नगरपालिका परिषद् की 99 लाख रुपये की रिकवरी कटी

सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट न करने पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लगाई थी 99 लाख की पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने तहसील सदर को रिकवरी भेजी, तहसीलदार ने पालिका को जारी कर दी आरसी, मचा हड़कंप

Update: 2024-10-05 10:53 GMT

मुजफ्फरनगर। अभी हाल ही में एनजीटी के द्वारा 68 लाख रुपये के भारी भरकम जुर्माने का सामना करने वाली नगरपालिका परिषद् के समक्ष अब नई मुसीबत आन खड़ी हुई है। सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट नहीं होने के कारण साल 2023 में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अधिरोपित की गई 99 लाख रुपये की पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति की वसूली के लिए पालिका की आरसी जारी कर दी गई है। तहसील सदर से रिकवरी नोटिस पालिका पहंुचने के बाद हड़कम्प मचा हुआ है।

बता दें कि साल 2011 में सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए नगरपालिका परिषद् के द्वारा किदवईनगर में एटूजेड कंपनी के साथ मिलकर प्लांट लगाया गया था। बाद में यहां पर प्लांट बंद हो गया और शहर से निकलने वाले सोलिड वेस्ट को बिना मैनेजमेंट के ही यहां पर डम्प किया जाने लगा। शिकायत होने पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने किदवईनगर प्लांट का टीम बनाकर निरीक्षण कराया गया और इसमें शिकायत को सही पाये जाने के बाद साल 2020 में नगरपालिका परिषद् को पर्यावरणीय क्षति का दोषी पाते हुए 99 लाख रुपये का दंड अधिरोपित करने के साथ ही कारण बताओ नोटिस दिया गया था। पालिका की ओर से उस समय इस नोटिस पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को कोई जवाब नहीं दिया गया था। इसके बाद बोर्ड ने एनजीटी के नियमों का उल्लंघन करने पर अधिरोपित 99 लाख रुपये की पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के रूप में अर्थदण्ड को वसूलने के लिए कार्यवाही प्रारम्भ कर दी थी और

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लखनऊ के मुख्य पर्यावरण अधिकारी वृत्त-3 द्वारा एक सप्ताह में यह राशि जमा कराने के आदेश पालिका प्रशासन को दिये थे, लेकिन यह राशि जमा कराने या इसके खिलाफ अपील को लेकर कोई भी कदम नहीं उठाये जाने पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा 99 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति अर्थदंड के रूप में वसूल किये जाने को लेकर तहसील सदर की ओर से पालिका प्रशासन को आरसी नोटिस जारी कर दिया गया है। तहसीलदार सदर राधेश्याम गौड ने बताया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से आई सूचना के आधार पर नायब तहसीलदार शहर हरेन्द्र कुमार को कार्यवाही के निर्देश दिये गये थे।

शुक्रवार को नायब तहसीलदार शहर ने संग्रह अमीन के साथ पालिका पहुंचकर आरसी नोटिस रिसीव करा दिया है। 15 दिन का समय पालिका प्रशासन को दिया गया है। इसके बाद अग्रिम कार्यवाही की जायेगी। पालिका ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह ने बताया कि प्रकरण मौजूदा बोर्ड गठन से पूर्व का है। आरसी जारी होने की सूचना उनको मिली है। मामले में अभी मुझे पूरी जानकारी नहीं है, सम्बंधित पत्रावली तलब की गई है। जानकारी के बाद इसमे अग्रिम कार्यवाही के लिए कदम उठाया जायेगा। चेयरपर्सन को भी अवगत करा दिया गया है। चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप ने कहा कि आरसी जारी होने की सूचना उनको मिली है, यह मामला बेहद गंभीर है। ऐसे प्रकरणों के निस्तारण में यदि पालिका स्तर से कोई लापरवाही बरती गई है तो सम्बंधित के खिलाफ हम कार्यवाही करेंगे। हम सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट और लीगेसी वेस्ट के निस्तारण के लिए लगातार प्रयासरत हैं। इसमें कानूनी सलाह भी हम लेकर कार्य करेंगे।

495 दिन के लिए पालिका पर लगा है 99 लाख का जुर्माना

मुजफ्फरनगर नगरपालिका परिषद् पर अब 99 लाख की रिकवरी का संकट खड़ा हो गया है। यह जुर्माना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 495 दिन के लिए 20 हजार रुपये प्रतिदिन की दर से पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के रूप में अधिरोपित किया गया है। बता दें कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लखनऊ के मुख्य पर्यावरण अधिकारी वृत्त-3 द्वारा 11 दिसम्बर 2023 को पालिका के अधिशासी अधिकारी के नाम पत्र जारी करते हुए इस सम्बंध में जुर्माना राशि को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के बैंक खाते में जमा कराने के निर्देश दिये थे। दरअसल शिकायत मिलने के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारिक दल ने 31 जुलाई 2018 को किदवईनगर स्थित सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का निरीक्षण किया था। उस दौरान अनेक खामियां पाई गई।

इसके बाद सुधार के निर्देश दिये गये और सुधारात्मक कार्यों का भौतिक सत्यापन करने के लिए बोर्ड की टीम ने पुनः 07 दिसम्बर 2019 को प्लांट का निरीक्षण किया। इसमें टीम को सेग्रीगेटर, सेमी फिनिश मशीन, ब्रिकेट मशीन, श्रेडर मशीन सहित अन्य जरूरी उपकरण संचालित नहीं पाये गये। इसके कारण डम्पिंग साइट पर सोलिड वेस्ट का भण्डारण रॉ के रूप में पाया गया। साथ ही सोलिड वेस्ट प्रोसेसिंग एण्ड डिस्पोजल फैसिलिटी पुर्णतः बंद पाई गई। इसको टीम ने सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट नियम 2016 का उल्लंघन पाया गया और रिपोर्ट लखनऊ मुख्यालय को भेज दी गई थी। जहां से पालिका द्वारा कोई प्रति उत्तर नहीं दिये जाने पर 26 फरवरी 2020 को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लखनऊ द्वारा पालिका पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के लिए 99 लाख रुपये का अर्थदंड अधिरोपित किया था। 

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