High Court Bench---बारिश के बीच वकीलों का नो वर्क, किया प्रदर्शन
हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग के लिए हाथों पर छाता लेकर सड़कों पर उतरे अधिवक्ता
मुजफ्फरनगर। आज भारी बारिश के बीच जहां भाकियू का टैक्टर मार्च स्थगित कर दिया गया, वहीं अधिवक्ताओं ने अपने पूर्व आंदोलन पर अडिग रहते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना को लेकर बुधवार को कामबंद हड़ताल की और कचहरी में प्रदर्शन कर जुलूस निकाला। हाथों में छाता लेकर बारिश के बीच ही अधिवक्ता प्रदर्शन करने निकले और ज्ञापन भी सौंपा।
सिविल बार एसोसिएशन ने हाईकोर्ट बेंच केंद्रीय संघर्ष समिति पश्चिम उत्तर प्रदेश के आह्नान पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग को लेकर बुधवार को प्रदर्शन किया। इस दौरान सभी अधिवक्ताओं ने हड़ताल की। नो वर्क के कारण कचहरी में कोई काम नहीं किया गया। इसके बाद अधिवक्ता बारिश के बीच ही हाथों में छाता लेकर जुलूस के रूप में कलेक्ट्रेट स्थित डीएम कार्यालय पहुंचे और प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा। धरने के दौरान सिविल बार एसोसिएशन के महासचिव ब्रिजेन्द्र कुमार मलिक ने बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जिलों का क्षेत्राधिकार इलाहाबाद उच्च न्यायालय में है, जो कि 500 से लेकर 750 किलोमीटर की दूरी पर है तथा सस्था व सुलभ न्याय के सि(ांतों के विपरीत है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लंबित वादों का 52 प्रतिशत भाग केवल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जिलों से ही है। ऐसे में इस क्षेत्र की जनता को सस्था और सुलभ न्याय नहीं मिल पा रहा है। जनता करीब 47 वर्षों से भी अधिक समय से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की मांग कर रही है। वेस्ट यूपी में करीब 8 करोड़ की जनता को सस्ता और सुलभ न्याय उपलब्ध कराने के लिए यह आवश्यक है कि पश्चिम में हाईकोर्ट की बेंच प्रदान की जाये। उन्होंने कहा कि जनता अधिवक्ताओं के साथ इसके लिए आंदोलनरत है और इससे न्यायिक कार्यवाही व कामकाज भी प्रभावित हो रहा है, क्योंकि वर्षों से इस मांग के समर्थन में शनिवार को कचहरियों में अधिवक्ता लगातार हड़ताल कर रहे हैं। ऐसे में यहां पर बेंच स्थापित कराने में देरी से सभी लोगों को मायूसी हो रही है। उन्होंने इस मामले में सरकार से तत्काल कदम उठाने की मांग की।
प्रदर्शन में मुख्य रूप से जितेन्द्र पाल सिंह, अजमेर सिंह, अशोक कुशवाहा, सतेन्द्र कुमार, पीडी स्वामी, रामवीर सिंह, रविन्द्र सहरावत, भगत सिंह, राज सिंह रावत, रामवीर सिंह, अन्नू कुच्छल, निपुण जैन, अभिनव अग्रवाल, सुधीर गुप्ता, प्रवीण खोखर, संजीव काकरान, बिजेन्द्र प्रताप, सौरभ पंवार, धु्रव, नीरज, राकेश कुमार, नरेन्द्र प्रताप, सोहनलाल, हिमांशु, धीरेन, आनंद कुमार आदि अधिवक्ता शामिल रहे।