MUZAFFARNAGAR-लापता पत्रावली पर पालिका में लठ्ठम लठ्ठा!

लिपिक मनोज पाल की जांच का मामला फिर से अधर में लटका, निलम्बन आदेश वाली पत्रावली तलाशने में छूट रहे पसीने, कार्यालय अधीक्षक पारूल ने लिपिक ओमवीर पर लगाया पत्रावली नहीं देने का आरोप, ओमवीर बोले-पत्रावली उनके पास नहीं

Update: 2024-08-26 10:14 GMT

मुजफ्फरनगर। सूत न कपास और जुलाहे से लठ्ठम लठ्ठा, कुछ ऐसा ही मामला इन दिनों नगरपालिका परिषद् में बना नजर आ रहा है। पालिका में यूं तो अक्सर ही कई दस्तावेज और पत्रावलियां गायब होने को लेकर सवाल उठते रहे हैं, लेकिन एक कर्मचारी के निलम्बन होने के प्रकरण से जुड़ी पत्रावली करीब सवा साल से तलाश की जा रही है। इस पत्रावली को जमीन खा गई या आसमान निगल गया, किसी के पास कुछ जवाब नहीं है। इसी पत्रावली को लेकर अब ताजा मामला यह है कि नये जांच अधिकारी को भी पत्रावली नहीं मिली और जांच फिर से अधर में लटकने की संभावना बन गई है। पत्रावली को लेकर पूर्व और वर्तमान कार्यालय अधीक्षक भी अब आमने सामने आ चुके है। प्रभारी कार्यालय अधीक्षक ने पत्र जारी करते हुए स्पष्ट आरोप लगाया है कि पूर्व ओएस पत्रावली उनको उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। पूर्व ओएस से यह पत्र ही रिसीव नहीं किया।

करीब सवा साल पहले तत्कालीन ईओ हेमराज सिंह ने दाखिल खारिज के एक प्रकरण में शासन से हुई जांच के बाद लिपिक मनोज पाल को निलम्बित कर कर अधीक्षक नरेश शिवालिया को जांच सौंप दी थी, तभी से लेकर आज तक यह मामला विवादों में बना हुआ है, क्योंकि आरोप पत्र का जवाब देने के बाद भी मनोज पाल के खिलाफ चल रही जांच पूरी ही नहीं की गई, यही कारण रहा कि उनको करीब 14 महीने तक निलम्बित रहना पड़ा और कांवड़ यात्रा के दौरान चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप द्वारा उनको बहाल करते हुए जांच अधिकारी भी बदल दिया गया। अब उनके खिलाफ लगे आरोपों की जांच कर अधीक्षक नरेश शिवालिया से हटाकर कर निर्धारण अधिकारी दिनेश कुमार को सौंपी गयी है। ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह ने प्रभारी कार्यालय अधीक्षक राजस्व निरीक्षक पारूल यादव को लिपिक मनोज पाल के निलम्बन आदेश से जुड़ी पत्रावली जांच अधिकारी को उपलब्ध कराने और जांच अधिकारी को जल्द जांच पूरी करते हुए अपनी आख्या उपलब्ध कराने के निर्देश दिये। दिनेश कुमार ने जांच के लिए सम्बंधित पत्रावली मांगी तो पालिका में नई हलचल मच गई।

सूत्रों के अनुसार पारूल यादव ने ईओ को जानकारी दी कि मनोज पाल सम्बंधित पत्रावली चार्ज में उनको नहीं मिली और वो पत्रावली उनके पूर्व कार्यालय अधीक्षक रहे लिपिक ओमवीर सिंह के पास है। तीन दिन पहले पारूल यादव ने इस सम्बंध में ओमवीर सिंह के नाम एक पत्र जारी किया। इसमें कहा गया कि 14 अगस्त को जांच अधिकारी कर निर्धारण अधिकारी दिनेश कुमार द्वारा उनको आदेशित किया गया है कि लिपिक मनोज पाल के निलम्बन प्रक्रिया सम्बंधी पत्रावली अधिष्ठान लिपिक को उपलब्ध करा दी जाये। ओमवीर सिंह ने चार्ज में उनको पत्रावली उपलब्ध नहीं कराई, इसलिए ओमवीर सिंह को तीन दिनों में पत्रावली उपलब्ध कराने के लिए कहा गया। यहीं से नया विवाद खड़ा हो गया है। आरोप है कि ओमवीर सिंह ने यह पत्र रिसीव करने से ही इंकार कर दिया और इसको लेकर पारूल यादव के साथ उनकी तीखी झड़प भी हो गई। इस दौरान ओमवीर सिंह ने पारूल के साथ अभद्रता भी की। जिसकी शिकायत ईओ और चेयरपर्सन को भी की गई है।

पारूल यादव का कहना है कि मनोज के निलम्बन से जुड़ी पत्रावली उनको नहीं दी गई है। जानकारी में यही आया है कि पत्रावली ओमवीर सिंह के पास है। इसलिए उन्होंने पत्र लिखकर जानकारी मांगी है। वहीं ओमवीर सिंह का कहना है कि जो पत्रावली उनसे मांगी जा रही है, वो कभी भी उनके पास नहीं रही है। उनके ओएस रहने से पहले भी यह पद पारूल ही संभाल रही थी। जब पत्रावली उनके पास है ही नहीं तो उसे कैसे उपलब्ध करा सकते हैं। उन्होंने अभद्रता के आरोपों को भी झूठा बताते हुए कहा कि ईओ और चेयरपर्सन को भी वो जानकारी दे चुके हैं। पत्रावली अधिष्ठान लिपिक के ही पास होनी चाहिए थी। प्रकरण में ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह ने कहा कि मनोज पाल की बहाली आदेश के साथ ही कर निर्धारण अधिकारी को जांच अधिकारी नामित किया गया था। इसके साथ ही उनको जांच जल्द पूरी करते हुए आख्या देने के लिए कहा गया। अब प्रभारी कार्यालय अधीक्षक पारूल यादव ने निलम्बन आदेश सम्बंधी पत्रावली उनके पास न होकर पूर्व में उनकी सीट पर रहे लिपिक ओमवीर सिंह के पास होने की जानकारी दी है और पत्रावली उपलब्ध कराने के लिए उनको पत्र भी लिखा गया है। ओमवीर सिंह से इस सम्बंध में जानकारी की जा रही है।

निलम्बन से पत्रावली गायब होने तक यह है पूरा मामला

मुजफ्फरनगर। संपत्ति के दाखिल खारिज प्रकरण में गलत ढंग से नामांतरण करने का आरोप लगाते हुए अनु शुक्ला पुत्र रवि शंकर शुक्ला निवासी गुदडी बाजार ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर 24 मार्च, 2023 को शिकायत करते हुए जांच कराने और दोषियों पर कार्यवाही करने की मांग की थी। इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री कार्यालय से विशेष सचिव उत्तर प्रदेश शासन, नगर विकास लखनऊ को जांच अग्रसारित की गई थी। विशेष सचिव के द्वारा जिलाधिकारी मुजफ्फरनगर से जांच आख्या मांगी गई थी। इसमें जिलाधिकारी ने एडीएम वित्त एवं राजस्व को जांच सौंपी गई थी। एडीएम की जांच आख्या के आधार पर दाखिल खारिज प्रकरण में कार्यवाही करते हुए कर विभाग के लिपिक मनोज पाल को 01 जून 2023 को निलम्बित करने के आदेश पालिका ईओ को दिय गये थे। 07 जून को ईओ हेमराज सिंह ने मनोज को सस्पेंड कर आरोप पत्र जारी करते हुए स्पष्टीकरण मांगा गया था। इसके साथ ही कर अधीक्षक नरेश शिवालिया को इस प्रकरण में जांच अधिकारी नामित कर दिया गया था। मनोज ने आरोपों को लेकर अपना स्पष्टीकरण भी जांच अधिकारी को सौंप दिया गया था। कर अधीक्षक ने अपनी जांच आख्या 16 दिसम्बर 2023 को ईओ हेमराज सिंह को सौंप दी थी, लेकिन इसके बाद जांच पूरी नहीं की जा सकी है। जुलाई 2024 के अंत में चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप ने मनोज पाल को बहाल कर दिया और अब जांच की यह गेंद कर निर्धारण अधिकारी दिनेश कुमार के पाले में है, उनका कहना है कि पत्रावली उनको मिले तो ही जांच की जाये ना। अब पत्रावली कौन उपलब्ध कराये, यह पालिका में यक्ष प्रश्न बन चुका है।

15 महीने से पत्रावली लापता, आरोप-प्रत्यारोप का चल रहा दौर

मुजफ्फरनगर। दाखिल खारिज प्रकरण की शिकायत में निलम्बित लिपिक मनोज पाल के प्रकरण से सम्बंधित पत्रावली आज ही नहीं बल्कि 15 महीनों से लापता है। पूर्व ईओ हेमराज सिंह ने इसी पत्रावली पर आरोप पत्र जारी करते हुए निलम्बन आदेश और जांच शुरू कराई थी। इसके बाद से ही पत्रावली रहस्यमयी ढंग से गायब हो गई। हर बार सवाल ओमवीर सिंह की तरफ ही उठता रहा है और वो इंकार करते रहे। दरअसल, जून 2023 में जब निलम्बन आदेश जारी हुआ तो यह पत्रावली अधिष्ठान लिपिक रहे सुनील कुमार के पास थी। उनसे सवाल जवाब हुए तो यह पता चला कि उनके द्वारा तत्कालीन कार्यालय अधीक्षक पूरण सिंह को यह पत्रावली सौंपी गई थी। पूरण सिंह रिटायर्ड हुए तो पारूल यादव ही कार्यालय अधीक्षक के चार्ज पर आई और पारूल के बाद ओमवीर सिंह इस चार्ज पर रहे, लेकिन पत्रावली को तलाश नहीं कर पाया।

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