लद्दावाला के मुसलमानों ने पूरी दुनिया को दिया भाईचारे का संदेश

छतों पर पत्थर तलाशने के लिए उड़े पुलिस के ड्रोन को मुस्लिमों के हाथों में मिली गुलाब की पंखुडियां, यशवीर बोले-थैंक यू

Update: 2024-12-23 11:18 GMT

मुजफ्फरनगर। लद्दावाला से हिन्दूओं के चले जाने के बाद उनकी निशानी के तौर पर मंदिर वाली गली में पिछले 54 साल से मुस्लिमों ने मूर्ति विहीन शिव मंदिर को पूरे भाव और सम्मान के साथ जस का तस रखने का पूरा प्रयास किया। यही कारण है कि आज हिन्दू समाज के लोग सीना ठौंक कर यह कह सकते हैं कि उन्होंने मुस्लिमों के बीच महादेव के मंदिर को ढूंढ लिया है, क्योंकि इस मंदिर की तस्वीर को मुसलमानों ने मिटने नहीं दिया और समाज के साथ ही आज पूरी दुनिया में मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र लद्दावाला से यह संदेश पहुंचाने का काम किया कि उनका मजहब ए इस्लाम मौहब्बत का पक्षधर है। लद्दावाला की इस मंदिर वाली गली में मुस्लिमों का भाईचारा देखकर यशवीर महाराज भी मीडिया के सामने इस समाज को थैंक-यू कहने को विवश हो गये तो अफसरों ने भी मुसलमानों की जमकर प्रशंसा की, यही नहीं पुलिस अफसरों ने जिन मुस्लिमों के घरों की छतों पर पत्थर तलाशने के लिए ड्रोन को आकाश में उड़ाया, उसके कैमरे ने भी भाईचारा देखा और मुस्लिमों के हाथों में अपने हिन्दू भाइयों के स्वागत के लिए गुलाब की पंखुड़ियों को देखकर शर्मिन्दा ड्रोन भी आकश से धरातल पर आ उतरा।

कुछ दिनों पहले एक खबर आई कि लद्दावाला में 54 साल पुराना शिव मंदिर मिला है। पुलिस ने जांच पड़ताल की तो पता चला कि यह मंदिर मिला नहीं, यहां पर मुस्लिम आबादी होने के बावजूद भी यह मुस्लिमों के द्वारा संरक्षण मिलने के कारण 54 साल से सुरक्षित है, लेकिन मूर्ति विहीन है। 1970 में जब यहां पर हिन्दू बाहुल्यता थी, तो इस मंदिर को खटीक और सैनी समाज के परिवारों ने पूजा अर्चना के लिए यह छोटा सा मंदिर गली के अंतिम छोर पर बनाया था, जो आज भी कायम है। मुस्लिम परिवार ही इस मंदिर की देखरेख रंगाई और पुताई का काम करते रहे हैं। सभासद नदीम खान ने गली के लोगों के साथ मिलकर 2018 में इस मंदिर की रंगाई पुताई कराई और इससे पहले साल 2001 से 2010 तक एक मुस्लिम परिवार की महिला इसकी देखरेख करती रही। वो नियमित रूप से मंदिर की धुलाई और सफाई करती थी। न जाने कितनी बार यह मंदिर खबरों की सुखियों में रहा। इस बार इस मंदिर को जागृत करने के लिए यशवीर महाराज उठ खड़े हुए। आशंका थी कि मुस्लिम उनकी घोषणा का विरोध करेंगे, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। यशवीर महाराज ने ऐलान किया तो मुस्लिमों ने अपने इस हिन्दू साधू भाई को गले लगाने के लिए बाहें फैलाकर घर के दरवाजे भी खोल दिये। मुस्लिमों की इस मुहब्बत ने हर किसी को कायल कर दिया, यहां तक मुस्लिमों के खिलाफ हमेशा ही अपने बयानों से चर्चाओं में रहने वाले स्वामी यशवीर महाराज भी मुसलमानों के घरों से बरसते फूलों से आती भाईचारे की खुशबू में बह गये और उन्होंने मुसलमानों के लिए शायद पहली बार थैंक यू ;धन्यवादद्ध कहकर आभार जताया।

लद्दावाला के मुस्लिमों का मन टटोलने के लिए पुलिस और प्रशासन के अफसरों के साथ मीडिया ने भी कई प्रयास किये, लेकिन उनके दिलों में अपने हिंदू भाईयों के लिए छिपी मुहब्बत ही जुबां के जरिये बाहर आती देखकर वो भी प्रशंसा करने से पीछे नहीं रह पाये। मंदिर वाली गली में रहने वाले मेहरबान मलिक, उस्मान अंसारी, पप्पू भाई, शकील भाई, मशकूर अंसारी आदि ने शिव मंदिर में हवन को लेकर एक ही बात की, साहब हमें खुशी है कि 30-35 साल बाद हिन्दू अपने इस मंदिर की सुध लेने के लिए पहुंचे हैं, वरना हमें ही इसकी देखभाल करनी पड़ रही थी। शकील अहमद ने कहा कि मंदिर खुलने से हम खुश हैं और वादा करते हैं कि यहां पूजा करने आने वाले प्रत्येक हिंदू को पूरा सम्मान और सुरक्षा देंगे, हमारे घर उनके लिए खुले हैं। सलीम अंसारी ने कहा कि यशवीर महाराज जैसे साधू के हाथों इस जर्जर मंदिर के आबाद होने की हमें दिल से खुशी है।

यहां पर हिन्दू समाज की लद्दावाला में वापसी को हम पूर्ण सहयोग करेंगे। सपा नेता एवं सभासद शौकत अंसारी ने कहा कि मुस्लिम समाज के लोग हमेशा ही इस मंदिर के खुलने का समर्थन करते रहे हैं। यहां आज तक कोई हिंदू इस मंदिर को देखने नहीं आया। इसका स्वरूप मुस्लिमों के कारण ही बचा हुआ है। बताया कि यह मंदिर वाली गली दो वार्डों का विभाजन करती है। एक साइड उनके वार्ड 48 में है तो दूसरी साइड वार्ड 20 में हैं, जहां से भाजपा नेता हनी पाल सभासद हैं। सभासद नदीम खान ने कहा कि 2018 में उन्होंने इस मंदिर का जीर्णो(ार किया। मरम्मत कराई और रंगाई कराने के साथ इसकी सफाई का प्रबंध कराया था, क्योंकि पहले यह गली उनके वार्ड में ही आती थी। सभासद होने के नाते हुए उन्होंने इस मंदिर को पूरा संरक्षण दिया और इसको अपने हिंदू भाइयों की अमानत के तौर पर संभालने का प्रयास किया, जिसमें गली के लोगों ने पूरा सहयोग किया। आज इस अमानत को मुस्लिमों ने तीन दशक के बाद हिंदू भाइयों को सौंपकर अपने नबी के अमानत की रखवाली के अमल को जिंदा किया।

हिन्दू समाज में यशवीर महाराज का विरोध, मुस्लिमों ने गले लगाया

मुजफ्फरनगर। लद्दावाला के मुसलमानों ने हर किसी का दिल जीत लिया। जिस हिन्दू समाज में ही स्वामी यशवीर महाराज का विरोध शुरू हो चुका है, उन स्वामी को मुस्लिमों ने गले लगाकर यह संदेश दिया कि इस्लाम इंसानियत सिखाता है और मुहब्बत को बांटने का काम करता है। बता दें कि रविवार को ही गांव पुरबालियान में भाकियू नेता पहलवान नीरज बालियान के नेतृत्व में स्वामी यशवीर महाराज के खिलाफ पंचायत हुई, इसमें हिन्दू समाज के लोगों ने बड़ी संख्या में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए स्वामी यशवीर महाराज पर समाज में नफरत पैदा करते हुए सामाजिक व्यवस्था को छिन्न-भिन्न करने के आरोप लगाये और नफरत का पुतला दहन किया था। इसके अगले ही दिन मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र लद्दावाला में स्वामी यशवीर महाराज का उन मुस्लिमों ने बाहें फैलाकर और दिल खोलकर स्वागत करने का काम किया, जिनके नाम पर वो होटल या दुकान यहां तक कि फल का एक ठेला भी बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं। स्वामी यशवीर महाराज की भगवा झोली में गुलाब और गैंदे के फूलों की बारिश कर मुस्लिमों ने पूरे देश और दुनिया को हकीकत में यह समझाने का काम किया है कि आखिरकार मुजफ्फरनगर नाम के इस जनपद को मुहब्बतनगर क्यों कहा जाता है। 

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