पालिकाध्यक्ष मीनाक्षी स्वरूप ने सभासदों के साथ जैन मंदिर मंसूरपुर जाकर की पूजा अर्चना
युवा भाजपा नेता विकल्प जैन ने बताया कि श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर को बड़ा मंदिर के नाम से भी माना जाता है। इस मंदिर जी का गर्भगृह 650 वर्ष से अधिक प्राचीन है
मुजफ्फरनगर। पिछले दस दिनों से जैन समाज के द्वारा मनाये जा रहे पर्युषण पर्व का बुधवार को विधिवत धार्मिक परम्परा और क्षमावाणी पर्व के साथ समापन हो गया। इस दौरान कई जैन मंदिरों से भव्य शोभायात्रा भी निकाली गई। नगरपालिका परिषद् की अध्यक्ष मीनाक्षी स्वरूप ने सभासदों के साथ मंसूरपुर स्थित श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर बड़ा मंदिर पहुंचकर वहां भगवान पार्श्वनाथ के दर्शन करते हुए पूजा अर्चना की और इस अवसर पर निकाली गई भव्य शोभायात्रा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
जैन समाज द्वारा पर्युषण पर्व के समापन बुधवार को क्षमावाणी पर्व और उछाव का आयोजन धार्मिक आस्था के साथ किया गया। इस दौरान पूर्ण श्र(ा भाव के साथ जैन समाज के श्रावक श्राविकाएं मंदिरों में पूजा अर्चना करने के लिए उमड़े। इस अवसर पर श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर बड़ा मंदिर, मंसूरपुर से स्भी शोभा यात्रा निकाली गई। इसमें शामिल झांकियां लोगों का आकर्षण का केन्द्र रहीं, इनका जगह-जगह स्वागत किया गया। यहां पर आयोजित समारोह में अतिथि के रूप में नगर पालिका परिषद् की अध्यक्ष मीनाक्षी स्वरूप, युवा भाजपा नेता एवं पूर्व सभासद विकल्प जैन, सभासद राजीव शर्मा और मनोज वर्मा आदि भी पहुंचे।
मंदिर प्रबंध कमेटी और सकल जैन समाज की ओर से अमरचंद जैन ने पालिकाध्यक्ष और सभासदों का पटका व माला पहनाकर स्वागत किया। अतिथियों ने यहां भगवान पार्श्वनाथ के दर्शन करते हुए पूजा अर्चना की। पालिकाध्यक्ष ने कहा कि जैन समाज के मुख्य पर्युषण पर्व का आज विधिवत समापन हुआ है और इस पर आज जैन समाज के लोगों ने एक दूसरे से द्वेष भावना का त्याग करते हुए क्षमा पर्व मनाया है, जो समाज को जोड़ने का काम करता है। युवा भाजपा नेता विकल्प जैन ने बताया कि श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर को बड़ा मंदिर के नाम से भी माना जाता है। इस मंदिर जी का गर्भगृह 650 वर्ष से अधिक प्राचीन है। इसका निर्माण जैन समाज द्वारा करवाया गया था। बड़ा मंदिर जी में मूलतः एक ही वेदी निर्मित है। वेदी में कई प्राचीन जैन प्रतिमाएं विराजमान है। वेदी में मूलनायक प्रतिमा श्री 1008 पार्श्वनाथ भगवान जी की है। इस मंदिर के प्राचीन होने के कारण जैन समाज में इसकी मान्यता पूरे देश में बनी है।