दूसरे कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों ने टाउनहाल पहंुचकर पहले दिया समर्थन, फिर कराया समझौता
मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् में वेतन विवाद को लेकर चल रही हड़ताल के तीसरे दिन गुरूवार को कर्मचारियों ने संगठनात्मक रूप से शक्ति प्रदर्शन करते हुए दूसरे कर्मचारी संगठनों का समर्थन प्राप्त किया। इस समर्थन के बीच ही इस बेमियादी आंदोलन का तिलिस्म टूटता नजर आया। दूसरे संगठनों से आये नेताओं ने पहले समर्थन दिया और फिर ईओ के साथ वार्ता कराकर हड़ताल को समाप्त करा दिया। इस समझौते में सहमति बनी कि पालिका चेयरमैन के लौटने के बाद कर्मचारियों का रूका वेतन जारी करा दिया जायेगा।
उल्लेखनीय है कि नगरपालिका में करीब दस कर्मचारियों का वेतन रोकने या काटने के विरोध में स्वायत्त शासन कर्मचारी संगठन ने मंगलवार से पालिका में कामबंद हड़ताल कर दी थी, जो गुरूवार को भी जारी रही। इसके लिए 12 सितम्बर को संगठन के अध्यक्ष ब्रजमोहन और महामंत्री सुनील वर्मा ने ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह को वेतन रोकने पर पत्र भेजते हुए वेतन नहीं दिये जाने पर तीन दिन बाद हड़ताल की चेतावनी दी थी। इसके बाद मंगलवार से कामबंद हड़ताल शुरू कर दी गई थी। संगठन का आरोप था कि ईओ ने वार्ता के लिए नहीं बुलाया इसलिए हड़ताल पर जाने के लिए विवश हो गये थे।
गुरूवार को भी टाउनहाल में तीसरे दिन काम बंद हड़ताल करते हुए कर्मचारियों के द्वारा धरना दिया गया। इस बीच राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद् के अध्यक्ष रविन्द्र नागर, राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष राहुल चौधरी, विकास भवन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष राजीव शर्मा, उत्तर प्रदेश मिनिस्टीयल कलेक्ट्रेट के अध्यक्ष अम्मार हैदर, वरिष्ठ कर्मचारी नेता एलबीसी नरेन्द्र कुमार और राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी महासंघ के जिलाध्यक्ष चमनलाल ढिंगान भी धरना स्थल पर पहुंचे और कर्मचारियों के आंदोलन को अपने अपने संगठनों की ओर से समर्थन व्यक्त करते हुए वेतन रोकने की कार्यवाही की निंदा की। वहीं पालिका कर्मियों ने भी आंदोलन को आरपाल के संघर्ष के रूप में चलाने का ऐलान किया।
इस समर्थन से कर्मचारियों में नया जोश पनपा नजर आ रहा था, लेकिन दोपहर बाद अचानक ही माहौल बदला और तुरंत वार्ता और तत्काल समाधान के बाद हड़ताल वापसी का ऐलान कर दिया गया। हुआ यूं कि दूसरे कर्मचारी संगठनों के नेताओं ने धरने पर समर्थन के बाद पालिका कर्मियों की बात सुनी तो पता चला कि वार्ता न होने के कारण ही हड़ताल लंबी खिंच रही है। इसके बाद उन्होंने ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह से उनके कार्यालय में जाकर प्रकरण के निस्तारण का प्रयास शुरू किया और करीब दो बजे स्वायत्त शासन कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष व महामंत्री सहित पालिका कर्मियों के प्रतिनिधिमंडल ईओ के साथ वार्ता के लिए तैयार हुआ। दूसरे संगठनों के कर्मचारी नेताओं की मध्यस्थता में करीब 100 मिनट ईओ डॉ. प्रज्ञा के साथ समझौता वार्ता चली। इसमें दोनों ही ओर से आरोप प्रत्यारोप का दौर भी चला। अंततः चेयरमैन मीनाक्षी स्वरूप के बाहर से आने के बाद यानि 22 सितम्बर के बाद वेतन जारी करा दिये जाने का ईओ ने आश्वासन दिया। इसके लिए उन्होंने संबंधित कर्मचारियों का वेतन बनाने के लिए आदेश पहले ही जारी होने की जानकारी भी संगठन को दी। संगठन के नेताओं ने दूसरे अनावश्यक मुद्दे भी उठाने का प्रयास किया, लेकिन उनको इससे रोक दिया गया।
समझौता वार्ता को लेकर स्वायत्त शासन कर्मचारी संगठन के महामंत्री सुनील वर्मा और मंडल अध्यक्ष मौहम्मद सालिम ने कहा कि ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह से दूसरे संगठनों के नेताओं की मध्यस्थता में सकारात्मक विचार हुआ और कर्मचारियों के हितों को लेकर संगठन के द्वारा उठाये गये बिन्दुओं पर ईओ ने सहमति व्यक्त की, इसके बाद करीब साढ़े तीन बजे हड़ताल समाप्त करने का ऐलान धरने पर कर दिया गया। कर्मचारियों ने अपने दफ्तार खोले और विभागीय कार्य में जुट गये। ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह ने बताया कि वेतन के मुद्दे पर संगठन ने हड़ताल की थी, जिसको जारी करने के आदेश पहले ही दे दिये गये थे। आज कार्यालय में संगठन के पदाधिकारियों के साथ समझौता वार्ता हुई। इसमें बताया गया कि लेखाकार को आदेश दे दिये गये थे, अब चेयरमैन के वापस आने के बाद ही वेतन जारी हो पायेगा। इसी पर सहमति बनी और संगठन ने हड़ताल वापस ले ली है। समझौता वार्ता में मुख्य रूप से एलबीसी नरेन्द्र कुमार, राजीव शर्मा, राहुल चौधरी, रविन्द्र नागर, चमनलाल ढिंगान के साथ पालिका शाखा अध्यक्ष ब्रजमोहन, सुनील वर्मा, मौहम्मद सालिम, मोहन वैद, आकाशदीप, राजीव वर्मा, विकास शर्मा आदि मौजूद रहे।
नोटिस वापसी और ऑडिट वाले प्रकरण में वेतन पर पेंच फंसा
मुजफ्फरनगर नगरपालिका परिषद् में स्वायत्त शासन कर्मचारी महासंघ के द्वारा तीन दिन की हड़ताल के बाद पालिका में मतभेद दूर होकर कामकाज के लिए स्थिति सामान्य हो गई, वेतन भी चेयरमैन के आने के बाद मिल जायेगा, यही बात खुद चेयरमैन 15 सितम्बर को कहकर कर्मचारियों को मौखिक भरोसा दे गई थी, लेकिन अगले ही दिन अचानक हड़ताल ने सभी को हतप्रभ कर दिया। अब कहा जा रहा है कि सहमति बन गई। हड़ताल की दरी भी उठ गई, लेकिन ऑडिट टीम की शिकायत पर वेतन पर लगी रोक और इस हड़ताल के दौरान लेखाकार प्रीति रानी को दिये गये दो नोटिस, जन्म मृत्यु पटल लिपिक राजीव वर्मा और गृहकर काउंटर के लिपिक अभिषेक उटवाल को दिये गये नोटिस को लेकर पेंच फंसकर रह गया है।
संगठन के महामंत्री सुनील वर्मा का कहना है कि नोटिस भी वापस होंगे, लेकिन इसके लिए हवा कुछ और ही चुगली कर रही है। नोटिस एक विधिक प्रक्रिया है, इसके लिए जिनसे जवाब मांगा गया है, उनको जवाब देना ही होगा, यह अलग बात है कि इस जवाब पर अधिकारी क्या निर्णय ले सकता है। यानि अभी कई कर्मचारियों की गर्दन अधिकारी की कलम के रहमो-करम के आधार पर फंसी है। इसमें एक तो खुद ईओ को वित्तीय अनियमितता में फंसाने जैसा गंभीर आरोप है। हालांकि नोटिस जारी होने के बाद लेखाकार ने अपनी गलती पर्दे के पीछे मान ली है और सहानुभूतिपूवर्क विचार का आग्रह किया है, उनका यह माफीनामा अभी विचाराधीन है, अब देखना यह होगा कि ऑडिट प्रकरण में रूका वेतन और नोटिस का मसला भी सुलझ पाता है या नहीं।