समय से मिल चलें तो गन्ना मूल्य वृ;ि का लाभ किसानों को मिलेगा

योगी सरकार के कार्यकाल में ही 11 मिलों की क्षमता में 20,600 टी.सी.डी. की वृद्धि हुई है। योगी सरकार ने वर्ष 2017 में टैगिंग आदेश के मुताबिक गन्ना मूल्य भुगतान कराने के लिए चीनी मिलों के एस्क्रो एकाउंट खोलने के आदेश दिए थे, जो किसान हित में एक बड़ा कदम था।

Update: 2021-09-27 08:07 GMT

मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश योगी सरकार द्वारा गन्ने का मूल्य 350 रुपये प्रति कुंतल करने व उनके कार्यकाल में गन्ने की मिलों द्वारा अधिक पिराई करने का विश्लेषण करते हुए पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन अशोक बालियान ने कहा कि गन्ने का मूल्य बढाने का लाभ तभी होगा जब चीनी मिल सही समय से चलें।

अशोक बालियान ने कहा कि गन्ना किसानों की हमेशा यह मांग रहती है कि उसके गन्ने का मूल्य बढना चाहिए व उसका भुगतान भी समय से मिलना चाहिए। योगी सरकार के कार्यकाल में तीन पिराई सत्रों में गन्ने का मूल्य नही बढ़ा था,लेकिन वर्तमान पिराई सत्र में योगी सरकार ने गन्ने का मूल्य 325 रुपये से बढ़ाकर 350 रुपये प्रति कुंतल किया है। योगी सरकार के कार्यकाल के तीन पेराई सत्रों एवं वर्तमान पेराई सत्र 2020-21 समेत यूपी में कुल 4,289 लाख टन से अधिक गन्ने की पेराई की गई है। प्रदेश में गन्ने की रिकार्ड खरीद होने से गन्ने का मूल्य न बढने पर भी, किसानों को पिछली सरकार के मूल्य बढ़ाने व् लेकिन कम खरीद होने के कारण उसकी अपेक्षा अधिक धनराशी प्राप्त हुई है।

उन्होंने कहा कि मायावती के कार्यकाल (13 मई 2007 से 7 मार्च 2012) में उत्तर प्रदेश सरकार ने चालू पेराई सीज़न वर्ष 2010-11 के लिए गन्ने का मूल्य 170 रूपये से 40 रूपये बढ़ाकर 210 रूपये प्रति क्विंटल घोषित किया था इसके बाद चालू पेराई सीज़न वर्ष 2011-11 के लिए गन्ने का मूल्य 210 रूपये से 40 रूपये बढ़ाकर 250 रूपये प्रति क्विंटल घोषित किया था। इससे पहले वर्ष 2002 से 2004 तक बसपा सरकार में एक रुपये की वृद्धि नहीं हुई थी। वर्ष 2004 से 2007 तक सत्ता में रही मुलायम सरकार ने तीन साल में गन्ने के मूल्य में महज 18 रुपये की बढ़ोत्तरी की थी। भाजपा की सरकार ने वर्ष 1999 से 2002 के बीच तीन सालों में 10 रुपये की वृद्धि की थी। इस बढ़ोतरी के बाद मुख्यमंत्री मायावती ने अपने कार्यकाल (13 मई 2007 से 7 मार्च 2012) के दौरान राज्य सरकार ने 21 चीनी मिलों की बिक्री की थी और उनपर आरोप लगे थे कि उनकी सरकार ने 10 चालू मिलों सहित 21 मिलों को बाजार दर से कम पर बेचा, जिसके कारण सरकारी खजाने को 1,179 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।

अशोक बालियान ने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने कार्यकाल (15 मार्च 2012 से 19 मार्च 2017) में पेराई सीज़न वर्ष 2012-13 में गन्ना के समर्थन मूल्य में 40 रुपये की बढ़ोतरी कर गन्ना समर्थन मूल्य 275 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया था। उन्होंने पेराई सीज़न वर्ष 2016-17 गन्ना के समर्थन मूल्य में 25 रुपये की बढ़ोतरी कर गन्ना समर्थन मूल्य 300 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया था। त्यनाथ ने अपने कार्यकाल में पेराई सत्र 2017-18 में गन्ने के दाम में 10 रुपये प्रति क्विटंल की बढ़ोतरी की थी। इसके बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने तीन पिराई सत्रों में गन्ने के राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) में कोई बढ़ोतरी नहीं की, लेकिन पहले जहां 18 हजार करोड़ रुपये का गन्ना खरीदा जाता था, अब करीब 36 हजार करोड़ रुपये का गन्ना खरीदा जा रहा है। योगी सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2017-2020 के दौरान साढ़े 4 वर्षों में गन्ना किसानों को 1,37,518 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। बसपा सरकार में गन्नाक किसानों को 52,131 करोड़ रुपए का कुल भुगतान किया गया था, जबकि सपा सरकार के पांच साल में गन्नाक किसानों को 95,215 करोड़ रुपए का कुल भुगतान किया गया था। योगी सरकार ने उत्तरप्रदेश में अखिलेश सरकार के कार्यकाल में गन्ना किसानों के 10659.42 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान भी किसानों को किया था।

उन्होंने बताया कि योगी सरकार के कार्यकाल में पेराई सत्र 2020-21 में करीब 10.27 करोड़ टन पेराई की गई है, जबकि पिछली सरकार के कार्यकाल में पेराई सत्र 2016-17 में चीनी मिलों ने करीब 7.5 करोड़ टन गन्ने की पेराई की थी। अर्थात योगी सरकार के कार्यकाल में पेराई सत्र 2020-21 में 2.77 करोड़ टन गन्ने की पेराई अधिक की गई है। प्रदेश में 45.44 लाख से अधिक गन्ना आपूर्तिकर्ता किसान हैं। गन्ना मंत्री सुरेश राणा का कहना है कि वर्तमान में इस सरकार के कार्यकाल में 119 चीनी मिलें चल रही है जबकि पिछली सरकारों में 2007-2017 तक 21 चीनी मिलें बंद हो गई थी। योगी सरकार के कार्यकाल में ही 11 मिलों की क्षमता में 20,600 टी.सी.डी. की वृद्धि हुई है। योगी सरकार ने वर्ष 2017 में टैगिंग आदेश के मुताबिक गन्ना मूल्य भुगतान कराने के लिए चीनी मिलों के एस्क्रो एकाउंट खोलने के आदेश दिए थे, जो किसान हित में एक बड़ा कदम था। इस खाते में चीनी विक्रय से प्राप्त हुई धनराशि और सीसीएल लेने वाली मिलों की चीनी बंधक बनाकर दी जाने वाली राशि का 85 प्रतिशत पैसा जमा होता है और इस धनराशि का उपयोग गन्ना मूल्य भुगतान के लिए किया जाता है। अब चीनी मिल मालिक किसान के पैसों का अपने लिए प्रयोग नहीं कर सकते है। योगी सरकार के कार्यकाल में गन्ना किसानों को भुगतान और बंद पड़ी मिलों को चालू करवाकर, उनकी क्षमता बढ़ाकर किसान हित का कार्य किया है।

उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश योगी सरकार के कार्यकाल में अधिक गन्ने की पिराई मिलों द्वारा की गई है, जिससे किसानों को अधिक धनराशी प्राप्त हुई है। पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन गन्ने का मूल्य 365 रुपये प्रति कुंतल की माँग की थी। अब संगठन ने मांग की है कि यह सत्र जल्दी चलना चाहिए ताकि किसान का अधिक गन्ना मिलों पर जा सके।

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