गोरखपुर में उरुवा पीएचसी पर चार घंटे तक गर्भवती दर्द से तड़पती रही। लेकिन एएनएम ने यह कहते हुए देखने से मना कर दिया कि महिला नौ माह पूरे होने तक किसी तरह की जांच नहीं कराई है। घंटों विनती के बाद जब एएनएम नहीं मानी तो थक हारकर परिजन गर्भवती को निजी अस्पताल ले गए। जहां उसने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया। पीड़िता के जेठ ने इसकी शिकायत प्रभारी चिकित्साधिकारी सहित अन्य उच्चाधिकारियों से की है। बेलघाट ब्लॉक के कुरावल बुजुर्ग ग्राम पंचायत के खटीक टोला निवासी रविंद्र सोनकर की पत्नी ऊषा गर्भवती थीं। गुरुवार की रात करीब दो बजे उन्हें प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। परिजन निजी वाहन से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उरुवा पहुंचे। आरोप है मौके पर तैनात एएनएम ने यह कहते हुए देखने से मना कर दिया की नौ माह पूरे होने के बाद भी किसी तरह की जांच नहीं कराई गई है। मरीज की एचआईबी सहित अन्य जांचें आवश्यक हैं। पीड़िता का पति दिल्ली में रहकर मेहनत मजदूरी करता है। गरीब परिवार से होने के कारण परिजन निजी अस्पताल नहीं ले जाना चाह रहे थे। इसलिए एएनएम से भर्ती करने के लिए विनती करने लगे। इसमें उनके चार घंटे बीत गए। उधर, गर्भवती दर्द से तड़पती रही और उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी। मगर एएनएम ने भर्ती नहीं किया। शुक्रवार सुबह करीब छह बजे परिजन महिला को गोला के प्राइवेट नर्सिंग होम ले गए। जहां उसने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया। देर शाम डॉक्टरों ने जच्चा-बच्चा को डिस्चार्ज कर दिया। उरुवा प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. जेपी तिवारी ने कहा कि मामला संज्ञान आया है। मामले की जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी।