पूर्व सभासद प्रदीप कुमार तथा सफाई कर्मचारी संघ के नेता चमन लाल ढिगान ने आरोप लगाया कि नगरपालिका परिषद और प्रशासन संवेदनहीन होकर काम कर रहा है
मुजफ्फरनगर। गुरूवार सुबह नगरपालिका के एक सफाई कर्मचारी की ड्यूटी के दौरान हुई मौत ने शहर का माहौल तनावपूर्ण बना दिया। परिजनों और वाल्मीकि समाज के लोगों ने आरोप लगाया कि संवेदनहीनता और लापरवाही ने एक सफाई कर्मचारी की जान ले ली, जबकि प्रशासनिक अमले या पालिका प्रशासन का कोई भी जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। इसी विरोध में लोगों ने शव को सड़क पर रखकर चौराहा जाम कर दिया और घंटों धरना-प्रदर्शन किया।
नगरपालिका परिषद के सफाई कर्मचारी अशोक की मौत के बाद गुरूवार को जिला अस्पताल और अहिल्याबाई होल्कर चौराहे पर भारी हंगामा और विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। जानकारी के अनुसार, अशोक सुबह लगभग आठ बजे कूड़े के ढेर पर काम कर रहा था, जहां अचानक जहरीली गैस की चपेट में आकर वह मूर्च्छित हो गया। उसके साथी कर्मचारी उसे तुरंत जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मौत की खबर फैलते ही सफाई कर्मचारी संघ, वाल्मीकि समाज के लोग और मृतक के परिजन बड़ी संख्या में अस्पताल पहुंच गए। परिजनों में कोहराम मच गया और लोगों में गहरा रोष दिखाई दिया। भीड़ ने आरोप लगाया कि नगरपालिका और प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के कारण अशोक की जान गई है, लेकिन घटना के बाद एक भी अधिकारी अस्पताल नहीं पहुंचा, न ही किसी ने परिजनों से बात करने की कोशिश की।
इसके विरोध में समाज के लोगों ने अशोक का शव सड़क पर रखकर अहिल्याबाई होल्कर चौराहे को जाम कर दिया। देखते ही देखते चौराहे पर ट्रैफिक पूरी तरह ठप हो गया और लंबा जाम लग गया। प्रदर्शनकारियों में पूर्व सभासद प्रदीप कुमार तथा सफाई कर्मचारी संघ के नेता चमन लाल ढिगान शामिल रहे। उन्होंने आरोप लगाया कि नगरपालिका परिषद और प्रशासन संवेदनहीन होकर काम कर रहा है। नेताओं ने कहा कि अशोक की मौत ड्यूटी के दौरान हुई है, इसलिए उसे शहीद कर्मचारी का दर्जा मिलना चाहिए, परिजनों को उचित मुआवजा, नौकरी तथा सुरक्षा संबंधी इंतजाम सुनिश्चित किए जाएं। जब तक प्रशासन इस मामले में ठोस कदम नहीं उठाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। परिजनों ने साफ कहा कि अशोक का अंतिम संस्कार भी तब तक नहीं होगा, जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलता।
प्रदर्शन के कारण इलाके में अफरा-तफरी का माहौल बना रहा। लोगों ने अधिकारियों के आने की मांग को लेकर नारेबाज़ी भी की। काफी देर तक समझाने के बाद भी भीड़ शांत नहीं हुई और प्रशासनिक हस्तक्षेप की मांग पर अडिग बनी रही। स्थानीय लोगों का कहना है कि सफाई कर्मचारी अक्सर बिना सुरक्षा उपकरणों के काम करते हैं, जिसकी वजह से ऐसी घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं, लेकिन अधिकारी इस दिशा में गंभीर नजर नहीं आते। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि दोषियों पर कार्रवाई और मुआवजे की घोषणा जल्द नहीं की गई, तो आंदोलन को और उग्र रूप दिया जाएगा।






