शहीद विकास की पत्नी बोली-फोर्स की लापरवाही से गई जान

छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों द्वारा बिछाई गई आईईडी बम की सुरंग को निष्क्रिय करने के दौरान कोबरा बटालियन के डिप्टी कमांडेंट विकास सिंघल की शहादत पर पत्नी पारूल ने सीआरपीएफ पर लगाये कई गंभीर आरोप।

Update: 2020-12-15 10:53 GMT

मुजफ्फरनगर। छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों के द्वारा बिछाई गई बारूदी सुरंग मिलने के बाद वहां पर लगाये गये आईईडी बम को निष्क्रिय करने की कार्यवाही में सीआरपीएफ की कोबरा 208 बटालियन के जांबाज डिप्टी कमांडेंट विकास सिंघल ने गजब का साहस दिखाया। उन्होंने एक बम मिलने के बाद अपने साथी जवानों को वहां से दूर हट जाने के निर्देश दिये और जैसे ही दूसरा बम निष्क्रिय करने के लिए आगे बढ़े तो एक आईईडी बम पर उनका पैर पड़ जाने के कारण ब्लास्ट हो गया और देश ने एक जांबाज जवान खो दिया। विकास सिंघल की पत्नी पारूल ने आज उनके अंतिम संस्कार के दौरान आरोप लगाया कि विकास को त्वरित उपचार दिलाने में फोर्स के अफसरों ने लापरवाही बरती, समय से उपचार मिलता तो विकास की जान बच सकती थी।

बता दें कि शनिवार को सुकमा जिले में आईईडी बम ब्लास्ट में मुजफ्फरनगर जनपद के पचैण्डा कलां निवासी हैड मास्टर रविन्द्र सिंघल के पुत्र और सीआरपीएफ में डिप्टी कमांडेंट विकास कुमार सिंघल शहीद हो गये थे। सोमवार सवेरे उनका पार्थिव शरीर लेकर सीआरपीएफ कोबरा बटालियन के आईजी कमल कांत अन्य अफसरों के साथ गांव पचैण्डा कलां पहुंचे थे।


इस दौरान शहीद जवान विकास सिंघल की पत्नी पारूल ने मीडिया कर्मियों के साथ बात करते हुए आरोप लगाया कि विकास सिंघल को घायल होने के बाद उपचार दिलाने में सीआरपीएफ के अफसरों ने लापरवाही बरती और देर होने के कारण ही विकास की मौत हो गयी। पारूल ने कहा कि वह इस बात को लेकर अपनी नाराजगी और शिकायत सीआरपीएफ के आईजी और डीआईजी के समक्ष भी दर्ज कराकर आयी हैं।


पारूल ने बताया कि 26 नवम्बर को विकास कुमार ड्यूटी पर सुकमा वापस लौटे थे। रोजाना ही फोन पर विकास से उनकी बात होती थी। शनिवार के दिन सवेरे नौ बजे भी पारूल ने विकास से फोन पर बात की थी। पारूल ने बताया कि प्रतिदिन कोबरा बटालियन के जवान क्षेत्र में सर्चिंग के लिए निकलते थे। वह उस समय भी सर्च आॅपरेशन के लिए निकलने की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने लौटकर आने पर बात करने को कहा था।


पारूल ने बताया कि इसके बाद वह नहीं लौटे, सवेरे करीब साढ़े दस बजे आईईडी बम ब्लास्ट में वह शहीद हो गये। पारूल ने कहा कि ब्लास्ट में घायल होने के कारण विकास की नस कट गयी थी। बाॅडी से काफी खून बह रहा था। घटना के बाद विकास को त्वरित उपचार की आवश्यकता थी, लेकिन उनको रायपुर ले जाकर उपचार दिलाने में देरी की गयी। घटना के करीब दो घंटे बाद चोपर विकास को ले जाने के लिए पहुंचा था। तब तक बाॅडी से काफी खून बह चुका था।


जब विकास को रायपुर अस्पताल में भर्ती कराया गया तो उनका हीमोग्लोबिन मात्र 3 ग्राम रह गया था। पारूल के चेहरे पर यह बताते हुए काफी गुस्सा नजर आ रहा था। उन्होंने कहा कि यदि सीआरपीएफ के अफसर इसमें तेजी बरतते तो समय पर उपचार मिलने के कारण विकास की जान बच सकती थी। पारूल ने कहा कि विकास की उसकी जिन्दगी थे, उनके चले जाने के बाद उसका भी जीवन खत्म हो चुका है, लेकिन वह विकास के अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए जीवन को जीयेंगी। अपने बच्चों के लिए विकास ने जो भी सपने देखे थे, मैं उनको पूरा करने का प्रयास करूंगी।

राज्य सरकार और सीआरपीएफ के द्वारा आर्थिक सहायता दिये जाने पर पारूल ने कहा कि पैसा ही जीवन में सब कुछ नहीं होता है, पैसा देने से कुछ नहीं होगा। विकास मेरा जीवन थे, अब जीवन में उनका साथ छूट जाने के बाद मुझे ही सब कुछ सहन करना है। मैंने फोर्स के द्वारा उपचार में बरती गई लापरवाही को लेकर सीआरपीएफ के आईजी और डीआईजी के समक्ष शिकायत दर्ज करायी है। अब देखना है फोर्स की ओर से क्या किया जाता है। सरकारी नौकरी मिलने के सवाल पर पारूल ने कहा कि मैं केवल नौकरी का सम्मानजनक प्रस्ताव ही स्वीकार करूंगी, देखना है सरकार क्या देती है। फोर्स में जाने के सवाल पर पारूल ने दृढ़ता से कहा कि यदि मौका मिलता है तो वह भी अपने पति की भांति सीआरपीएफ में सेवा करना चाहती हैं।

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