाया गया है।
पीसीएस अफसर निकिता शर्मा पिछले कुछ महीनों से जिले की प्रशासनिक चर्चाओं में बनी हुई थीं। 27 जुलाई को सार्वजनिक हुए एक पत्र ने पूरे मामले को और गर्मा दिया था। प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार ने प्रमुख सचिव को यह पत्र लिखकर निकिता शर्मा पर गंभीर आरोप लगाए थे। मंत्री ने पत्र में कहा था कि उनका व्यवहार न तो जनप्रतिनिधियों के प्रति उचित है, न ही आम जनता के साथ संतुलित। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि शर्मा ने कुछ भू-माफियाओं के साथ मिलकर अवैध प्लॉटिंग को संरक्षण प्रदान किया, जिससे आम नागरिकों में व्यापक असंतोष फैला।
इस पत्र के बाद शासन ने जिलाधिकारी उमेश मिश्रा को जांच के निर्देश दिए थे। जिलाधिकारी ने एडीएम प्रशासन संजय कुमार को जांच अधिकारी नियुक्त किया और एडीएम द्वारा यह जांच की जा रही है। इसी बीच 5 अगस्त को निकिता शर्मा को एसडीएम सदर पद से हटा दिया गया था, उनके स्थान पर प्रवीण द्विवेदी को एसडीएम सदर बना दिया गया, जबकि निकिता को अस्थायी रूप से बिना किसी चार्ज के मुख्यालय अटैच कर दिया गया था। अब जिलाधिकारी ने उनको एसडीएम मुख्यालय बनाया है। एक बार फिर से प्रशासन ने उन्हें मुख्यालय एसडीएम बनाकर सक्रिय भूमिका में ला दिया है, जिससे अटकलों का दौर शुरू हो गया है कि जांच की स्थिति और राजनीतिक दबावों के बीच यह निर्णय किस दिशा में इशारा करता है। हालांकि, जिलाधिकारी उमेश मिश्रा ने तबादलों को सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया बताया है, लेकिन जानकार जिलाधिकारी के इस निर्णय को कैबिनेट मंत्री से टकराव के बाद राजनीतिक और प्रशासनिक संतुलन बनाने की रणनीति के रूप में देख रहे हैं।

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सपा नेता आज़म ख़ान ने कपिल सिब्बल के पॉडकास्ट में जेल बदलने के दौरान एनकाउंटर के डर, जोहर यूनिवर्सिटी विवाद और 94 मुकदमों के दर्दनाक अनुभव साझा किए।





