उद्यान विभाग की दीवार तोड़कर बुरी फंसी नगरपालिका
मौके पर कम निकली उद्यान विभाग को आवंटित जमीन, अब जमीन दने के साथ ही भुगतना पड़ सकता है टूटी दीवार का मुआवजा। पालिका में मची हलचल, ईओ व कर अधीक्षक के साथ ही 60 अज्ञात पर दर्ज है दीवार तोड़ने का मुकदमा।
मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् के द्वारा अवैध कब्जे के नाम पर तोड़ी गई उद्यान विभाग की दीवार का मामला अब पूरी तरह से साफ होता नजर आ रहा है। पालिका प्रशासन द्वारा बोर्ड मीटिंग में प्रस्ताव पारित होने के बाद ही तुरंत की गयी कार्यवाही अब उनके गले की फांस बन गई है। पहले तो इस मामले मेें ईओ और टीएस सहित पूरे बोर्ड पर मुकदमा झेल रहे पालिका प्रशासन के सामने अब नई मुसीबत ने दस्तक दे दी है। भूमि की पैमाईश की गयी तो पालिका बोर्ड में उठाये गये अवैध कब्जे के आरोप की कलई खुलकर सामने आ गयी। अवैध कब्जा तो दूर उद्यान विभाग के पास उसको 28 साल पहले आवंटित भूमि भी मौके पर पूरी नहीं मिली है। अब पालिका प्रशासन को भूमि देने के साथ ही दीवार गिराने का मुआवजा भी भुगतना पड़ सकता है। इस मामले में पालिका प्रशासन में हलचल मची हुई है और कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
उल्लेखनीय है कि 7 अक्टूबर को नगरपालिका परिषद् मुजफ्फरनगर की बोर्ड मीटिंग में वार्ड 17 के भाजपा सभासद राजीव शर्मा ने पालिका के अधीन कमला नेहरू वाटिका ;कंपनी बागद्ध में उद्यान विभाग द्वारा करीब 46 बीघा भूमि को कब्जाने का आरोप लगाते हुए अपनी भूमि को सुरक्षित करने की मांग की थी। इस मामले में बोर्ड ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया और ईओ विनय कुमार मणि त्रिपाठी ने सभासदों व पालिका के अन्य अधिकारियों के साथ जाकर उद्यान विभाग की दीवार को बिस्मार करा दिया था। 9 अक्टूबर को उद्यान अधिकारी ने ईओ, कर अधीक्षक और 60 अज्ञात लोगों के खिलाफ जबरन विभागीय दीवार तोड़ने का मुकदमा दर्ज करा दिया। इसके बाद से ही पालिका प्रशासन में हलचल है। सभासद सभी एक मामले में एकजुट हैं और पैमाइश की मांग की गयी है। सूत्रों के अनुसार ईओ विनय त्रिपाठी ने भूमि की पैमाइश करा ली है। इसमें उद्यान विभाग को आवंटित भूमि में से भी मौके पर कम मिलने की बात कही जा रही है। करीब एक बीघा भूमि मौके पर कम बताई गयी है। इससे स्पष्ट है कि अब पालिका प्रशासन अपने ही जाल में बुरी तरह से फंसता नजर आ रहा है। ऐसे में यदि भूमि मौके पर कम है तो पालिका प्रशासन को उद्यान विभाग को यह करीब एक बीघा भूमि देनेे के साथ ही दीवार तोड़ने का खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है।
बता दें कि उद्यान विभाग को विभागीय कार्यालय और राजकीय पौधशाला के निर्माण के लिए प्रदेश के राज्यपाल ने भूमि हस्तांतरित करने के आदेश जारी किये थे। इसके लिए 18 अगस्त 1992 को प्रदेश शासन के तत्कालीन अनु सचिव रवीन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर भूमि हस्तांतरित करने की जानकारी दी थी। दरअसल डीएम मुजफ्फरनगर ने 27 जुलाई 1991 को शासन को पत्र लिखकर भूमि हस्तांतरण के लिए आग्रह किया था। अनु सचिव के इस पत्र में स्पष्ट उल्लेख है कि नगरपालिका मुजफ्फरनगर के प्रबंध की कमला नेहरू वाटिका की 9246.69 वर्गमीटर नजूल भूहिम को कार्यालय एवं पौधाशाला की स्थापना के लिए सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग को निःशुल्क हस्तांतरित करने की कार्योत्तर स्वीकृति राज्यपाल ने प्रदान की। इसके तहत करीब 11.50 बीघा भूमि हस्तांतरित की गयी, लेकिन मौके पर पैमाइश करायी गयी तो हस्तांतरित भूमि में से करीब एक बीघा भूमि कम पायी गयी है। इस मामले को लेकर पालिका प्रशासन में हलचल मची हुई है।
एसडीएम की निगरानी में पैमाइश कराने की मांग
मुजफ्फरनगर। उद्यान विभाग को आवंटित भूमि की पैमाइश को लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं। इस मामले में ईओ पैमाइश कराने की बात कह रहे हैं, लेकिन पालिका में अन्य अफसरों एवं संबंधित लिपिक व कर्मचारियों को इसके लिए कोई भी जानकारी नहीं है। पालिका सूत्रों का कहना है कि उद्यान अधिकारी की शिकायत पर डीएम ने एमडीए सचिव को पैमाइश कराने के लिए कहा था, लेकिन एमडीए सचिव महेन्द्र प्रसाद का कहना है कि उनको ऐसा कोई आदेश नहीं मिला और यह प्रकरण उनके संज्ञान में नहीं है। जबकि पालिका में भी भूमि पैमाइश किसने की, इसकी किसी को भनक नहीं है। वहीं इस मामले में आगे रहने वाले सभासदों का भी कहना है कि भूमि की पैमाइश की जो बात कही जा रही है, अभी वह अधिकारिक नहीं है। सभासदों ने उद्यान विभाग को आवंटित भूमि की पैमाइश एसडीएम की देखरेख में कराये जाने की मांग की है। संभवतः 15 अक्टूबर को एसडीएम की निगरानी में यह पैमाइश करायी जा सकती है।
जिस प्रस्ताव पर मुकदमा झेला, वह 7 अक्टूबर की बोर्ड मीटिंग की प्रोसीडिंग में नहीं
मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् की 7 अक्टूबर की बोर्ड मीटिंग में 29 प्रस्ताव वाले एजेंडे पर चर्चा के दौरान भाजपा सभासद राजीव शर्मा ने उद्यान विभाग पर भूमि कब्जाने का मामला उठाया गया था। अन्य सभासद भी इस चर्चा का हिस्सा बने हुए थे। बोर्ड के सचिव होने के नाते ईओ विनय कुमार मणि त्रिपाठी द्वारा बोर्ड कार्यवाही प्रोसीडिंग लिखवाई गई, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि जिस बोर्ड मीटिंग में सर्वसहमति बनने के बाद उद्यान विभाग की दीवार को अवैध कब्जा बताकर तोड़ने में पालिका प्रशासन ने कतई नहीं सोचा, उसी विवादित प्रस्ताव को बोर्ड मीटिंग की कार्यवाही का हिस्सा नहीं बनाया गया है। सूत्रों के अनुसार 7 अक्टूबर की बोर्ड मीटिंग की प्रोसीडिंग जिलाधिकारी के साथ ही मण्डलायुक्त को अनुमोदन के लिए भिजवाई गई है। इसमें एजेंडा के प्रस्ताव संख्या 337 से लेकर 366 तक कुल 29 प्रस्तावों के साथ ही अन्य में 3 प्रस्ताव प्रोसीडिंग का हिस्सा हैं। इनमें अन्य प्रस्तााव में 366 ;1द्ध में पीस लाईब्रेरी के ध्वस्तीकरण के लिए बोर्ड मीटिंग की चर्चा का जिक्र किया गया है। इसमें बताया गया कि सभासद प्रवीण पीटर और हनी पाल आदि ने बोर्ड मीटिंग में पीस लाईब्रेरी के जर्जर भवन को ध्वस्त करने का मुद्दा उठाया, जिस पर पूर्ण बोर्ड की सहमति बनी और पीस लाइब्रेरी को ध्वस्त कर दिया गया है। दो अन्य प्रस्तावों में विभागीय कार्य रखे गये हैं, लेकिन आश्चर्यजनक यह है कि जिस प्रस्ताव पर कार्यवाही के बाद ईओ सहित पूर्ण बोर्ड मुकदमे की कार्यवाही झेल रहा है, वही विवादित प्रस्ताव बोर्ड मीटिंग की प्रोसीडिंग में शामिल नहीं है, यह मामला कई सवाल खड़े कर रहा है। जबकि बोर्ड मीटिंग की पूरी कार्यवाही की वीडियोग्राफी भी करायी गयी है।