दोहरा हत्याकांड-तीन आरोपियों को गेंगस्टर एक्ट में 7-7 साल की सजा

कोर्ट ने लगाया तीस-तीस हजार रूपये जुर्माना, जुर्माना न देने पर अतिरिक्त कारावास

Update: 2023-05-16 13:33 GMT

मुजफ्फरनगर। मौसी और उसके मासूम भांजे के दोहरे हत्याकांड व बलात्कार के केस में बरी होने वाले तीनों आरोपियों को गैंगस्टर का मुकदमा भारी पड़ गया। इसमें उनको कल कोर्ट ने साक्ष्यों के आधार पर दोषी ठहराया था और आज कोर्ट ने सजा सुनाई है।


प्राप्त समाचार के अनुसार 18 वर्षीय युवती के साथ बलात्कार करने के बाद उसकी व उसके छः वर्षीय भांजे की गर्दन काट कर हत्या के अपराध में 36 दिन पहले दोष मुक्त हुए चर्चित प्रकरण में तीनो अभियुक्तों को गेंगेस्टर कोर्ट ने दोष सि( कर सजा सुनाई है। यह घटना थाना चरथावल की हैं, 19 दिसंबर 2017 को लुहारी गाँव निवासी वादी की 18 वर्षीय पुत्री और छः वर्षीय धेवता दिन मे खेत मे गन्ना छिलने गए थे लेकिन खेत पर नहीं पहुँचे और रास्ते से ही गायब हो गए, काफी तलाशने पर भी नहीं मिलें तो घटना के अगले दिन दोनों के शव गाँव मे ही तेजवीर के खेत मे मिलें, दोनों शवों मे बिटिया की गर्दन आधी कटी थी जबकि 6 वर्षीय बच्चे की गर्दन धड़ से अलग थी। वादी पिता ने इस घटना की सूचना पुलिस को दी, पुलिस ने अभियोग पंजीकृत कर विवेचना आरम्भ की, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बिटिया से बलात्कार की पुष्टि हुई, पुलिस ने गहन विवेचना करते हुए गाँव लुहारी के ही तीन अभियुक्तों मुकम्मिल पुत्र शमशाद, जानू उर्फ जान आलम पुत्र यामीन, फद्दड उर्फ शराफत पुत्र लियाकत को जेल भेजा। घटना की विवेचना तत्कालीन सी ओ सदर योगेंदर सिंह ने की और अनुसूचित जाति जनजातिअधिनियम, हत्या, बलात्कार की धाराओं में आरोप पत्र न्यायालय प्रेषित किया।

गिरोह बनाकर इस जघन्य आपराधिक कृत्य पर तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक विंध्याचल तिवारी ने इन तीनो अभियुक्तों के विरु( गेंगस्टर एक्ट में भी चालान किया। इस गेंगेस्टर एक्ट प्रकरण की विवेचना तत्कालीन प्रभारी निरिक्षक थाना छपार ह्रदय नारायण सिंह ने कर तीनो अभियुक्तों के विरु( आरोप पत्र गेंगेस्टर कोर्ट में प्रेषित किया, कोर्ट में आरोप तय होने के बाद विचारण में अभियोजन ने डीएम व एसएसपी के निर्देशन में प्रभावी पैरवी की, एसएसपी संजीव सुमन ने अभियोजन के निवेदन पर समय से सभी गवाह न्यायालय में उपस्थित कराने में अहम भूमिका अदा की। अभियुक्तों ने कोर्ट में दौरान बहस अपने हत्या, बलात्कार के मूल अभियोग अपर सत्र न्यायाधीशध्विशेष न्यायालय एससी एसटी एक्ट कोर्ट संख्या दो से दोष मुक्त होने का हवाला दिया वहीं अभियोजन ने पैरवी में कोई कसर नहीं छोड़ी तथा बहस में उच्चतम न्यायालय की नजीरें प्रस्तुत कर अपना पक्ष रखा।

अंततःपीड़ित को न्याय दिलाने में अभियोजन पक्ष सफल रहा और गेंगेस्टर जज अशोक कुमार ने गिरोह बनाकर अनुसूचित जाति की 18 वर्षीय युवती के साथ बलात्कार करने के बाद 6 वर्षीय बालक सहित दोनों की गर्दन काट कर नृशंश हत्या के अपराध में आज तीनो अभियुक्तों मुकम्मिल, जानू उर्फ जानआलम व फद्दड उर्फ शराफत को दोष सि( कर सजा सुनाई है। तीनो अभियुक्त मूल अभियोग में अपर सत्र न्यायाधीश ध्एस सी एसटी कोर्ट संख्या दो से विगत माह 10 अप्रैल को ही दोष मुक्त हो चुके थे परन्तु गेंगेस्टर के अभियोग में जमानत न होने के कारण जेल में निरुद्ध थे। मामले की पैरवी संदीप सिंह वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी एवं विशेष लोक अभियोजक दिनेश सिंह पुंडीर व राजेश शर्मा ने की। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने तीनों आरोपियों को 7-7 साल की सजा और 30-30 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है।


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