रामपुर तिराहे कांड पर एसआईटी गठित करने की मांग

एक उत्तराखंड टीम ने शहीद स्मारक पर किया प्रदर्शन, सीएम त्रिवेन्द्र सिंह के सामने जाने से अफसरों ने रोका

Update: 2020-10-02 10:16 GMT

मुजफ्फरनगर। साल 1994 में अलग राज्य निर्माण के लिए आंदोलन के दौरान हुए रामपुर तिराहा कांड और अन्य नरसंहार तथा महिलाओं के साथ सामूहिक रेप मामलों की जांच के लिए स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम ;एसआईटीद्ध गठित करने की मांग को लेकर सामाजिक संस्था एक उत्तराखंड टीम द्वज्ञरा शहीद स्मारक पर प्रदर्शन किया गया। यहां सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत के कार्यक्रम के दौरान इन लोगों को प्रदर्शन के लिए अन्दर नहीं जाने दिया गया। पुलिस अफसरों ने इनको शहीद स्मारक के बाहर ही घेरा डालकर रोके रखा। बाद में इन लोगों ने स्मारक पर पहुंचकर प्रदर्शन किया।

इस दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नाम दिये गये ज्ञापन में टीम के अजय भट्ट, दिनेश सिंह बिष्ट, जसपाल भंडारी, शंकर सती आदि लोगों ने कहा कि हम सम्पूर्ण उत्तराखंडी जनमानस की ओर से आपका ध्यान उन सभी घटनाओं के बारे में दिलाना चाहते हैं, जो राज्य आंदोलन के दौरान मुख्य रूप से घटित हुई। इनमें प्रमुखतः 2 अक्टूबर 1994 की उस दर्दनाक घटना भी शामिल है, जिसमें आजाद भारत में अपने पहाड़ी क्षेत्रों के विकास हेतु पृथक राज्य की मांग करने दिल्ली की ओर आ रहे उन मासूम एवं शांतिप्रिय देवभूमि के जनमानस की उस समय उत्तर प्रदेश की मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी सरकार के कार्यकाल में प्रशाशन द्वारा निर्मम हत्याएँ की गयी।

इतना ही नहीं मांग हेतु आ रही हमारी महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार जैसे जघन्य अपराध किया। किन्तु 26 वर्षों बाद भी मासूमों को न्याय न मिल पाने से सम्पूर्ण उत्तराखण्ड राज्य का जनमानस आहत-दुखी और रोष में है और बार - बार यह प्रश्न स्वयं से, समाज से, न्यायालयों से एवं सरकारों से कर रहा है कि क्या भारत के संविधान में गरीबों के लिए न्याय नहीं? उस समय का वो बच्चा आज युवा हो चुका है और बहुत रोष में है कि आखिर 25 वर्षों में भी न्याय नहीं मिल पाया है। संगठन ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मांग करते हुए कहा कि इस घटना की जाँच हेतु जांच आयोग का गठन हो ताकि जो भी दोषी हो उनको जल्द से जल्द अपने कुकर्मों की सजा मिल सके और उन सभी पीड़ित परिवारों को न्याय मिले। 

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