हसन परिवार से चौथी सांसद बनीं इकरा
मां को सांसद और भाई को विधायक बनाने में निभाई थी भूमिका, 8 साल की राजनीति में कैराना सीट की जनता का जीता दिल, अकेले अपने दम पर संभाली प्रचार की कमान
मुजफ्फरनगर। जनपद शामली की कैराना लोकसभा सीट की सियासी जंग हमेशा ही दिलचस्प रही है। ज्यादातर इस सीट की सियासत हसन और हुकुम परिवारों के बीच ही सिमटती रही है, लेकिन इस लड़ाई में हसन परिवार ने बड़ा इतिहास रचा है। इस परिवार से लोकसभा चुनाव 2024 में चौथा सांसद चुना गया है। जबकि परिवार के चार लोग पांच बार सांसद बने हैं। अपने दादा, पिता और मां के बाद इकरा मुनव्वर हसन हसन परिवार से चौथी सांसद निर्वाचित हुई हैं। उनकी मां तबस्सुम हुसन दो बार इस सीट से सांसद बनीं हैं। भाई नाहिद हसन तीन बार से कैराना विधानसभा सीट से विधायक हैं। इकरा ने अपने भाई को 2022 का चुनाव अपने दम पर ही जिताने का काम किया था।
कैराना लोकसभा सीट का जिक्र आते ही हसन परिवार का नाम राजनीतिक में रसूख रखने वाले घरानों में शामिल हो जाता है। इकरा हसन के दादा ने पहली बार 1984 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था। 1996 में उनके पिता मुनव्वर हसन ने सपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी। 2009 और 2018 के उपचुनाव में उनकी मां तबस्सुम हसन सांसद बनी थी। परिवार की विरासत को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने पहली बार 2016 में जिला पंचायत का चुनाव पूर्व कैबिनेट मंत्री और वर्ममान एमएलसी वीरेंद्र सिंह के बेटे मनीष चौहान के सामने लड़ा था, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 2017 में भाई नाहिद हसन ने विधानसभा का चुनाव लड़ा तो उसकी बागडोर संभाल ली थी। भाई की जीत में इकरा हसन का अहम योगदान था। 2022 के विधानसभा चुनाव में नाहिद हसन गैंगस्टर के मामले में जेल में बंद थे, जो चुनाव की पूरी कमान उन्होंने अपने हाथ में ले ली थी। यहीं से उनका राजनीतिक कौशल और कुशल प्रबंधन सभी ने देखा। जेल में बंद रहते हुए भाई को उन्होंने विधायक बनवाया, जिसके बाद उनकी पहचान मजबूत हो गई।
अखिलेश द्वारा कैराना लोकसभा सीट से इकरा हसन को प्रत्याशी बना दिए जाने के बाद भाजपा-बसपा और सपा में कांटे की टक्कर मानी जा रही थी। क्षेत्र की जनता न सिर्फ उनकी सादगी की कायल थी बल्कि उन्हें बेटी की तरह प्यार भी दिखाया। क्षेत्र की जनता ने उन्हें बंपर मतों से जिताकर यह भी दिखा दिया कि इस भूमि के लिए बेटियां भी बेटों से कम नहीं हैं। इकरा की शुरुआती शिक्षा भले ही कैराना में हुई हो, लेकिन उन्होंने 12वीं दिल्ली के क्वींस मेरी स्कूल से की थी। इसके बाद लेडी श्रीराम कालेज से ग्रेजुएशन किया। दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की। इसके बाद उन्होंने इंटरनेशनल लॉ एंड पालिटिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन यूनिवर्सिटी आफ लंदन से किया था। भाजपा हाईकमान ने विधायक प्रदीप चौधरी को वर्ष 2019 के कैराना लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया। प्रदीप चौधरी ने तबस्सुम हसन को 92 हजार वोट से हराकर विजय हासिल की। वर्ष 2024 में भाजपा हाईकमान ने फिर से प्रदीप चौधरी को कैराना लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रूप उतारा था। चुनाव में इकरा हसन का सीधा मुकाबला भाजपा-रालोद प्रत्याशी प्रदीप चौधरी से था। भाजपा प्रत्याशी के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और केशव प्रयाद मौर्य के अलावा रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयन्त चौधरी तक ने प्रचार किया था, लेकिन सपा प्रत्याशी इकरा हसन अकेले ही चुनावी मैदान में डटी रहीं। वह शहर से लेकर गांव और देहात की पगडंडियों पर अकेली ही चलीं और जीत की कहानी लिख दी। मतगणना के शुरुआती रुझानों से ही इकरा हसन भाजपा प्रत्याशी प्रदीप चौधरी पर भारी पड़ती नजर आई। उन्होंने 5 लाख 28 हजार 13 मत हासिल किए और भाजपा प्रत्याशी प्रदीप चौधरी को रिकार्ड 69 हजार 116 वोट के अंतर से करारी शिकस्त दी। जीत के बाद इकरा हसन अपने भाई नाहिद हसन के साथ शामली के नवीन मंडी में स्थित मतगणना स्थल पर जीत का प्रमाण पत्र लिया।
मां और भाई का हिसाब किया चुकता
मुजफ्फरनगर। वर्ष 2019 के चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी प्रदीप चौधरी ने इकरा हसन की मां तबस्सुम को चुनाव में हराया था, जबकि प्रदीप इससे पूर्व 2012 के गंगोह विधानसभा चुनाव में इकरा हसन के भाई नाहिद हसन को भी हरा चुके थे। इकरा हसन ने कैराना लोकसभा सीट पर प्रदीप चौधरी को भारी मतों के अंतर से हराते हुए अपनी मां और भाई की हार का हिसाब-किताब भी चुकता कर लिया है। वर्ष 2012 में गंगोह विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में प्रदीप चौधरी चुनाव मैदान में उतरे थे। उस समय हसन परिवार की तबस्सुम हसन, उनके बेटे नाहिद हसन बसपा में थे और गंगोह विधानसभा से बसपा प्रत्याशी के रूप में टिकट मांग रहे थे। टिकट नहीं मिलने के कारण हसन परिवार के नाहिद हसन को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में गंगोह विधानसभा से चुनाव लड़ना पड़ा। इस विधानसभा चुनाव में प्रदीप चौधरी ने नाहिद को हराकर जीत हासिल की थी। तबस्सुम हसन और उनके बेटे नाहिद हसन सपा में शामिल हो गए थे। वर्ष 2017 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामकर प्रदीप चौधरी ने गंगोह से विधानसभा का चुनाव जीता था। इस चुनाव में प्रदीप चौधरी ने गंगोह विधानसभा में बसपा के नौमान मसूद को हराया था।