भगवान गणेश मूर्ति विसर्जन यात्रा के साथ महोत्सव का समापन

बारिश के बीच ही भक्तों की टोलियां ने हरिद्वार गंगा से लेकर खतौली गंगनहर तक निकाली विसर्जन यात्रा, हुआ भण्डारा

Update: 2024-09-15 10:33 GMT

मुजफ्फरनगर। रविवार को बारिश के बीच ही भगवान गणेश मूर्ति विसर्जन यात्रा की धूम बनी रही। शहर के भरतिया कालोनी स्थित श्री गणपति खाटू श्याम मंदिर में चल रहे श्री गणेश जन्मोत्सव समारोह के साथ ही शहर और जिले में अनेक स्थानों पर मनाये जा रहे श्री गणपति महोत्सव कार्यक्रमों को इस साल के लिए विराम दिया गया। इसके साथ ही भक्तों की अनेक टोलियां भगवान गणेश के विग्रह को लेकर उनके विसर्जन के लिए अपने अपने रास्ते पर निकली। भक्तों ने जमकर रंग और गुलाल उड़ाये तथा ढोल नगाडों के शोर के बीच भजन गाते और नाचते हुए कोई हरिद्वार पहुंचा तो किसी ने खतौली गंगनहर घाट पर पहुंचकर भगवान श्री गणपति के विग्रह का विसर्जन करते हुए भण्डारा किया।

गणपति बप्पा मोरिया की श्र(ापूर्ण भक्ति और आस्था के बीच श्री गणेश चतुर्थी गणेश जन्मोत्सव पर शहर में अनेक मंदिरों व घरों पर गणेश भक्तों ने गणेश जी महाराज की मूर्ति को स्थापित किया और प्रतिदिन विभिन्न प्रकार के भोग लगाते हुए पूजा अर्चना व कीर्तन भजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। नई मंडी स्थित गणपति खाटूश्याम धाम मंदिर व नई मंडी बड़ी धर्मशाला में आयोजित किए गए गणेश जन्मोत्सव कार्यक्रम के तहत बाहर से कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। रविवार को शहर में अनेक स्थानों पर स्थापित किए गए श्री गणेश जी भगवान के मूर्तियों का विसर्जन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसके तहत सभी ने भगवान श्री गणेश जी की मूर्तियों को ढोल, डीजे आदि बजाकर भजनों के साथ रंग-गुलाल उड़ाते हुए भगवान गणेश के जयकारे लगाते हुए विजर्सन के लिए निकले। गणपति खाटूश्याम धाम परिवार ने खतौली में भंडारे के साथ विसर्जन कार्यक्रम किया। वकील रोड बड़ी धर्मशाला में श्री सि(ि विनायक गणेश जन्मोत्सव समिति ने भव्य विसर्जन यात्रा निकाली और सभी भक्तों ने हरिद्वार में गंगा घाट पर पहुंचकर गणेश विसर्जन किया। वहीं श्री गणपति खाटू श्याम मंदिर भरतिया कालोनी प्रबंध समिति के पदाधिकारियों ने भक्तों के साथ विसर्जन यात्रा निकाली और खतौली गगनहर घाट पर पहुंचकर मूर्ति का विसर्जन करने के बाद यहां भण्डारा किया। इसके अलावा घरों में स्थापित गणेश जी को विसर्जन हेतु कोई हरिद्वार तो कोई शुक्रताल ले जाकर उनका विसर्जन किया।

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