MUZAFFARNAGAR-शहर के 177 निजी अस्पतालों को पालिका ने भेजा नोटिस
व्यवसायिक लाइसेंस नहीं बनवाने पर टैक्स विभाग ने की कार्यवाही, 15 दिन में लाइसेंस बनवाने के निर्देश, निजी चिकित्सालयों से पालिका वसूलेगी व्यवसायिक लाइसेंस का दस साल का बकाया शुल्क
मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् इन दिनों अपनी आय के साधन और अवसर भुनाने में जुटी हुई ताकि आय बढ़ने पर प्राप्त होने वाले राजस्व से शहरी विकास की गाथा लिखी जा सके। जिन क्षेत्रों में पालिका का टैक्स विभाग अभी तक आंख मूंदकर सोया हुआ था, उन सभी क्षेत्रों में अब पालिका प्रशासन ने एक्शन की तैयारी करते हुए राजस्व बढ़ोतरी के रास्ते खोले हैं। पहले ही निर्धारित लक्ष्य से ज्यादा राजस्व वसूलने पर नगरपालिका मुजफ्फरनगर जिले में दस निकायों में पहले पायदान पर है। इसलिए ही इस निकाय को शासन ने विशेष बजट की श्रेणी में रखा है। अब मौजूदा वित्तीय वर्ष में भी निर्धारित लक्ष्य से ज्यादा राजस्व प्राप्त करने के लिए पालिका लगातार प्रयासों में जुटी हुई है। इसके लिए शहरी क्षेत्र में संचालित हो रहे 177 निजी अस्पतालों को व्यवसायिक लाइसेंस बनवाने के लिए पालिका के टैक्स विभाग ने नोटिस जारी करते हुए 15 दिन का समय दिया है। इन अस्पतालों से पालिका से लाइसेंस फीस के रूप में पिछले दस साल का बकाया मांगा है, जिसको लेकर कुछ निजी अस्पतालों ने अपना विरोध भी प्रकट किया है, लेकिन पालिका प्रशासन इसमें कोई भी रियायत बरतने के मूड में नहीं है।
नगरपालिका परिषद् की चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप के द्वारा पालिका की आय बढ़ोतरी पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। इसके लिए टैक्स विभाग लगातार प्रयासों में जुटा हुआ है। टैक्स विभाग की ओर से शहरी क्षेत्र के निजी अस्पतालों को व्यवसायिक लाइसेंस बनवाने के लिए नोटिस जारी किया है। शहर में 177 निजी अस्पतालों की सूची बनाकर इनको 15 दिनों में अपना अपना व्यवसासिक लाइसेंस बनाने के लिए कहा गया है। इन सभी निजी अस्पतालों के मालिकों से दस साल का बकाया लाइसेंस शुल्क मांगा गया है। इसको लेकर कुछ निजी अस्पतालों की ओर से दस साल का बकाया मांगे जाने पर ऐतराज जताया गया है। इसको गलत भी बताया जा रहा है। जबकि अधिकांश अस्पतालों ने बकाया जमा कराने के लिए समय की मांग करते हुए अपनी स्वीकृति भी दी है। दस साल के लिए एक अस्पताल पर व्यवसायिक लाइसेंस शुल्क के रूप में करीब 20 हजार रुपये का बकाया बताया गया है। प्रति वर्ष लाइसेंस फीस 2000 रुपये की दर से तय की गयी है। ऐसे में यदि इन 177 निजी अस्पतालों से पालिका यह दस साल की बकाया वार्षिक लाइसेंस फीस वसूलने में सफल होती है तो पालिका को 35.40 लाख रुपये की अतिरिक्त आय होगी।
पालिका के कर निर्धारण अधिकारी दिनेश यादव ने बताया कि शहरी क्षेत्र में निजी अस्पतालों, आबकारी विभाग की देशी विदेश मदिरा और बियर व भांग की दुकानों और बड़े शॉपिंग कॉम्प्लैक्स व शोरूम, होटल, रेस्टोरेंट और बैंकट हाल के व्यवसायिक वार्षिक लाइसेंस बनवाने की कार्यवाही शुरू की गई है। इसके लिए सीएमओ और जिला आबकारी अधिकारी से दुकानों व अस्पतालों की सूची मांगी गयी थी। इसमें सीएमओ कार्यालय से शहरी क्षेत्र में 177 निजी अस्पतालों के संचालन की सूची पालिका को भेजी गई है। इनको नोटिस जारी करते हुए साल 2014 से व्यवसायिक वार्षिक लाइसेंस बनवाने के लिए कहा गया है और 2014 से 2024 तक के लिए दस सालों की लाइसेंस बकाया फीस जमा कराने के लिए भी निर्देशित किया गया है। बताया कि 1998 में निकायों में व्यवसायिक लाइसेंस बनवाने के लिए शासनादेश जारी किया गया था। इसमें अस्पतालों को भी शामिल किया गया। इसके बाद आईएमए ने इस आदेश के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। इस पर साल 2002 में कोर्ट ने स्टे जारी कर दिया और यह स्टे साल 2014 तक जारी रहा था। इसके बाद आईएमए कोर्ट में हार गई और शासनादेश के पक्ष में आदेश आने पर साल 2014 से ही इसको लागू माना गया था। इस कारण ही निजी अस्पतालों को साल 2014 से व्यवसायिक वार्षिक लाइसेंस शुल्क जमा कराने के लिए नोटिस दिया गया है। कर निर्धारण अधिकारी दिनेश यादव ने बताया कि निजी अस्पतालों के बाद शहरी क्षेत्र में चल रही शराब और बियर की दुकानों तथा बड़े शोरूम आदि को व्यवसायिक वार्षिक लाइसेंस बनवाने के लिए नोटिस भेजने की तैयारी है। इसमें आबकारी विभाग से सूची आने का इंतजार है। साथ ही होटल, रेस्टोरेंट, बैंकट हॉल व शोरूम आदि को भी नोटिस दिया जा रहा है।