देवबंद (सहारनपुर)। दशलक्षण पर्व के छठे दिन मंगलवार को नगर के विभिन्न जैन मंदिरों में सुगंध दशमी का पर्व श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर श्री 1008 पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर, सरागवाड़ा में आचार्य श्री 108 अरुण सागर जी महाराज के सानिध्य में तत्वार्थ सूत्र विधान के छठे अध्याय के 27 अर्ध चढ़ाए गए।
सुबह के समय श्रीजी का अभिषेक, शांतिधारा, नित्य नियम पूजा, सोलहकरण पूजा और दशलक्षण पूजा संपन्न हुई। श्रीजी की शांति धारा करने का सौभाग्य इस बार सुबोध जैन परिवार को मिला। दोपहर बाद बाहरा स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में सुगंध दशमी कथा के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
सरागवाड़ा, कानूनगोयान और नेचलगढ़ स्थित मंदिरों में श्रद्धालुओं ने अष्टकर्मों के नाश के लिए हवन कुंड में आहुति अर्पित की।
आचार्य श्री 108 अरुण सागर जी महाराज ने प्रवचन में कहा कि दशलक्षण धर्म का छठा पायदान संयम धर्म है। यह आत्म-नियंत्रण और इंद्रियों पर विजय प्राप्त करने का मार्ग है, जो आंतरिक सुख और मोक्ष की ओर ले जाता है। उन्होंने समझाया कि संयम का अर्थ है पंचेंद्रियों और मन को विषयों से हटाकर आत्मा में स्थिर करना, जिससे जीवों को हानि न पहुँचे और क्रोध, मान, माया व लोभ जैसी कषायों पर विजय मिल सके।
प्रवचन में उन्होंने इंद्रिय निग्रह, प्राणी संयम, कषायों पर विजय, आत्मिक शांति और मुक्ति मार्ग जैसे बिंदुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के दौरान जैन वीर कला मंडल देवबंद द्वारा परंपरा के अनुसार अनंत चतुर्दशी पर जल कलश यात्रा में बने इंद्रों को उपहार देकर सम्मानित किया गया। वहीं, श्री मदनलाल जैन मेमोरियल ट्रस्ट व श्री महिपाल जैन मेमोरियल ट्रस्ट की ओर से हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा में प्रथम स्थान पाने वाले छात्र-छात्राओं को स्मृति चिन्ह और छात्रवृत्ति प्रदान की गई।
इस अवसर पर जैन समाज के अनेक सदस्य जिनमें अनुज जैन, मनोज जैन, विजेंदर जैन, अतुल जैन, अंकित जैन, संजीव जैन, मिलन जैन, सुरेश जैन, विकास जैन, मुकेश जैन, चंदन जैन, शशि जैन, सुमन जैन, एकता जैन, संगीता जैन, सविता जैन व डॉ. लीना गोयल सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।