मुजफ्फरनगर में चल रहे 165 मकतबों पर एटीएस की नजर

मदरसों के बाद अब मकतबों में भी फंडिंग और अन्य मामलों पर जांच हुई शुरू, अल्पसंख्यक निदेशक ने मुख्यालय को भेजा पत्र, सहारनपुर मंडल के तीनों जिलों में 473 मकतबों की सूची एटीएस ने सौंपी, अल्पसंख्यक विभाग से मांगा गया सहयोग

Update: 2024-10-28 06:59 GMT

मुजफ्फरनगर। यूपी में अब मदरसों के बाद मकतब यानी छोटे बच्चों को दीनी तालीम देने वाले मदरसे एटीएस की रडार पर हैं। एटीएस गैर मान्यता चलने वाले मकतबों की जांच करने में जुट गई है। वेस्ट यूपी में एटीएस की खास नजर बनी है। इसके लिए मकतबों की सूची बनाकर वेस्ट यूपी के जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को भेजकर जांच में सहयोग मांगा गया है। इसके बाद अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की निदेशक ने सभी जिला मुख्यालयों को पत्र जारी करते हुए एटीएस के अभियान की जानकारी देते हुए अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को जांच में पूरा सहयोग करने के निर्देश दिये हैं। इसमें सहारनपुर मंडल के तीनों जनपदों के 473 मकतबों को जांच की राडार पर रखा गया है। इसमें मुजफ्फरनगर जनपद में चल रहे 165 मकतबों को हो रही फंडिंग की जांच का काम किया जायेगा। इनमें से कुछ मकतब मस्जिदों में भी चलाये जा रहे हैं। इनके जिम्मेदारों से पूछताछ के लिए एटीएस ने पूरा प्लान तैयार करते हुए टेरर फंडिंग पर आधारित सवालों की पूरी फेहरिस्त बनाई है।

यूपी की भाजपा सरकार में मदरसों की निगरानी को लेकर कई बार विवाद की स्थिति बनी। नेपाल सीमा से सटे अवैध मदरसे सरकार की राडार पर रहे। सितम्बर 2023 में कराए गए सत्यापन में 491 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे मिलने के बाद सरकार ने इन मदरसों के संचालन के लिए हो रही फंडिंग और अन्य मामलों की जांच एटीएस को सौंप दी थी। इसके साथ ही यूपी में सभी मदरसों का सत्यापन कराया जाने लगा। सत्यापन में चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि लगभग 30 से 35 सालों से कई मदरसे अवैध रूप से चलते मिले। इन मदरसों को मिलने वाली फंडिंग का ब्यौरा मांगा गया तो आवामी चंदे की बात कहकर संचालकों ने किनारा कस लिया। इसके बाद शासन ने पूरे मामले की जांच एसआईटी को सौंपी थी। रिपोर्ट में मदरसों की फंडिंग की स्थिति स्पष्ट नहीं होने के कारण इनको बंद करने की सिफारिश कर दी गई।

इसके बाद मदरसों के साथ ही अब मकतबों को भी जांच के दायरे में लाकर इनकी जांच का जिम्मा एटीएस को सौंपा गया है। इसके लिए उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की निदेशक जे. रीभा ने 21 अक्टूबर को जिला मुख्यालय को पत्र भेज कर जांच के सम्बंध में जानकारी दी। पत्र में उनके द्वारा बताया गया है कि एटीएस के एडीजी ने पिछले दिनों विभाग को पत्र भेजते हुए प्रदेश में चल रहे मकतबों की जिला वार सूची उपलब्ध कराई है। इसमें बताया गया कि एटीएस शासन के निर्देशानुसार इन मकतबों की जांच करने का कार्य कर रही है। ऐसे में मकतब के संचालन और अब तक उनके पंजीकरण न होने और उनको संचालन के लिए हो रही फंडिंग के स्रोत समेत अन्य बिंदुओं की जांच में एटीएस के पुलिस महानिरीक्षक को सहयोग देने के निर्देश जारी किए गए हैं। इसमें निदेशक ने सभी जिलों के अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को एटीएस जांच दल को पूर्ण सहयोग करने के लिए कहा है। निदेशक का पत्र मिलने के बाद महकमे में हड़कंप मच गया है। सहारनपुर मंडल के तीनों जनपदों में 473 मकतब संचालित होने की सूची एटीएस ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को दी है। इनमें सहारनपुर के 118, शामली 190 और मुजफ्फरनगर के 165 मकतबों की सूची एटीएस लखनऊ ने बनाकर इनकी जांच में सहयोग मांगा है। जनपद मुजफ्फरनगर में एटीएस के जल्द जांच शुरू करने की उम्मीद है। इसमें जिलों में एटीएस टीम के पहुंचने के बाद बारी-बारी से सभी के आय के स्त्रोतों की पड़ताल करने का काम शुरू किया जायेगा। कुछ मिलों में जांच का यह कार्य प्रारम्भ भी कर दिया गया है।

बता दें कि मुजफ्फरनगर समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में संचालित कई मदरसों में फंडिंग आदि को लेकर सवाल उठता रहा है। जांच एजेंसियों के निशाने पर कई मदरसे समय-समय पर आते रहे हैं। लेकिन, यह पहली बार है कि मकतब के फंडिंग की भी जांच एटीएस द्वारा की जा रही है। कई मस्जिदों में भी दीनी तालीम दी जाती है, दीनी तालीम के इन्हीं केंद्रों को मकतब कहा जाता है। इसी को लेकर पहली बार देखने में आया है कि एटीएस को इन दीनी तालीम केंद्रों को लेकर भी इस तरह का इनपुट प्राप्त हुआ है, जिसके बाद सभी मकतबों की जांच का निर्णय लिया है। जिला अल्पसंख्घ्यक कल्याण अधिकारी मैत्री रस्तोगी ने कहा कि प्रदेश भर में मदरसों के लिए की गई फंडिंग और अन्य मामलों में एटीएस की ओर जांच करीब एक साल से चल रही है। अब इसमें मकतब की जांच का भी निर्णय लिया गया है। एटीएस की ओर से जनपद में 165 मकतब की सूची विभाग को मिली है। इसमें एटीएस की टीम द्वारा जांच के लिए सहयोग मांगा गया है। विभागीय स्तर पर उनको जांच के लिए हर संभव मदद और व्यवस्था प्रदान की जायेगी। इसके लिए विभागीय स्तर पर निदेशक के दिशा निर्देश भी प्राप्त हुए हैं। 

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