FILM 'KALIA'-अब बड़े पर्दे पर नजर आयेगा कुख्यात नफीस कालिया का खौफ

पेट्रोल फिल्म से धमाल मचाने वाले फिल्म प्रोडयूसर सलीम गौर की कहानी पर जल्द बनने जा रही मुजफ्फरनगर के डॉन पर पिक्चर, शिवकुमार-रामकुमार के आतंक से गैंगवार में हरियाणा में नफीस की मौत तक की कहानी लोगों को करेगी रोमांचित

Update: 2024-09-09 10:46 GMT

मुजफ्फरनगर। जनपद को क्राइम कैपिटल तक पहुंचाने में यहां के चुनिंदा माफिया और बदमाशों का अहम रोल रहा है, लेकिन जिले के अपराध जगत के शिखर तक पहुंचाने वाले बदमाशों का अंत भी दुखद रहा है। 80 से 90 के दशक में जिले में आतंक का पर्याय बने रहने वाले नफीस अंसारी उर्फ नफीस कालिया की मौत के 20 साल बाद एक बार फिर से इस बेखौफ बदमाश का खौफ यहां के लोगों को डराने जा रहा है, लेकिन इस बार यह खौफ बड़े पर्दे पर कुछ सितारों के सहारे लोगों का रोमांच बढ़ाता नजर आये। इसके साथ ही देश और दुनिया जनपद मुजफ्फरनगर के इस खौफनाक अपराधी नफीस कालिया के खूंखार अंदाज और कुख्यात जीवनशैली से परिचित होगी। नफीस कालिया के जीवन पर फिल्म ‘कालिया’ बनने जा रही है, जिसकी पटकथा लिखी जा चुकी है और फरवरी की ठण्ड में इस गरम मुद्दे पर शूटिंग का दौर भी शुरू हो जायेगा। इस फिल्म में शिवकुमार की मौत के साथ शुरू हुए नफीस कालिया के अपराधिक जीवन से हरियाणा में गैंगवार में उसकी हत्या तक की कहानी को फिल्माया जायेगा, जिसमें मुंबईया कलाकारों की पूरी टीम नफीस कालिया और उसके समकालीन माफिया गिरोह और बदमाशों का रोल प्ले करने का काम करेगी।

शहर के मौहल्ला आबकारी में रॉयल सिनेमा परिसर में सोमवार को पत्रकार वार्ता के दौरान फिल्म ‘पेट्रोल’ की शूटिंग मुजफ्फरनगर में कराकर लोगों में अपनी एक अलग पहचान बनाकर हंगामा खड़ा करने वाले फिल्म अभिनेता और निर्माता सलीम गौर ने मुजफ्फरनगर के कुख्यात माफिया डॉन नफीस कालिया के जीवन पर फिल्म बनाने की अपनी योजना को साझा किया। उनके साथ मुम्बई से आये फिल्म निर्देशक और निर्माता प्रदीप मारू तथा कई अन्य कलाकार भी मौजूद थे। सलीम गौर ने बताया कि उनकी बरसों से तमन्ना थी कि वो नफीस कालिया के जीवन को बड़े पर्दे पर लेकर आये और आज उनका सपना साकार होने जा रहा है। नफीस कालिया के जीवन पर वो फिल्म ‘कालिया’ बनाने जा रहे हैं। इसकी पूरी कहानी उन्होंने स्वयं लिखी है, जिसमें नफीस कालिया के जीवन में कई लोगों की हत्याओं की घटनाओं का सजीव चित्रण किया गया है। इस फिल्क की कहानी कुछ रियल और कुछ फिल्मी है। सलीम ने बताया कि यह कहानी पूरी तरह से क्राइम आधारित है, लेकिन इसमें कॉमेडी है तो ड्रामा भी भरपूर है।


नफीस कालिया की कहानी को फिल्म के रूप में पर्दे पर लाने का उनका मकसद यही है कि वो इसके सहारे अपराध जगत के नकारात्मक पहलुओं पर चोट करते हुए युवाओं को संदेश दें पायें कि अपराध के रास्ते से भला नहीं होने वाला है। यह रास्ता केवल बदनामी और मौत तक ले जाने वाला होता है। इस कहानी में नफीस की दूसरे माफिया गिरोहों से अदावत को भी बखूबी दिखाया जायेगा। इसमें सारे कलाकार मुम्बई से लिये जायेंगे। अभी लीड रोल के कलाकारों का चयन होना बाकी है। पेपर वर्क पूरा किया गया है। फरवरी में फिल्म की शूटिंग प्रारम्भ की जायेगी। इस फिल्म के गानों की शूटिंग मुम्बई के स्टूडियो में होगी। जबकि अन्य शूटिंग मुजफ्फरनगर के साथ ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ प्रमुख शहरों में रखी गई है। फिल्म को देशी अंदाज देने के लिए मुजफ्फरनगर की खड़ी बोली के डायलॉग का प्रयोग किया गया है।

नफीस कालिया ने 80 और 90 के दशक में मुजफ्फरनगर के साथ ही वेस्ट यूपी में अपराध जगत में खूब नाम कमाया और वो खौफ का पर्याय बने रहे। उनके समकालीन दूसरे बदमाशों के गिरोह की गतिविधियों और गैंगवार को भी फिल्म का हिस्सा बनाया गया है। फिल्म ‘कालिया’ कोहिनूर फिल्मस और पीएम फिल्मस एन्टरटेनमेंट के बैनर तले बनाई जा रही है। इसके निर्देशक प्रदीप मारू हैं, जिनके द्वारा सलीम गौर को लेकर मुजफ्फरनगर में फिल्म ‘पेट्रोल’ की शूटिंग की जा चुकी है। इस फिल्म ने पूरा हंगामा खड़ा किया था, सलीम गौर को उम्मीद है कि फिल्म ‘कालिया’ भी ऐसा ही हंगामा पैदा करेगी। इस फिल्म को सिंगल स्क्रीन के साथ ही मल्टीप्लेक्स पर वर्ल्डवाइड रिलीज करने की तैयारी है। बता दें कि सलीम गौर ने कई प्रमुख हिन्दी फिल्मों के साथ ही राजस्थानी और गुजराती भाषाओं के साथ ही दूसरी भाषाओं की कई फिल्में की है। 12 गुजराती फिल्मों में उन्होंने लीड रोल किया है। प्रेस वार्ता के दौरान फिल्म निर्माता निर्देशक प्रदीप मारू, सलीम गौर, क्षेत्रीय कलाकार आइशा, सारा खान, इशान खान, कॉमेडियन तेजराम राव, सुलेमान सिद्दीकी आदि मौजूद रहे।

नफीस कालियाः शिवकुमार के खौफ का किया खात्मा, मोरना से लड़ा चुनाव

मुजफ्फरनगर। नफीस कालिया का अपराध जगत में जन्म 80 के दशक में उस दौर में हुआ जब मुजफ्फरनगर में माफिया भाइयों की जोड़ी शिवकुमार और रामकुमार के खौफ का सिक्का चलता था। शांति वाहन की दहशत आज भी लोगों के जहन में जिंदा है। राजनीतिक और पुलिसिया संरक्षण में जन्मे नफीस कालिया ने शिवकुमार और रामकुमार के खौफ का खात्मा कर अपराध जगत में धमाकेदार एंट्री की थी। यह सभी कुछ रियल था, लेकिन कहानी पूरी फिल्मी रही। इसके बाद नफीस कालिया ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और उसके नामा का खौफ पूरे वेस्ट यूपी में चला। अपहरण, हत्या, रंगदारी की दुकान नफीस कालिया गिरोह की पहचान बन गई थी। इसी बीच अदावत में हत्याओं का खौफनाक खेल खेलने वाले सुशील मूंछ गिरोह से नफीस कालिया की ठन गई और 1998 से नफीस कालिया के साथ सुशील मूंछ का गैंगवार चला। इसमें कई बदमाशों का कत्ल हुआ और अंत में हरियाणा के कुरूक्षेत्र में साल 2004 में नफीस की भी गैंगवार में हत्या कर दी गई। इसके बाद कालिया गिरोह टूटकर बिखर गया, हालांकि नफीस कालिया गैंग के कई शूटर और बदमाश आज भी सक्रिय हैं।

नफीस कालिया मुजफ्फरनगर के ऐसे पहले बदमाश रहे, जिनको विधानसभा चुनाव में मुख्य दल की ओर से प्रत्याशी बनाया गया। 1996 के यूपी विधानसभा चुनाव में नफीस कालिया को बसपा ने मोरना विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया था। इस चुनाव में उनका मुकाबाल सपा प्रत्याशी संजय सिंह चौहान के साथ हुआ और संजय ने उनको 9209 मतों के अंतर से पराजित किया थां। इस चुनाव में संजय चौहान को 57005 और नफीस को 47796 मत प्राप्त हुए थे। लोग बताते हैं कि इस चुनाव के दौरान मेरठ से एक बड़े कारोबारी का अपहरण हुआ था, जिसका आरोप नफीस कालिया गैंग पर लगा था और यह मुद्दा चुनाव में हावी रहा। 90 के दशक में शुरू हुए भारत के सबसे बड़े क्राइम शो इंडियाज मोस्ट वांटेड में शो को होस्ट करने वाले सुहैब इलियासी ने भी नफीस कालिया के खौफ पर शो दिखाया था। उस दौर में रात को टीवी पर आने वाले इस क्राइम शो को देखने के लिए लोगों में इतना रोमांच था कि सड़कें सूनी हो जाया करती थीं। नफीस कालिया का शो सबसे बड़ा हिट शो साबित हुआ था। इस शो के अलावा नफीस को किसी दूसरे शो में नहीं दिखाया गया, अब उन पर फिल्म ‘कालिया’ बनाई जा रही है, जो संभवतः वेस्ट यूपी में बड़ी हिट साबित हो सकती है। 

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