इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला, पत्नी बेवफा है या नहीं बताएगा डीएनए टेस्ट

दंपती का फैमिली कोर्ट से तलाक होने के तीन साल बाद पत्नी ने मायके में बच्चे को जन्म दिया। पत्नी ने दावा किया कि बच्चा उसके पति का है, जबकि पति ने पत्नी के साथ शारीरिक संबंध होने से इंकार किया।

Update: 2020-11-18 09:48 GMT

प्रयागराज। पारिवारिक विवाद के एक मामले में अहम फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट नकहा है कि डीएनए टेस्ट से साबित कर सकते हैं कि पत्नी बेवफा है या नहीं।

हमीरपुर के दंपती का फैमिली कोर्ट से तलाक होने के तीन साल बाद पत्नी ने मायके में बच्चे को जन्म दिया। पत्नी ने दावा किया कि बच्चा उसके पति का है, जबकि पति ने पत्नी के साथ शारीरिक संबंध होने से इंकार किया। यह गंभीर मामला हाईकोर्ट पहुंचा कोर्ट ने कहा कि यह साबित करने के लिए डीएनए टेस्ट सबसे बेहतर तरीका है कि शख्स बच्चे का पिता है या नहीं?कोर्ट ने कहा कि डीएनए टेस्ट से यह भी साबित हो सकता है कि पत्नी बेवफा है या नहीं। याची पत्नी नीलम ने हमीरपुर की फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए ये याचिका दाखिल की थी। पति राम आसरे ने फैमिली कोर्ट में डीएनए टेस्ट मांग में अर्जी दाखिल की थी लेकिन फैमिली कोर्ट ने अर्जी कर खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने ये आदेश दिया है।

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