पूर्व जन्मों के कर्मों का फल दूसरे जन्म में मिलता हैः नयन सागर

श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर मुनीम कालोनी में जागृतिकारी संत नयन सागर मुनिराज ने भगवान महावीर और महामुनि सुकुमाल उपसर्ग पर किया प्रवचन

Update: 2024-06-22 11:52 GMT

मुजफ्फरनगर। श्री 1008 शांतिनाथ दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर मुनीम कालोनी में शनिवार को भी धर्म प्रवाह नजर आया। सवेरे तपोनिधि जागृतिकारी संत श्री 108 नयन सागर जी मुनिराज ने भक्तों को जीवन में अच्छे कर्मों के बावजूद भी संकट आने की दुविधा से निकालते हुए उनको भगवान महावीर के गौशाला और उपसर्गजयी महामुनिराज सुकुमाल के जीवन में आये संकटों पर प्रवचन करते हुए कहा कि जरूरी नहीं है कि हमें हमारे अच्छे और बुरे कर्मों का फल इसी जीवन में मिले, पूर्व के जीवन में किये गये कर्मों को फल हमें दूसरे जीवन में भी भुगतना पड़ता है। ऐसा भगवान के साथ भी हुआ।


जागृतिकारी संत श्री 108 आचार्य नयन सागर मुनिराज श्री दिगम्बर जैन मंदिर निर्मलायतन नानौता जनपद सहारनपुर से 16 जून को विहार करते हुए 21 जून को छह साल की भावपूर्ण प्रतीक्षा के बाद जनपद मुजफ्फरनगर पहुंचे और श्री 1008 शांतिनाथ दिगमबर जैन पंचायती मंदिर मुनीम कालोनी नई मंडी में उनका भव्य मंगल प्रवेश हुआ। इसके दूसरे दिन शनिवार को भी मंदिर श्री में उनके दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्रावक-श्राविकाएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। सवेरे आठ बजे धर्म सभा में तपोनिधि आचार्य नयन सागर मुनिराज ने अपने प्रवचन में पूर्व और वर्तमान जन्मों में किये गये कर्मों की कहानियों को सामने रखते हुए कहा कि मुनि बनने के बाद किसी के भी कर्म खराब नहीं हो सकते, लेकिन फिर भी जीवन में संकट आ जाता है, जब कर्म अच्छे हैं तो संकट नहीं आना था, लेकिन कई बार अच्छा करते रहने के बावजूद भी हम संकटों से घिर जाते हैं, ये सभी कुछ हमारे पूर्व जीवन के कुछ कर्मों को फल होता है।


इसके लिए उन्होंने भगवान महावीर के जीवन में आये गौशाला उपसर्ग को भक्तों के सामने रखते हुए कहा कि भगवान के जीवन में भी संकट पूर्व जन्म के कर्म के फल के कारण ही आया। बताया कि भगवान महावीर के अलावा जैन धर्म में महामुनिराज की उपाधि पाने वाले उपसर्गजयी सुकुमाल जी के जीवन में भी संकट आये, जबकि वो महामुनिराज थे, संकटों ने उनको भी घेरा। तपस्या के दौरान एक सिंहनी ने उन पर हमला करे हुए उनको कष्ट पहुंचाया। यह भी पूर्व जन्म के कर्म का फल उनको मुनि जीवन में मिला। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार मानव के जीवन में अच्छे कर्म करने के बाद भी यदि संकट है तो ये उसके पूर्व जन्म के कर्म का ही प्रतिफल है। ऐसे संकटों से पार पाने के लिए हमें धर्म के रास्ते पर ही अडिग रहना है, विचलित नहीं होना है। इस दौरान मंदिर कमेटी के अध्यक्ष सुभाष जैन, महामंत्री जितेन्द्र जैन टोनी, कोषाध्यक्ष सुखमाल जैन एडवोकेट, सुनील जैन, उप मंत्री विभोर जैन आदि पदाधिकारियों और श्रावक श्राविकाओं ने महाराज श्री का दर्शन करते हुए आशीर्वाद लिया।

Similar News