महाराष्ट्र से मीरापुर-दिल जीत रही सियासत में मुनव्वर इकरा तबस्सुम हसन

कैराना से सपा सांसद इकरा की स्टार प्रचारक के रूप में बढ़ रही मांग, सत्ता के हर वार पर कर रही पलटवार, सीएम योगी के बटोगे तो कटोगे के बयान को बताया सामाजिक बंटवारे की साजिश, कहा-हिन्दुस्तान अनेकता में एकता का देश

Update: 2024-11-12 09:50 GMT

मुजफ्फरनगर। शामली या मुजफ्फरनगर या फिर उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में एक चिरपरिचित अंदाज के कारण खास मुकाम हासिल कर चुकी कैराना लोकसभा सीट से सांसद इकरा मुनव्वर हसन सत्ता के लोगों को उनके हर वार का पलटवार दे रही हैं। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बटोगे तो कटोगे के सनसनीखेज राजनीतिक स्टंट के खिलाफ इकरा हसन का काटने वाले भी वो ही और बांटने वाले भी वो ही, का संदेश जनता के बीच तेजी से चर्चा हासिल कर रहा है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अकेले अपने दम पर अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को संभालने के साथ ही कैराना में भाजपा को मात देते हुए देश की युवा सांसद बनने का रिकॉर्ड हासिल करने वाली इकरा को पार्टी का स्टार प्रचारक बनाया है। सपा के स्टार प्रचारकों में इन दिनों इकरा हसन की सर्वाधिक डिमांड हो रही है। इसका कारण उनका सहज अंदाज, दिल जीत लेने वाली मुस्कान और अपनी सभ्यता व संस्कृति को लेकर उनकी संवेदनशीलता ही रही है, जो किसी भी वर्ग की भीड़ को चंद शब्दों के सहारे ही अपने मोहपाश में बांध लेती है, इन दिनों मीरापुर उप चुनाव में उनके भाषण और सत्ता पर किये गये पलटवार वाले बयान सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं।

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कैराना सांसद इकरा हसन अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी में राजनीतिक विरासत को संभाल रही हैं। उनके दादा अख्तर हसन नगरीय निकाय की राजनीति से उठे और आज वो दादा की इस विरासत को देश की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा तक लेकर गई हैं। उनके पिता मरहूम मुनव्वर हसन देश के चारों सदनों में सबसे कम उम्र में सदस्य निर्वाचित होने वाले नेता रहे। उनका रिकॉर्ड आज भी कायम है। उनके मां दो बार कैराना से सांसद चुनी गई। उनके भाई नाहिद हसन ने कैराना विधानसभा से जीत की हैट्रिक बनाई है। 2022 के चुनाव में इकरा ने ही अपने भाई को जेल में रहते हुए विधायक बनवाने के लिए प्रचार और चुनाव प्रबंधन की पूरी कमान संभाली। इसके बाद वो कैराना लोकसभा से अपने दम पर चुनाव लड़ी और जीती। वो जनता के बीच तेजी से लोकप्रिय हुए और मात्र दो साल में ही उन्होंने अपना एक मजबूत जनाधार बनाया है।


उनकी जनता के बीच बढ़ती इसी लोप्रियता और उनकी मोहित करने वाली भाषणशैली का प्रभाव रहा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनको पार्टी का स्टार प्रचारक बनाया हुआ है। स्टार प्रचारक भी ऐसा, जिसकी हर चुनाव में सर्वाधिक मांग हो रही है। अखिलेश यादव पिछले दिनों महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के प्रचार में व्यस्त रहे तो वो इकरा हसन को भी साथ लेकर गये और इकरा ने वहां पर भी अपने भाषणों से जनता के दिल में विशेष स्थान बनाया है। इसके साथ ही अब उनकी मीरापुर में भी प्रचार के लिए सर्वाधिक मांग रही। डिम्पल यादव का चुनाव रहा हो या अखिलेश यादव का चुनाव, चुनाव प्रचार के लिए इकरा हसन को पार्टी ने हर जगह जिम्मेदारी दी और इकरा ने अपने चिर परिचित भाषण से सभी का दिल जीतने का काम किया है।

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10 और 11 नवम्बर को सांसद इकरा हसन ने मीरापुर उपचुनाव के लिए पूर्व सांसद कादिर राणा की पुत्रवधु सपा प्रत्याशी सुम्बुल राणा के पक्ष में 19 गांवों में ताबड़तोड़ सभा करते हुए लोगों से सपा को वोट देने की अपील की। इस दौरान इकरा हसन का सीएम योगी के बटोगो तो कटोगे के बयान के खिलाफ दिया गया भाईचारे का संदेश लोगों की जुबां पर खूब चढ़ा हुआ है। इकरा ने पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा ने हमेशा ही धर्म के आधार पर सामाजिक भेदभाव और नफरत फैलाने का काम किया है। अब जनता जान चुकी है कि समाज को बांटने वाले और लोगों को काटने वाले वो ही लोग हैं, हम तो मुहब्बत का संदेश लेकर समाज को एकजुट करने के लिए काम कर रहे हैं। 

पीएचडी करने लंदन से इंडिया आई, संकट में विरासत संभाली और विधायक बन गया भाई

मुजफ्फरनगर। आज संसद में सबसे युवा सदस्यों की जमात में शामिल कैराना से सपा सांसद इकरा मुनव्वर हसन का राजनीति में आने का कोई इरादा नहीं था, क्योंकि दादा से शुरू हुई इस परम्परा को उनके पिता मुनव्वर हसन ने बखूबी संभाला और पिता का सड़क हादसे में निधन के बाद उनकी मां तबस्सुम हसन ने इसको आगे बढ़ाया, फिर परिवार ने उनके भाई नाहिद को यह विरासत सौंप दी। वो लंदन में पढ़ रही थी, वहां शिक्षा पूरी हुई तो पीएचडी करने के लिए वो लंदन से इंडिया आ गई, पढ़ाई की तैयारी कर ही रही थी कि उनके परिवार पर एकाएक संकटों की बरसात होने लगी। मां के खिलाफ गैंगस्टर में मुकदमा, भाई पर भी अनेक मुकदमे दर्ज कर गिरफ्तारी के बाद जेल पहुंचा दिया गया। तब इकरा की ओर ही सभी की निगाह टिकी तो इकरा ने पढ़ाई का अपना लक्ष्य छोड़कर परिवार की विरासत को संभाला।

इकरा हसन की राजनीतिक सक्रियता की शुरूआत वैसे तो लंदन से ही हो चुकी थी। इकरा ने 2019 में लंदन में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भाग लिया और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ और इकरा की इस सहभागिता ने जमकर ध्यान खींचा तथा राजनीति में चर्चा भी हुई। अख्तर हसन परिवार से इकरा तीसरी पीढ़ी की राजनीतिज्ञ हैं, जिनका खानदान बहुत शानदार है। उनके दादा अख्तर हसन, पिता चौधरी मुनव्वर हसन और मां तबस्सुम सभी सांसद रहे। उनके भाई नाहिद हसन कैराना से तीसरी बार विधायक हैं। 2021 में इकरा लंदन से स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज से एमएससी की डिग्री लेने के बाद पीएचडी करने के इरादे से भारत लौटीं। उन्होंने कहा कि यही वह समय था जब मेरी मां और भाई को गैंगस्टर के झूठे मामलों में फंसाया गया था। इससे दस दिन पहले ही इकरा लौटी थी। इसके बाद इकरा ने मजबूती के साथ अपने परिवार को संभालने के लिए न केवल कानूनी स्तर पर लड़ाई लड़ी, बल्कि विरासत को बचाने के लिए जनता के बीच भी वो निडर होकर निकली और आगे की पढ़ाई करने की अपनी योजना का त्याग कर दिया। 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नाहिद हसन की गिरफ़्तारी ने इकरा को उनके अभियान का प्रबंधन करने के लिए मजबूर किया, जो एक बहुत बड़ा काम था, यह देखते हुए कि उन्होंने पहले कभी ऐसा नहीं किया था। फिर भी उन्होंने भाई के चुनाव प्रबंधन, प्रचार को संभाला, जबकि उनके सामने भाजपा से पीएम नरेन्द्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ और अमित शाह जैसे बड़े राजनीतिज्ञ प्रचार में उतरे हुए थे। इकरा ने अपने भाई के लिए जनादेश हासिल किया। इसके बाद नाहिद की जेल से रिहाई सुनिश्चित करने के लिए लगभग एक साल तक संघर्ष किया और भाई की राजनीतिक विरासत को भी संभाला। 

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