निलम्बित ईओ अमित सिंह प्रकरण-जिन्न फिर बोतल से बाहर
डेढ़ साल पुराने मुकदमे में कार्यवाही हुई तेज, पालिका में पड़ताल को पहुंचे आईओ, तत्कालीन डीएम अजय शंकर पाण्डेय ने दर्ज करवाया था ईओ अमित पर मुकदमा।
मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् में ईओ के पद पर रहते हुए वरिष्ठ अफसरों के निर्देशों की अवहेलना और फोन तक भी नहीं उठाने के आरोप में विधिक कार्यवाही के साथ ही निलम्बन झेल रहे अमित कुमार सिंह का प्रकरण का जिन्न आज करीब डेढ़ साल के बाद फिर से बोतल से बाहर आया है। उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे में आज विवेचना अधिकारी दरोगा ने सवेरे नगरपालिका परिषद् पहुंचकर उनसे जुड़े दस्तावेज मांगे और उनका वर्तमान पता जानने का प्रयास भी किया ताकि उनसे सम्पर्क कर इस मामले में उनके बयान दर्ज करने के साथ ही आगे की कार्यवाही की जा सके।
ज्ञात रहे कि शासन ने 15 जनवरी 2019 को कुशीनगर जनपद की पडरौना नगरपालिका परिषद् से ईओ अमित कुमार सिंह का तबादला कर उनको मुजफ्फरनगर नगरपालिका परिषद् में तैनात किया था। अमित सिंह ने यहां आकर चार्ज भी संभाल लिया था। उस दौरान जिले के डीएम डीएम अजय शंकर पांडेय द्वारा शहर में सफाई व्यवस्था सुचारू करने का प्रयास करने में जुटे हुए थे और उनके द्वारा लगातार नगरीय निकायों के अधिकारियों के साथ इसके लिए समीक्षा बैठक की जा रही थी। उन्होंने शहरी सफाई व्यवस्था के लिए रात के समय शहर में झाड़ू का प्लान तैयार किया था। इस पर प्राथमिकता होने के बावजूद भी नगरपालिका परिषद् मुजफ्फरनगर के अधिशासी अधिकारी कोई गंभीरता नहीं दिखा रहे थे। जब समीक्षा बैठक में डीएम अजय शंकर को यह जानकारी मिली कि 12 अपै्रल 2019 से ईओ अमित कुमार सिंह नगर पालिकाध्यक्ष या सक्षम अधिकारी से अवकाश स्वीकृत कराए बिना ही ड्यूटी से नदारद चल रहे हैं। काल करने पर उनका फोन भी नहीं उठ रहा, तो डीएम के सख्त रुख अपनाए जाने के बाद डिप्टी कलेक्टर व प्रभारी अधिकारी नगरीय निकाय अजय कुमार अम्बष्ट ने शहर कोतवाली में ईओ के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया था। इसमें आशंका जताई गई थी कि ऐसे में उन जैसे अधिकारी के साथ किसी अनहोनी की स्थिति की प्रबल संभावना हो सकती है, अथवा उनके द्वारा जान-बूझकर दायित्व निर्वहन की अवहेलना की जा रही है। डिप्टी कलेक्टर ने अपनी तहरीर में शहर में गंदगी के कारण संक्रामक रोग फैलने की संभावना बताते हुए शांति व्यवस्था भंग होने की आशंका जताई थी और इसके लिए ईटो अमित सिंह को जिम्मेदार ठहराया था। इसमें शहर कोतवाली पुलिस द्वारा ईओ अमित सिंह के खिलाफ आईपीसी की सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया था। तभी से मुकदमा लम्बित चल रहा है। इसमेें ईओ के बयान तक भी दर्ज नहीं हो पाये हैं। उनका बयान दर्ज कराना पुलिस के लिए टेढी खीर साबित हो रहा है।
ईओ लंबे समय से छुट्टी पर चल रहे थे। उनके स्थान पर नगर पालिका का चार्ज ईओ ओम गिरि को दिया गया था। मुकदमा दर्ज कराने के साथ ही डीएम अजय शंकर पाण्डेय ने शासकीय दायित्वों के प्रति लापरवाही बरतने, उच्चाधिकारियों के आदेशों की अवहेलना करने, शासन की प्राथमिकता के स्वच्छता संबंधी कार्यों में लापरवाही बरतने आदि के मामले में शासन को भेजी रिपोर्ट में ईओ अमित कुमार को निलम्बित करने की संस्तुति की थी। इस पर शासन ने 30 मई 2019 को उन्हें निलम्बित करते हुए निदेशक नगर निकाय लखनऊ कार्यालय से संब( कर दिया था। यह मामला अभी तक भी लम्बित चल रहा है। इसमें आज बुधवार को कोतवाली में डिप्टी कलेक्टर द्वारा दर्ज मुकदमें की कार्रवाई के लिए विवेचना अधिकारी उप निरीक्षक राजेन्द्र वशिष्ठ सवेरे टाउन हाल पहुंचे और अमित सिंह के बारे में पूछताछ की। उन्होंने इस मामले में अन्य जानकारी जुटाई तथा कुछ दस्तावेज भी प्राप्त किये। इस मामले में पुलिस अभी तक भी निलम्बित ईओ अमित सिंह का बयान दर्ज नहीं करा पायी है, जबकि मुकदजा दर्ज हुए करीब डेढ़ साल का समय पूरा हो रहा है।
सूत्रों के अनुसार अपने निलम्बन के खिलाफ ईओ अमित सिंह ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सिविल मिस रिट पिटीशन संख्या 1426/2020 अमित सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राजय व अन्य दायर की। इसमें हाईकोर्ट बेंच ने 11 फरवरी 2020 में अपना फैसला सुनाया और उत्तर प्रदेश शासन को निलम्बन अवधि में अमित सिंह को जीवन निर्वाह भत्ता तत्काल जारी करने, इस प्रकरण का अधिकतम तीन माह में निस्तारण कराने के आदेश दिये थे। कोर्ट के इस आदेश पर प्रदेश शासन के विशेष सचिव संज कुमार सिंह यादव ने 13 फरवरी 2020 को जारी अपने पत्र में अपर आयुक्त ;प्रशासनद्ध सहारनपुर मण्डल को इस मामले कोर्ट के आदेशानुसार कार्यवही कराने के निर्देश दिये थे, लेकिन इस पत्र के सात माह बीत जाने के बाद भी अमित सिंह के प्रकरण में कोर्ट के आदेशों का कोई पालन नहीं किया जा सका है। जबकि इसमें पालिका के ईओ को अमित सिंह की निलम्बन अवधि का जीवन निर्वाह भत्ता जारी कराने की कार्यवाही करने के निर्देश दिये जा चुके थे।
सवा साल से निलम्बित हैं अमित कुमार सिंह
मुजफ्फरनगर। अमित कुमार सिंह करीब सवा साल से निलम्बित हैं और निदेशक नगर निकाय लखनऊ कार्यालय से संब( चल रहे हैं। उनको निलम्बन अवधि का कोई भुगतान अभी तक नहीं किया गया है। उनको शासन से 30 मई 2019 को निलम्बित किया गया था। वह आज तक भी बहाल नहीं हो पाये हैं।
फोन भी नहीं उठा रहे निलम्बित ईओ अमित
मुजफ्फरनगर। करीब डेढ़ साल पहले ईओ अमित कुमार सिंह पर जिस आरोप और लापरवाही में डीएम अजय शंकर द्वारा कार्यवाही की गयी थी, उनका आचरण आज भी उसी जैसा बना नजर आता है। शहर कोतवाली में दर्ज मुकदमे को लेकर आईओ राजेन्द्र वशिष्ठ द्वारा अनगिनत बार फोन पर उनसे सम्पर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन अधिकांश समय फोन बन्द मिला और घंटी जाने पर फोन रिसीव नहीं किया गया। वह परेशान हैं। उनका पता भी पुलिस को हासिल नहीं हो रहा है। अब उन्होंने फोन के आधार पर सर्विलांस के सहारे अमित सिंह का पता निकालकर उन तक पहुंचने की तैयारी शुरू की है, ताकि मुकदमे के लिए वह बयान दर्ज कर सकें।
अमित के पिता के सहारे मामला निस्तारण की कोशिश
मुजफ्फरनगर। जनपद से निलम्बित ईओ अमित कुमार सिंह के प्रकरण के निस्तारण के लिए अब पुलिस ने उनके पिता से सम्पर्क साधने का भी मन बनाया है। उनके पिता के यूपी के चार बड़े मुख्यमंत्रियों से सीधे सम्पर्क रहे हैं। सूत्रों के अनुसार निलम्बित ईओ अमित कुमार सिंह के पिता पदम सिंह उत्तर प्रदेश पुलिस में डीएसपी के पद से रिटायर्ड हुए हैं। वह सब इंस्पेक्टर के रूप में यूपी पुलिस में भर्ती हुए थे, लेकिन उनके द्वारा अपनी सर्विस के दौरान राजनीतिक स्तर पर बड़ी उपलब्धि हासिल की गयी। पदम सिंह मूल रूप से आगरा के निवासी हैं। वह 1985 से 2012 तक यूपी के मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह और मायावती के अंगरक्षक रहे हैं। 2010 में वह रिटायर्ड हो गये थे, लेकिन सरकार ने उनको सेवा विस्तार दिया और वह 2012 को रिटायर्ड हुए थे। पदम सिंह कभी मायावती के सबसे विश्वस्त अधिकारी माने जाते थे। 3 जून 1995 में हुए गेस्ट हाउस कांड के बाद जब मायावती मुख्यमंत्री बनीं तो उन्हें उनकी सुरक्षा में लगाया गया। सितम्बर 2016 में पदम सिंह ने पूर्व मंत्री व बसपा नेता धर्म सिंह सैनी के साथ भाजपा में शामिल हो गये थे। कई बार पदम सिंह मुख्यमंत्री मायावती के दौरे के दौरान उनके सिक्योरिटी आफीसर के रूप में मुजफ्फरनगर में भी आ चुके हैं।