IMA CME--शराब का लवली पेग भी कर सकता है शरीर कर सत्यानाश

गुर्दा प्रत्यारोपण और लिवर रोग पर आईएमए के सीएमई कार्यक्रम में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने समझाया आधुनिक उपचार;

Update: 2025-02-22 10:37 GMT

मुजफ्फरनगर। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा सतत चिकित्सा शिक्षा ;सीएमईद्ध की कड़ी में शराब के सेवन से लिवर पर प्रभाव और गुर्दा प्रत्यारोपण विषय पर विशेषज्ञ चिकित्सकों का व्याख्यान कार्यक्रम कराया गया।

आईएमए के मीडिया प्रभारी बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.. सुनील सिंघल ने जानकारी देते हुए बताया कि सर्कुलर रोड स्थित आई एम ए हॉल में एक सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अध्यक्ष डॉ. सुनील चौधरी ने की व संचालन प्रेसिडेंट इलेक्ट डॉ. यश अग्रवाल ने किया। सचिव डॉ. मनोज काबरा ने सभी का स्वागत व धन्यवाद किया। फोर्टिस हॉस्पिटल् नोएडा से पधारे हिपेटोगैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. मुकुल रस्तोगी ने शराब के सेवन से होने वाली लिवर की बीमारी व उसके अपडेटेड उपचार के बारे में बताता। आजकल देश विदेश सभी जगह शराब के सेवन का प्रचलन बहुत अधिक ही गया है। उन्होंने बताया की शराब का अल्प मात्रा में सेवन भी शरीर के प्रत्येक अंग को नुकसान पहुंचाता है और विशेषतया लिवर को तो बहुत अधिक। शराब के सेवन से लिवर में फैट जमा हो सकती है, फाइब्रोसिस हो सकती है, सिरहोसिस हो सकती है या लिवर का कैंसर भी ही सकता है जो की लिवर ट्रांसप्लांट का कारण बन सकता है। अतः शराब का सेवन बिल्कुल भी न करें। आजकल लिवर ख़राब हो जाने के बाद लिवर ट्रांसप्लांट की बहुत जरूरत पड़ रही है, इसके कारणों में इन्फेक्शन आदि के साथ-साथ शराब का सेवन भी एक मुख्य कारण है। यदि लिवर में जरा सी भी खराबी उत्पन्न ही रही है तो शराब की एक बूंद भी लिवर फैल्योर का कारण बन सकती है।


किडनी प्रत्यारोपण व रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुजा पोरवाल ने किडनी प्रत्यारोपण व इससे जुड़ी भ्रांतिया विषय पर व्याख्यान दिया। किडनी की गंभीर बीमारी में जिसमे किडनी ने कार्य करना बंद कर दिया है और बार बार डायलिसिस की जरूरत होती है, किडनी प्रत्यारोपण बेहतर विकल्प है। इसमें दानदाता को बाद में कोई भी परेशानी नहीं होती है और वह पहले की तरह ही स्वस्थ रहता है और अपने कार्य करता है और दीर्घ स्वस्थ जीवन जीता है। उन्होंने बताया कि क्रॉनिक किडनी डिसीज़ यानी लंबे समय से चल रहा गुर्दे का रोग जिसके कारण गुर्दे काम करना बंद कर सकते हैं। गुर्दे खून से बेकार और नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों और अतिरिक्त तरल को छानते हैं। गुर्दों के काम बंद करने पर यह खराब पदार्थ शरीर में जमा होने लगते हैं। अनियंत्रित डायबिटीज व उच्च रक्त चाप इसके मुख्य करको में हैं। बचाव के लिए इनको नियंत्रित रखना बेहद ज़रूरी है। बाद में प्रश्नोत्तर काल में विषय विशेषज्ञों ने उपस्थित चिकित्सकों की शंकाओं का समाधान भी किया।

सभा में मुख्य रूप से कोषाध्यक्ष डॉ. ईश्वर चन्द्रा, मीडिया प्रभारी डॉ. सुनील सिंघल, डॉ. डी एस मलिक, डॉ. अशोक सिंघल, डॉ. हरदेश अरोरा, डॉ. डी पी सिंह, डॉ. रवींद्र जैन, डॉ. हेमंत कुमार, डॉ. कुलदीप सिंह चौहान, डॉ. दीपक तोमर, डॉ. आर एन गंगल, डॉ. रमेश माहेश्वरी, डॉ. जी सी एस छाबरा, डॉ. विनोद कुशवाहा, डॉ. अजय सिंघल, डॉ. रोहित गोयल, डॉ. पी के चाँद, डॉ. राजबीर सिंह मलिक, डॉ. अशोक शर्मा, डॉ. मनु गर्ग, डॉ. पंकज अग्रवाल, डॉ. पंकज सिंह, डॉ. अनुज गर्ग, डॉ. राजीव काम्बोज, डॉ. रूप किशोर गुप्ता, डॉ. सुजीत कुमार सिंह, डॉ. मनेश अग्रवाल, डॉ. रज़ा फारूकी, डॉ. अमन गुप्ता, डॉ. नीरज काबरा, डॉ. विवेक सैनी के साथ ही महिला सदस्यों में डॉ. ललिता माहेश्वरी, डॉ. निशा मलिक, डॉ. पूजा चौधरी, डॉ. रेणु अग्रवाल, डॉ. शैफाली सिंह आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे। अतुल कुमार का विशेष सहयोग रहा।

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