गठबंधन से बीजेपी व आरएलडी की राह होगी आसान, इस फॉर्मूले से कई विधायकों की खुल सकती है किस्मत

Update: 2024-03-02 06:25 GMT


बागपत। लोकसभा चुनाव को लेकर वेस्ट यूपी में जिस तरह से गठबंधन की राजनीतिक बिसात बिछी है। उससे किसी एक पार्टी की नहीं, बल्कि भाजपा व रालोद दोनों की राह आसान रहेगी। जिससे वेस्ट यूपी के अधिकतर जिलों में जाटों का बिखराव मुश्किल होगा। दोनों के लिए अन्य को जोड़ने पर जोर रहेगा तो सपा, कांग्रेस, बसपा के कोर वोटर में सेंधमारी के लिए जोर आजमाइश की जाएगी।

वेस्ट यूपी की बागपत, कैराना, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बुलंदशहर, गाजियाबाद, बिजनौर, नोएडा, अमरोहा, मुरादाबाद, संभल, पीलीभीत, बरेली, आंवला, बदायुं, मथुरा, फतेहपुर सीकरी, फिरोजाबाद, आगरा, अलीगढ़, हाथरस सीटों पर जाट वोटर हैं। इनमें अधिकतर सीटों की यह स्थिति है कि वहां जाट वोटर चुनाव प्रभावित कर सकता है और जाटों को सबसे ज्यादा रालोद के साथ माना जाता है। लेकिन पिछले दो बार से लोकसभा व विधानसभा चुनावों में काफी सीटों पर जाटों में बिखराव भी देखने को मिला और उससे चुनाव नतीजे भी बदले। मगर अब रालोद व भाजपा के गठबंधन से यह बिखराव होना मुश्किल माना जा रहा है जो दोनों पार्टियों के लिए फायदेमंद रहेगा।

यह जरूर है कि रालोद को पिछले चुनावों में मुस्लिम वोटर मिलता रहा, जिसका भाजपा के साथ गठबंधन होने पर रालोद पर आना मुश्किल रहेगा। मगर इसकी भरपाई करने के लिए रालोद ने अन्य पार्टियों के कोर वोटर में सेंधमारी के लिए जोर आजमाइश शुरू हो गई है। हालांकि इसमें इनको कितनी कामयाबी मिलती है, यह चुनाव में साफ होगा। रालोद के दो विधायकों को प्रदेश में मंत्री बनाया जाना है और इसके लिए रविवार को मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है। जिसके लिए रालोद अध्यक्ष चौधरी जयंत ने जातीय फार्मूला बनाया है और उन विधायकों के नाम तय हो गए हैं, जिनको मंत्री बनवाया जाना है।

रालोद नेताओं के अनुसार राजपाल बालियान, अशरफ अली व प्रदीप गुड्डू में दो की किस्मत खुल सकती है। क्योंकि बिजनौर सीट से किसी गुर्जर को चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है। इसलिए इन तीन नामों को लेकर ज्यादा चर्चा चल रही है जो शनिवार तक साफ हो जाएंगे। रालोद का भाजपा के साथ गठबंधन की औपचारिक घोषणा को लेकर ही छपरौली में पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह की मूर्ति का अनावरण व रैली कार्यक्रम अटका हुआ है। क्योंकि उस रैली में पीएम या भाजपा के किसी बड़े नेता को बुलाने की तैयारी है और गठबंधन की औपचारिक घोषणा के बाद ही उसकी तारीख तय होगी। यह भी माना जा रहा है कि अगर चुनाव की अधिसूचना जल्द जारी हो जाती है तो फिर इसकी जगह बड़ी चुनावी रैली की जाएगी।

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