हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ वकीलों ने की कचहरी में हड़ताल

कंडोलेंस पर नो वर्क करने की परम्परा पर कोर्ट ने लगाई है रोक, अधिवक्ताओं ने जताया आक्रोश

Update: 2024-08-30 10:40 GMT

मुजफ्फरनगर। हाईकोर्ट इलाहाबाद के द्वारा उत्तर प्रदेश में आये दिन होने वाली अधिवक्ताओं की हड़ताल के खिलाफ नाराजगी व्यक्त करते हुए इसको लेकर आदेश जारी करने पर आक्रोशित हुए अधिवक्ताओं ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश संघर्ष समिति के आह्नान पर कामबंद हड़ताल कर धरना दिया। दोनों ही बार संघों के पदाधिकारियों के नेतृत्व में सभी अधिवक्ता इसमें शामिल रहे और हाईकोर्ट के फैलसे के प्रति कड़ा रोष व्यक्त करते हुए इसे अधिवक्ताओं की आजादी के खिलाफ बताते हुए वापस लिये जाने की मांग करते हुए कहा कि अधिवक्ता हड़ताल की परम्परा को कायम रखेंगे और यह फैसला वापस नहीं लिया गया तो एक बड़ा आंदोलन किया जायेगा। वकीलों की इस कामबंद हड़ताल के कारण अदालतों में आये वादकारियों को भारी परेशानी उठानी पड़ी।

शुक्रवार को जिला कचहरी में वकीलों ने एकजुट होकर कामबंद हड़ताल करते हुए धरना देकर प्रदर्शन किया। इस दौरान वकीलों में हाईकोर्ट इलाहाबाद के उस फैसले को लेकर भारी आक्रोश नजर आया, जिसमें जिला बार संघों के द्वारा की जाने वाले हड़ताल पर रोक लगाई गई है। हाईकोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट बेंच पश्चिमी उत्तर प्रदेश संघर्ष समिति के आह्नान पर आज पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अधिवक्ताओं ने कामबंद हड़ताल करते हुए प्रदर्शन किया। इसी कड़ी में डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन एवं सिविल बार एसोसिएशन मुजफ्फरनगर के पदाधिकारियों के नेतृत्व में अधिवक्ताओं ने संयुक्त रूप से एकजुटता दिखाते हुए हाईकोर्ट के फैसले का विरोध किया और अपने चैम्बरों पर ताला लगाकर धरना दिया। जिला बार संघ के अध्यक्ष प्रमोद त्यागी एडवोकेट ने बताया कि हाईकोर्ट के द्वारा पिछले दिनों एक फैसला दिया गया है, जिसमें बार संघों के द्वारा अधिवक्ताओं के हितों की मांग को उठाने, किसी अधिवक्ता का निधन हो जाने पर शोक प्रस्ताव के चलते होने वाले नो वर्क पर रोक लगा दी हैै।


बताया कि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि यदि इस आदेश के बाद भी जिलों में बार संघों के आह्नान पर अधिवक्ताओं के द्वारा हड़ताल की जाती है तो इसे कोर्ट के आदेश की अवमानना मानते हुए संबंधित बार के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी। प्रमोद त्यागी ने धरने के दौरान हाईकोर्ट के इस फैसले को अधिवक्ताओं के अधिकारों पर कुठाराघात और बार संघों की आजादी पर अंकुश लगाने वाला बताते हुए कहा कि अधिवक्ता एकजुट हैं और किसी भी प्रकार की तानाशाही को स्वीकार नहीं करेंगे। सिविल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बिजेन्द्र सिंह मलिक एडवोकेट ने बताया कि उच्च न्यायालय इलाहाबाद की खंडपीठ का जो अंतरिम आदेश अधिवक्ताओं के कार्य से विरत रहने के संबंध में आया है, उसके विरोध स्वरूप दोनों बार संघों के अधिवक्ताओं द्वारा आज शुक्रवार को न्यायिक कार्यों से विरत रहते हुए कामबंद हड़ताल की गई।

इस दौरान जिला कचहरी में अधिवक्ताओं ने किसी भी प्रकार का कोई काम नहीं किया और और अपना प्रतिरोध जताया। उन्होंने कहा कि हम इस आवाज को उच्च न्यायालय एवं बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश तक भी पहुंचाने का काम करेंगे। अधिवक्ताओं की हड़ताल के दौरान कचहरी में शुक्रवार को आये वादकारियों को भटकते हुए देखा गया। उनको अदालत में काम नहीं होने के कारण मायूस होकर वापस लौटना पड़ा। हालांकि बार संघ की ओर से दो दिन पूर्व ही आज की हड़ताल के सम्बंध में सूचना जारी कर दी गई थी। प्रदर्शन के दौरान मुख्य रूप से जिला बार संघ के अध्यक्ष प्रमोद त्यागी, महासचिव सुरेन्द्र कुमार मलिक, सिविल बार संघ के अध्यक्ष बिजेन्द्र सिंह मलिक और महासचिव सत्येंद्र कुमार के साथ वरिष्ठ अधिवक्ता ठा. देवेन्द्र सिंह, अनिल जिन्दल, अनिल दीक्षित, श्यामवीर सिंह, गुलवीर सिंह, नाहिद परवीन, नरेश त्यागी, निश्चल त्यागी, आदेश कुमार, अजीम मुनव्वर सहित सैंकड़ों अधिवक्ता मौजूद रहे। 

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