मंगल साप्ताहिक बंदी का नहीं रहा पूर्ण असर

शहर के मुख्य बाजारों में खुली रही दुकानें, हलवाईयों ने भी उड़ाई पाबंदी की धज्जियां

Update: 2020-09-15 09:31 GMT

मुजफ्फरनगर। वीकेंड लाॅक डाउन खत्म होने के बाद शासन द्वारा की गयी साप्ताहिक बंदी की व्यवस्था भी आज लापरवाही की भेंट चढ़ी नजर आयी। शहर की प्रमुख मार्किट और बाजारों में यूं तो अधिकांश रूप से दुकानों के शटर पर ताले लटके रहे, लेकिन इन बाजारों में अनेक दुकानों खुली रखी गयी, जो व्यवस्था का मुंह चिढ़ाते हुए नजर आ रही थी।


कुल मिलाकर मंगलवार की साप्ताहिक बंदी का पूर्ण असर ही नजर नहीं आया। शहर में हलवाईयों के साथ ही मंडी में भी कुछ दुकानों के खुले रहने पर प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सवाल उठे रहे। अफसर मंगल दिवस में शिकायत सुनने में व्यस्त रहे तो वहीं शहर के बाजारों में दुकानदार साप्ताहिक बंदी को बेअसर करने में जुटे रहे। इसके साथ ही शहर के बाजारों में फलों और सब्जियों के ठेले व ठिये भी बादस्तूर लगे नजर आये। यातायात भी रोजमर्रा की भांति ही सड़कों पर फर्राटा भर रहा था।

बता दें कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार रविवार को 55 घंटे का वीकेंड लाॅक डाउन घोषित किया था। इसके बाद इस व्यवस्था को संशोधित करते हुए प्रदेश सरकार ने वीकेंड लाॅक डाउन के बजाये पूर्व की भांति ही साप्ताहिक बंदी को सख्ती से लागू करने के निर्देश जारी किये थे। शहर में मंगलवार को साप्ताहिक बंदी का दिन तय है तो नई मण्डी क्षेत्र में रविवार को साप्ताहिक बंदी तय है। रविवार को नई मण्डी में दुकानें और बाजार पूरी तरह से खुले रहे थे। आज शहर में भी साप्ताहिक बंदी का मिला जुला असर रहा। यहां पर भगत सिंह रोड, एसडी मार्किट, मोलाहेडी मार्किट, रुड़की रोड, तहसील मार्किट, मेरठ रोड पर वैसे तो अधिकांश दुकानें बन्द थी, लेकिन साप्ताहिक बंदी का पूर्ण असर बाजारों में दिखाई नहीं दिया।


शिव चौक के पास, भगत सिंह रोड और एसडी काॅलेज मार्किट के बाहर कपड़ों की कई दुकानें खुली रही। इसके साथ ही खाने पीने की दुकानों पर भी भीड़ लगी रही। वहीं नावल्टी चैराहे और चन्द्रा सिनेमा के पास हलवाईयों की दुकानें भी खुली रही। साप्ताहिक बंदी के लिए प्रशासनिक या पुलिस के स्तर पर कोई भी सख्ती दिखाई नहीं दी। इसके साथ ही शहर के पान मंडी और दाल मंडी में भी थोक के व्यापारियों ने अपनी कुछ दुकानों को खोला और व्यापार बादस्तूर चलता रहा। गली मौहल्लों से भी छोटे दुकानदार मंडियों में नजर आये। वहीं शहर में यातायात का जोर भी रोजमर्रा की भांति ही नजर आया। 

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