Muzaffarnagar.......दो दशक के बाद सपा को मिला मुस्लिम जिलाध्यक्ष

अखिलेश ने जिया चौधरी को सुनकर साफ कर दिया पार्टी में जमीनी कार्यकर्ताओं का वजूद, राष्ट्रीय अध्यक्ष ने तजुुर्बे के बजाये युवा जोश को दी तरजीह, काम के बल पर जिया की ताजपोशी, सपा की युवा टीम में दिवाली-ईद जैसा जश्न, नये जिलाध्यक्ष के भव्य स्वागत की तैयारी

Update: 2023-04-08 13:41 GMT

मुजफ्फरनगर। समाजवादी पार्टी को जनपद मुजफ्फरनगर में करीब नौ माह बाद स्थाई जिलाध्यक्ष मिला है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की अनुमति मिलने के बाद प्रदेशाध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने यूपी के कई जिलों में जिला और महानगर अध्यक्षों का ऐलान किया। इनमें मुजफ्फरनगर जनपद से युवा नेता जिया चौधरी एडवोकेट को जिला संगठन की कमान सौंपते हुए अध्यक्ष बनाया गया है। जिया की जिलाध्यक्ष पद पर ताजपोशी के बाद से पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं में गजब का जोश नजर आ रहा है। उनके नाम का ऐलान होने के साथ ही युवाओं ने अपने अध्यक्ष का कार्यालय पर भव्य स्वागत करने की रूपरेखा पर काम करना शुरू कर दिया है। जिया चौधरी करीब दो दशक से पार्टी में एक समर्पित कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे हैं और तीन बार जिला महासचिव की जिम्मेदारी निभाई। जिया को चुनकर अखिलेश यादव ने साफ कर दिया है कि पार्टी में जमीनी कार्यकर्ताओं का वजूद कमतर नहीं है, काम करने वालों को तरजीह मिलेगी।


डीएवी डिग्री कॉलेज से मास्टर ऑफ लॉ जिया चौधरी छात्र जीवन से ही राजनीतिक तौर पर सक्रिय रहे। उन्होंने सपा में भी युवा कार्यकर्ता के तौर पर पार्टी के हितों और जनता की समस्याओं को लेकर सड़कों पर संघर्ष कर एक समर्पित कार्यकर्ता की छवि पैदा की। यही कारण रहा कि उनके काम, सेवा और समर्पण को देखते हुए पार्टी में उनका रूतबा साल दर साल बढ़ता चला गया और आज अखिलेश यादव ने किसी तजुर्बेकार के बजाये युवा जोश से लबरेज जिया चौधरी को जिले में संगठन की कमान सौंपी है।


बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में गठबंधन को अप्रत्याशित सफलता नहीं मिलने के कारण अखिलेश यादव ने जुलाई 2022 में पार्टी की सभी कार्यकारिणी भंग कर दी थी। करीब नौ माह से कार्यकारिणी में कार्यवाहक जिलाध्यक्ष और महासचिव ही काम कर रहे थे। बीती रात जिया चौधरी के जिलाध्यक्ष बनने की खबर आने के बाद कार्यकर्ताओं में ईद और दिवाली जैसी खुशी का नजारा देखने को मिला। खासकर युवा कार्यकर्ताओं में असीम उत्साह देखने को मिला है, क्योंकि पार्टी ने जिलाध्यक्ष के पद पर जिया चौधरी जैसा ऊर्जावान और युवा कार्यकर्ता चुना है। जिया सपा के गठन के बाद से जिले में दूसरे मुस्लिम जिलाध्यक्ष हैं। करीब 21 साल के बाद सपा ने जिले में किसी मुस्लिम को इस पद पर जिम्मेदारी दी है। जिया से पहले कादिर राणा सपा के जिलाध्यक्ष रहे। उनको साल 2002 में यह पद मिला था। जिया और कादिर के बीच एक संयोग भी जुड़ा है। सपा के दोनों जिलाध्यक्ष गांव सूजडू से हैं और दोनों ही मुस्लिम राजपूत जाति से ताल्लुक रखते हैं। जिया चौधरी के साथ सपा जिलाध्यक्ष की लाइन में कई और नाम भी शामिल रहे, इनमें पूर्व बार संघ अध्यक्ष वसी अंसारी एडवोकेट, पूर्व महानगर अध्यक्ष अलीम सिद्दीकी, अब्दुल्ला राणा और लियाकत अली के नाम मुख्य रूप से चल रहे थे। पार्टी हाईकमान ने पहले ही साफ कर दिया था कि इस बार मुजफ्फरनगर को मुस्लिम जिलाध्यक्ष दिया जायेगा। इसके कारण दूसरे नेताओं ने आवेदन नहीं किया। जिया ने पद मिलने के बाद कहा कि वो सभी को साथ लेकर काम करेंगे और आगामी निकाय व लोकसभा चुनाव में हाईकमान के निर्देश पर प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाने के लिए ही नहीं, बल्कि जिताने के लिए काम किया जायेगा। उन्होंने सभी पार्टी के नेताओं का भी आभार जताया और कार्यकर्ताओं से कमर कसने का इशारा कर दिया है।


दादा चेयरमैन और ताऊ रहे विधायकः जिया चौधरी और राजनीति का ताल्लुक पुराना रहा है, उनके पिता और खुद उन्होंने जिस परिवार में आंख खोली उस परिवार के घर और दहलीज पर राजनीति को दस्तक देते देखा है। उनके दादा चौण् सईदउद्दीन अमरोहा के निवासी रहे। वो राजनीति में सक्रिय थे और तीन बाद अमरोजा जिले की बछराऊ नगर पंचायत से चेयरमैन निर्वाचित रहे। इसके बाद उनके ताऊ चौ. रईसउद्दीन वारसी ने पिता की राजनीतिक विरासत को संभाला और बछराऊ नगरपालिका परिषद् में एक बार चेयरमैन तो वहीं हसनपुर विधानसभा से साल 1967 और 1980 में दो बार विधायक निर्वाचित हुए। जिया के पिता चौ. रफीउद्दीन अमरोहा से यहां सूजडू आकर बस गये थे। जिया वर्तमान में आवास विकास शाकुन्तलम में रह रहे हैं। वो 44 साल की उम्र में सपा के जिलाध्यक्ष बने हैं। इससे पहले उन्होंने राजनीति की शुरूआत डीएवी डिग्री कॉलेज से की। 2004 में वो नामित छात्र संघ अध्यक्ष रहे और इसी साल उन्होंने सपा ज्वाइन कर ली थी। 2005 में छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ा। इसी साल उनको सपा छात्र सभा का जिलाध्यक्ष बनाया गया, 2009 तक इस पद पर काम किया। 2011 में जिला सचिव, 2013 में सपा अल्पसंख्यक सभा जिलाध्यक्ष और 2017 में जिला महासचिव बनाया गया, जिस पर वो आज तक कायम रहे। जिया चौधरी की ताजपोशी से सपा के गठबंधन घटक दल रालोद में भी खुशी नजर आ रही है। रालोद के कई नेताओं ने भी जिया को फोन कर पदीय दायित्व मिलने पर बधाई दी हैं।





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