MUZAFFARNAGAR-रतनलाल आज भी नहीं भूले मुस्लिमों की आंखों के वो आंसू
33 साल बाद जब मकान बेचकर शिव मंदिर की मूर्तियों को लेकर हिंदू निकले तो मुस्लिमों ने रो कर किया था विदा
मुजफ्फरनगर। विशु( मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र मौहल्ला लद्दावाला की मंदिर वाली गली में सोमवार को शंख, मंजीरे और घंटे घडियाल के बीच मंत्रोचार हुआ तो लोगों के जहन में तीन दशक पुरानी वो तस्वीर भी ताजा हो गई। लद्दावाला के मुसलमान और रामलीला टिल्ला में रह रहे हिन्दू परिवार अपनी इस गली को लेकर संवेदनशील होकर पुरानी यादों से जुड़ गये। इनमें रतनलाल आज भी लद्दावाला छोड़ने के उस दिन को नहीं भूले जब वहां के मुस्लिमों ने रोते हुए उनको विदा कर वादा किया था कि वो उनके मंदिर को एक अमानत के तौर पर संभालकर रखेंगे और मुस्लिमों ने इस वादे को आज तक निभाया।
वयोवृ( हो चुके रतनलाल सैनी आज भी अपने परिवार के साथ रामलीला टिल्ला पर निवास कर रहे हैं। उनको तलाश करते हुए कुछ मीडिया कर्मी उनके आवास तक पहुंचे तो उन्होंने लद्दावाला के उस शिव मंदिर की पूरी कहानी बयां की, जिसको आज यशवीर महाराज ने जागृत करने का काम किया। रतनलाल की जुबां से एक बार भी लद्दावाला के मुस्लिमों के लिए कोई अपशब्द या बुराई नहीं निकली। उनसे जब पूछा गया कि आपने दंगों में मुस्लिमों के खौफ में पलायन किया था, तो झट से सवाल बीच में ही रोकते हुए रतनलाल ने इंकार करते हुए कहा कि वहां मुस्लिम बस्ती बढ़ जाने के बाद भी वो और परिवार सभी सुरक्षित रहे। अपनी मर्जी से उन्होंने वहां की जमीन और मकान बेचा और रामलीला टिल्ला पर आकर बस गये। रतनलाल बताते हैं कि 1970 के दशक तक भी लद्दावाला पूरी तरह से हिन्दू बाहुल्य था। वहां इक्का दुक्का मकान होने के कारण बस्ती कम थी, खेती की जमीन ज्यादा थी। यहां मंदिर वाली गली में सैनी और खटीक समाज के लोग परिवार सहित रहकर खेती करते थे।
हमने ही गली में 1970 एक छोटा सा शिव मंदिर बनाकर मूर्ति स्थापित करते हुए पूजा अर्चना शुरू की। इसके बाद 1991 में देश में हिन्दू मुस्लिम झगड़े होने लगे। लेकिन लद्दावाला का माहौल नहीं बिगड़ा। यहां हिन्दू और मुसलमान सभी मिल जुलकर रहते रहे। उस दौर में हमारा मुस्लिमों के साथ पूरा प्यार और सहयोग था। हमें मुस्लिमों के बीच कोई भय का आभास नहीं हुआ। कभी कोई झगड़ा भी हुआ तो सभी ने आपस में मिलकर ही सुलझा लिया। कभी धर्म के आधार पर हम लोगों के बीच कोई नफरत जैसी चीज नहीं पनपी। समय बीतता गया तो वहां पर हिन्दू परिवारों की संख्या कम होने लगी। पूरी तरह से मुस्लिम बस्ती बस चुकी थी, लेकिन इसके बाद भी हम और हमारा परिवार इनके बीच पूरी तरह से सुरक्षित थे। हम अपने मर्जी से वहां से मकान और जमीनों को बेचकर रामलीला टिल्ला की ओर आकर बस गये। जब लद्दावाला को छोड़ा तो उस शिव मंदिर में स्थापित मूर्तियों को भी अपने साथ लेकर आ गये और यहां बने मंदिर में उनको स्थापित कराया। वहां से हमकों किसी दंगे के कारण नहीं निकलना पड़ा। जो लोग ऐसा कह रहे हैं, वो समाज में झूठ परोस रहे हैं। दंगा होने पर मुस्लिम परिवारों ने ही हमारी सुरक्षा की और हर तरह से सहयोग दिया। जब हम वहां से आने लगे तो मुस्लिमों ने आंखों में आंसुओं के साथ विदा किया, हमें रोकने का पूरा प्रयास किया गया। वहां से आने के बाद भी हम लोगों वहां के मुस्लिम परिवारों से जुड़े हुए हैं। आना जाना भी बहुत वर्षों तक रहा। वो आज भी वहां पर जाना चाहते थे, लेकिन बीमारी के कारण वो नहीं जा पाये। रतनलाल सैनी ने बताया कि उस दौर में इस मंदिर वाली गली में उनके परिवार के साथ ही शमशेर खटीक, रामकिशन सैनी, देशो खटीक, कालीचरण सैनी, महावीर खटीक, सुनील खटीक, काला के परिवार रहते थे। सभी रामलीला टिल्ला आकर बस गये थे।
हमने मुस्लिमों के साथ एक थाली में खाना खाया, आज भी प्यार कायमः सुधीर खटीक
मुजफ्फरनगर। भाजपा नेता सुधीर खटीक भी सोमवार को स्वामी यशवीर महाराज के साथ लद्दावाला शिव मंदिर कार्यक्रम में शामिल रहे। उन्होंने मीडिया के साथ बातचीत में बताया कि इस मंदिर में वर्ष 1970 से 1991 के अंत तक पूजा अर्चना का दौर कायम रखा, लेकिन इसके बाद यहां पर रहने वाले हिंदू परिवार के लोग अपने मकान और जमीनों को बेचकर रामलीला टिल्ला पर जाकर बस गये। यहां से इन परिवारों के जाने का कारण कोई भय भरा माहौल नहीं रहा। वो खुद यहां पर मुस्लिमों के बीच ही पले और बढ़े हैं, एक ही थाली में इनके साथ खाना पीना रहा है। आज तक कोई परेशानी नहीं हुई और यह प्यार आज भी कायम है। उस दौर में इस पूरी गली में हिंदू परिवार थे और आज सभी मुस्लिम हैं और यही लोग इस मंदिर की देखरेख करते रहे हैं, जो यहां का भाईचारा साबित करता है। मुस्लिमों ने जिस प्रकार से स्वामी यशवीर और अन्य हिंदू लोगों का यहां मंदिर आने पर स्वागत किया, वो सराहनीय है और सभी को इसकी प्रशंसा करनी चाहिए।
पांच थानों की पुलिस लेकर आये सीओ सिटी बोले-मुस्लिमों ने दिल जीत लिया
मुजफ्फरनगर। स्वामी यशवीर महाराज द्वारा मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र लद्दावाला में 54 साल पुराने शिव मंदिर में पूजा अर्चना का ऐलान कर पुलिस प्रशासन की नींद हराम कर दी थी, लेकिन मुस्लिमों ने जो भाईचारा पेश किया, उसने अफसरों को भी बाग-बाग कर दिया। सोमवार की सुबह लद्दावाला की पूरी नाकाबंदी की गई थी। यहां पर सुरक्षा बंदोबस्त के लिए सीओ स्टिी व्योम बिंदल के नेतृत्व में शहर कोतवाली और खालापार सहित पांच थानों का पुलिस बल लगाया गया था। आवाजाही पर पाबंदी थी तो छतों पर भी पुलिस फोर्स के जवान तैनात कर निगरानी की जा रही थी।
सवेरे कोतवाली अक्षय शर्मा ने ड्रोन उड़ाकर छतों की स्थिति को परखा। तो दंगा नियंत्रण उपकरणों के साथ फोर्स के जवान मंदिर वाली गली में मुस्तैद नजर आये, लेकिन यहां पहुंचे स्वामी यशवीर महाराज पर जब मुस्लिमों ने 30 किलोग्राम गुलाब और 20 किलोग्राम गैंदे के फूलों की बारिश की तो तनावग्रस्त यह माहौल भाईचारे और मुहब्बत की मिसाल बनता दिखाई दिया। दो घंटे के कार्यक्रम के बाद जब यशवीर महाराज ने मुस्लमानों को थैंक यू कहकर विदाई ली तो पुलिस और प्रशासन के अफसर भी खुश नजर आये, क्योंकि सारा मामला मुस्लिमों की मुहब्बत और सहयोग के कारण शांति से निपट गया। इस बीच आला अधिकारी यहां तैनात अफसरों से फोन पर ही पल-पल की अपडेट लेते रहे। सीओ सिटी व्योम बिंदल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यहां पर सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किये गये थे, लेकिन स्थानीय नागरिकों ने सराहनीय स्तर पर जो सहयोग दिया, वो पूरी तरह से प्रशंसनीय है।