दान-पुण्य में छिपा है जीवन का कल्याणः आचार्य नयन सागर जी

श्री दिगम्बर जैन गुरूतीर्थ निर्मलायतन में मंगल कलश स्थापना के साथ मुनिराज नयन सागर का वर्षायोग का भव्य शुभारंभ, आचार्य श्री ने लोगों को दिलाया मानवता के मार्ग पर चलने का संकल्प, कहा-इस चातुर्मास में निर्मलायतन का सौन्दर्यकरण उनकी प्राथमिकता

Update: 2023-07-03 10:57 GMT

नानौता। जैन मुनि आचार्यरत्न जागृतिकारी संत श्री 108 नयन सागर जी मुनिराज का इस बार वर्षायोग श्री दिगम्बर जैन गुरू तीर्थ निर्मलायतन में हो रहा है। सोमवार को गुरू पूर्णिमा के पावन अवसर पर वर्षायोग के लिए भव्य कलश स्थापना समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें दूर दराज से आये जैन समाज के साधक-साधिकाओं ने भारी संख्या में प्रतिभाग करते हुए गुरूदेव के चरणों में श्रीफल भेंटकर नमन किया। इस अवसर पर आचार्यरत्न नयन सागर जी मुनिराज ने लोगों को जगत कल्याण के लिए सेवा भाव के साथ कार्य करने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि दान-पुण्य में ही जीवन का सुख और कल्याण छिपा हुआ है। उन्होंने कहा कि वो चाहते हैं कि 13 साल पूर्व स्थापित निर्मलायतन गुरूतीर्थ का इस चातुर्मास में कल्याण और सौन्दर्यकरण हो जाये, यह सभी के सहयोग से ही संभाव हो पायेगा। इसकी शुरूआत गुरूतीर्थ के मुख्य द्वार की स्थापना से होने जा रही है।


बता दें कि पांच वर्ष के उपरांत गुरूदेव आचार्य श्री 108 नयन सागर जी मुनिराज क्षेत्र में पधारे हैं। उन्होंने श्री दिगम्बर जैन गुरूतीर्थ निर्मलायतन परिवार का आग्रह स्वीकार करते हुए यहां अपना वर्षायोग करने के लिए 9 फरवरी को गिरनार से विहार किया और करीब 1600 किलोमीटर लम्बी यात्रा करने के बाद उनका 2 जून को गुरूतीर्थ निर्मलायतन में मंगल प्रवेश हुआ। सोमवार को नयन सागर मुनिराज के वर्षायोग के लिए यहां पर भव्य कलश स्थापना समारोह का आयोजन किया गया। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में कैराना से सांसद प्रदीप चैधरी और अन्य भाजपा नेता उपस्थित रहे। सांसद प्रदीप चैधरी ने आचार्य श्री की चरण वंदना कर आशीर्वाद प्राप्त किया। समारोह के स्वागताध्यक्ष मदन लाल, मनोज जैन, विपिन जैन, विकास जैन ने अतिथियों और श्र(ालुओं का स्वागत किया। धर्म ध्वजारोहण भरतेश जैन, पराग जैन, पंकज जैन द्वारा किया गया। मंच उद्घाटन की परम्परा को सुभाष चन्द देव कुमार जैन सर्राफ ने पूर्ण किया। सुशील जैन, सुनील जैन, अनिल जैन ने चित्र अनावरण तथा मनोज जैन, शशांक जैन सर्राफ ने दीप प्रज्जवलन किया। चरण प्रक्षालन की विधि सुधीन जैन, योगेश जैन, विनेश जैन, सुनील जैन नावला परिवार द्वारा पूर्ण की गयी तो जिनेन्द्र प्रसाद, तरूण जैन, आरव जैन, अंश जैन ने शास्त्र भेंट किया। पाद प्रक्षालन, गुरू आरती, अतिथि सम्मान और गुरू पूजा के बाद समारोह को निरंतरता प्रदान की गयी।


समारोह में आचार्य श्री नयन सागर मुनिराज ने अपने मंगल प्रवचन में लोगों को मानवता का संदेश देते हुए कहा कि जैन परम्परा में वर्षायोग आषाढ़ शुक्ल चतुर्दशी में प्रारम्भ होता है। आज दिल्ली से देहरादून तक जैन साधु संत चातुर्मास के लिए विराजमान हैं। यह इस क्षेत्र के लोगों के लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने निर्मलायतन गुरूतीर्थ की स्थापना को याद करते हुए कहा कि 13 वर्ष पूर्ण उन्होंने समाज के साथ मिलकर साल 2010 में इस गुरूतीर्थ की नींव रखी। पंच कल्याणक के लिए गुरूदेव समाधिस्थ निर्मल सागर जी से प्रेरणा मिली। उन्होंने कहा था कि यहां जैन परम्परा की प्राचीन मूर्ति को स्थापित कराना। साल लग गये उसको तलाश करने के लिए। इसके बाद गुरूदेव ने गिरनार से 598 साल का इतिहास रखने वाली प्राचीन भगवान मल्लिनाथ की प्रतिमा इस गुरूतीर्थ के लिए गिरनार से भेंट की। जो यहां कमल मंदिर में स्थापित कराई गयी। इसके साथ ही भगवान पुष्पदंत की खड़गासन प्रतिमा की स्थापना 2016 में यहां पर कराई गई। अब वो पांच साल के बाद यहां पर आये हैं। इस बीच कोरोना आया, सामाजिक दूरी बढ़ी। ऐसे में गुरूतीर्थ में भी धर्म और अध्याय के लिए लोगों का आना जाना कम होता चला गया है।


उन्होंने कहा कि वर्षायोग जीवन जीने की कला है, मरने का भय उन्हीं को सताता है, जो जीवन के भ्रम में हैं। यहां वर्षायोग पूर्ण करने का मेरा उद्देश्य इस गुरूतीर्थ का सौन्दर्यकरण कराना है, ताकि लोग इससे बड़ी संख्या में जुड़ सकें। उन्होंने कहा कि जीवन का कल्याण दान और पुण्य में ही छिपा है। यहां हमें मिलकर गुरूतीर्थ को संवारना और सजाना है। इसके लिए मुख्य द्वार का निर्माण और भगवान पुष्पदंत की खड़गासन प्रतिमा का सौन्दर्यकरण और अन्य अधूरे कार्य शामिल हैं। यहां पर भगवान पुष्पदंत की प्रतिमा की स्थापना के बाद क्षेत्र का कल्याण हुआ है। यही अतिशय है। जब भगवान जिनेन्द्र रथयात्रा में भक्तों को दर्शन देने के लिए निकलते हैं, तब जहां तक उनकी दृष्टि जाती है वहां तक मानव का कल्याण हो जाता है, लोगों के पाप धुल जाते हैं। उन्होंने श्री दिगम्बर जैन समाज नानौता के प्रयासों की सराहना करते हुए सम्पूर्ण दिगम्बर समाज को इस गुरूतीर्थ के विकास के लिए जुटने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि आज में उत्साहित भी हूं और उतना ही भावुक भी हूं, क्योंकि समाज के जुट जाने से ये गुरूतीर्थ अब बाहरी आवरण में जल्द एक नया स्वरूप हासिल कर पायेगा।


इसके पश्चात मंत्रोच्चार विधि से वर्षायोग मंगल कलश स्थापना पूर्ण की गई। समस्त विधि पं. अशोक शास्त्री धीरज दिल्ली के द्वारा सम्पन्न कराई गयी। मंच संचालन रविन्द्र जैन, नितिन जैन नयन और पुनीत जैन द्वारा किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से वर्षायोग निर्देशक डाॅ. जयकुमार जैन, मनोरमा जेन, प्रशांत जैन, अरूण जैन, संजीव जैन, राजेश जैन, राजीव जैन, मनोज जैन एलजी, सुभाष अग्रवाल, शरद गोयल बंटी, सुनील जैन, प्रवीण जैन चीनू, रोहित जैन अप्पू, पूर्व सभासद विकल्प जैन, जितेन्द्र जैन टोनी, सुनील जैन, निशीत जैन, सतपाल जैन, अनुज जैन सहित सैंकड़ों श्र(ालु मौजूद रहे। श्री दिगम्बर जैन गुरूतीर्थ निर्मलायतन, नयन जागृति संस्थान श्री निर्मलायतन परिवार और श्री निर्मलसागर प्रभावना संघ ट्रस्ट के पदाधिकारियों का सहराहनीय योगदान रहा। 

Similar News