MUZAFFARNAGAR-पालिका पर जुर्माने को लेकर चेयरपर्सन गंभीर, पत्रावली तलब

सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बंद होने, लीगेसी वेस्ट का निस्तारण न करने, वाटर ट्रीटमेंट न होने और 15 स्थानों पर कूड़ा डलावघर को लेकर एनजीटी ने ठोंका है 68 लाख का जुर्माना

Update: 2024-09-20 11:03 GMT

मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् पर एनजीटी के द्वारा लगाये गये 68 लाख रुपये के जुर्माने की कार्यवाही को लेकर चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप पालिका के अफसरों की कार्यप्रणाली को लेकर बेहद खफा हैं। उन्होंने मामले से जुड़ी पत्रावलियों को तलब करते हुए चेतावनी दी है कि ये कार्यवाही अफसरों की लापरवाही के कारण हुई है, ऐसे में जुर्माना राशि व्यक्तिगत तौर पर उनसे वसूलने से भी वो पीछे नहीं हटेंगी। फिलहाल उनके द्वारा एनजीटी के प्रकरण से सम्बंधित सभी पत्राविलयों को तलब किया गया है, लेकिन आदेश के 24 घंटे बाद भी उनको पत्रावली उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। माना जा रहा है कि मामले में कई पत्रावलियों को गायब कर दिया गया है, जिससे वित्तीय अनियमितता की भी आशंका बनी हुई है। इसमें पालिका के दो विभागों के अफसर और कर्मचारियों की गर्दन फंसी नजर आ रही हैं।

शहर के मौहल्ला किदवईनगर में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए प्लांट लगाया गया था, लेकिन यह प्लांट पालिका अफसरों की धींगामुश्ती के कारण बंद हो गया और प्लांट केवल पालिका का डंपिंग ग्राउंड बनकर रह गया है। कई सालों से यहां पर शहर से निकलने वाला कूड़ा लाकर डम्प करने का ही काम किया जा रहा है, जिस कारण यहां पर कूड़े के बड़े बड़े पहाड़ बनकर रह गये हैं। इस लिगेसी वेस्ट का निस्तारण न होने के कारण शिकायतकर्ता फराह खान के द्वारा विभिन्न बिन्दुओं पर एनजीटी में पालिका के खिलाफ वाद दायर कर दिया गया था। इसमें शहर के मोहल्ला किदवईनगर में स्थित करीब 5.5 लाख मीट्रिक टन लिगेसी वेस्ट का निस्तारण न होने, शहर में 15 स्थानों पर नियमों के खिलाफ कूड़ा डलाव घरों का निर्माण कराये जाने और सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का संचालन नहीं कराये जाने और बिना ट्रीटमेंट ही शहर का ड्रेन काली नदी में छोड़े जाने के आरोप लगाये गये। इस वाद में सुनवाई के चलते एनजीटी ने नगर पालिका ईओ से जवाब मांगा और शिकायत के निस्तारण के लिए कार्य करने के निर्देश भी कई बार दिए गए, लेकिन पालिका के स्वास्थ्य विभाग और जलकल विभाग के अफसर इसको लेकर गंभीर नजर नहीं आये। दिशा निर्देशों का पालन नहीं करने पर इस मामले में एनजीटी ने विगत दिवस जारी किये गये आदेश में नगरपालिका पर 20 हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से करीब 68 लाख रुपए का जुर्माना लगाते हुए जुर्माना राशि 15 दिनों में जमा कराये जाने के आदेश दिए हैं।

इस जुर्माने को लेकर चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप काफी खफा हैं। उन्होंने ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह से भी मामले की पूरी जानकारी ली और प्रकरण से सम्बंधित सभी पत्रावलियों को तलब करने का आदेश दिया, लेकिन अभी तक पत्रावलियों को उपलब्ध नहीं कराया गया है। बताया गया कि शहर के ड्रेनेज के लिए प्रमुख आठ बड़े नालों को एक स्थान पर जोड़कर उनके ड्रेन को एसटीपी के माध्यम से ट्रीटमेंट करने के उपरांत ही काली नदी तक पहुंचाने का कार्य किया जाना था। इसमें प्रशासक के समय जलकल विभाग ने टैण्डर निकाले और वर्क ऑर्डर भी जारी कर दिया गया, लेकिन धरातल पर काम नहीं हुआ। आज भी ये आठ नाले जोड़े नहीं गए और इनका गन्दा व दूषित ड्रेन सीधा काली नदी में जा रहा है। इसमें बड़ी गड़बड़ी की आशंका होने के कारण स्वास्थ्य विभाग और जलकल विभाग के अफसरों के हाथ पांव फूले हुए हैं। जांच के बाद कई पर गाज गिरना भी संभावित है। फिलहाल प्रकरण से जुड़ी पत्रावली जुटाने को हड़कम्प मचा हुआ है।

चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप ने कहा कि प्रकरण में पालिका के स्वास्थ्य विभाग और जलकल विभाग को एनजीटी में जवाब दाखिल करना था। इसमें विभागीय अधिकारियों की लापरवाही की बात सामने आ रही हैं। हमने ईओ से भी रिपोर्ट मांगी है कि जुर्माना क्यों और किसके कारण लगा है, पत्रावलियों को मंगाकर पूरी निष्पक्ष जांच कराई जायेगी। जो भी दोषी साबित होंगे उनके खिलाफ हम गंभीर कार्यवाही करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। इस सम्बंध में ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह का कहना है कि एनजीटी में फरहा खान बनाम पालिका मामले में नगर स्वास्थ्य अधिकारी और जलकल विभाग के अधिकारियों को कार्यवाही करने के साथ ही एनजीटी के दिशा निर्देशों के तहत वाद में पैरवी करने के लिए कहा था, लेकिन इसमें लापरवाही बरती गई। अब करीब 68 लाख रुपये का जुर्माना पालिका पर लगाया गया है। कहा कि हमने प्लांट को चलाने के लिए टेंडर निकाला हुआ है। शीघ्र प्लांट को चालू कराते हुए कूड़े का निस्तारण किया जाएगा।

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