MUZAFFARNAGAR-नगरपालिका में फिर लटका संपत्तियों का नामांतरण

विभागीय रिपोर्ट में कमी के कारण स्वीकृत 400 पत्रावलियों को ईओ ने कर विभाग को वापस लौटाया, राजस्व निरीक्षक की जांच आख्या पर कर अधीक्षक से मांगी गई संस्तुति सहित स्वीकृति रिपोर्ट, टीएस नई रिपोर्ट बनाने में जुटे

Update: 2024-05-14 10:54 GMT

मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् में संपत्ति नामांतरण (दाखिल- खारिज) लोगों के लिए टेढ़ी खीर बनता नजर आ रहा है। इसको लेकर खुद विभागीय अफसर भी रोजमर्रा खड़े हो रहे यक्ष प्रश्नों को लेकर परेशान हैं। करीब दो साल से संपत्तियों का नामांतरण नहीं होने के कारण काफी संख्या में लोग पालिका के चक्कर काटने को विवश हैं। पहले चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप के प्रयासों के बाद ये रूका काम पटरी पर आने लगा था, लेकिन इसके बावजूद विभागीय स्तर पर संपत्ति नामांतरण के प्रकरणों का निपटारा फिर से पटरी से उतरता दिखाई दे रहा है। अब विभागीय जांच में ओके ठहराई गई संपत्ति नामांतरण की करीब 400 पत्रावलियां विभागीय रिपोर्ट के फेर में फंसकर रह गई हैं। पालिका ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह ने पत्रावलियों पर लगाई गई रिपोर्ट को अधूरी बताते हुए सभी पत्रावलियां विभाग को वापस कर दी हैं। नियमानुसार रिपोर्ट लगाने के निर्देश दिये हैं। ईओ के आदेश पर कर अधीक्षक ने सभी पत्रालियों को तलब करते हुए जांच आख्या को दुरूस्त करना शुरू कर दिया है।

साल 2022 में तत्कालीन चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल के अधिकार सीज होने के साथ ही पालिका में कामकाज भी बेपटरी हो गया था। इसी में पालिका में संपत्तियों के नामांतरण का कार्य भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ। मई 2023 में जब मीनाक्षी स्वरूप ने चेयरपर्सन के रूप में कार्यभार संभाला तो करीब साढ़े पांच सौ से ज्यादा संपत्ति नामांतरण के प्रकरण लंबित थे। उनके बोर्ड की पहली ही बैठक में यह मामला उठाया गया तो चेयरपर्सन ने विभागीय अधिकारियों को संपत्ति नामांतरण के मामले संवेदनशील कार्यशैली के साथ निपटाने के सख्त निर्देश दिये। विभागीय स्तर पर सैंकड़ों पत्रावलियों का निस्तारण भी किया गया, लेकिन इसके बाद करीब 400 पत्रावलियों का मामला हस्ताक्षर अधिकार के फेर में फंसकर रह गया। अधिकार होने के बावजूद तत्कालीन ईओ हेमराज सिंह ने इन पत्रावलियों पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया था।

जनवरी 2024 में यह विवाद सार्वजनिक हुआ तो चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप की सख्ती के बाद हेमराज सिंह ने करीब 120 पत्रावलियों का निस्तारण किया था। इसी बीच उनका तबादला गैर जनपद हो गया और शेष पत्रावलियां फिर से लटक गई। इसी बीच सैंकड़ों नई पत्रावलियों का आवेदन और जांच का काम भी विभागीय स्तर पर पूर्ण कर लिया गया। बताया गया कि करीब 400 संपत्ति नामांतरण की पत्रावलियों का निस्तारण करने के लिए अधिशासी अधिकारी डॉ. प्रज्ञा सिंह के समक्ष प्रस्तुत किया गया तो पत्रावलियों में राजस्व निरीक्षकों के द्वारा लगाई गई रिपोर्ट और विभागाध्यक्ष होने के नाते कर अधीक्षक नरेश शिवालिया द्वारा जांच आख्या पर दी गई स्वीकृति में खामी नजर आने पर ईओ ने सभी पत्रावलियों को विभाग को वापस लौटा दिया है। ईओ ने निर्देश दिये हैं कि राजस्व निरीक्षकों की जांच आख्या का परीक्षण करने के साथ ही उस पर कर अधीक्षक अपनी संस्तुति सहित आख्या दें, ताकि किसी भी प्रकरण में कोई गलती होने की संभावना शेष न रह जाये। इसके बाद ही पत्रावलियों का उनके स्तर से निस्तारण होगा। ईओ के आदेश के बाद एक बार फिर से संपत्ति निस्तारण के प्रकरण अधर में लटकते नजर आ रहे हैं।

इस सम्बंध में ईओ डॉ. प्रज्ञा का कहना है कि संपत्ति नामांतरण के प्रकरणों में कई पत्रावलियों पर रिपोर्ट गलत ढंग से लगाई है। विभागाध्यक्ष होने के नाते कर अधीक्षक को राजस्व निरीक्षकों की रिपोर्ट को परखने के साथ ही अपनी संस्तुति देनी चाहिए, जो अंकित नहीं की गई है। आधी अधूरी रिपोर्ट होने के कारण ही कुछ पत्रावलियों को विभाग को वापस लौटाया गया है। रिपोर्ट दुरुस्त होने के बाद उनका शीघ्र ही निस्तारण कराया जायेगा। कर अधीक्षक नरेश शिवालिया का कहना है कि पालिका में संपत्ति नामांतरण की पत्रावलियों का निस्तारण करने के लिए यहां पर बनी परम्परा के अनुसार ही काम किया गया है। पूर्व में भी किसी भी पत्रावली पर कर अधीक्षक की संस्तुति सहित आख्या दर्ज नहीं है। ईओ के आदेश के तहत सभी पत्रावलियों को मंगा लिया गया है। उनके द्वारा उन पर राजस्व निरीक्षकों द्वारा दर्ज जांच आख्या का परीक्षण करते हुए अपनी संस्तुति दर्ज कराकर ईओ के समक्ष निस्तारण के लिए प्रस्तुत कराया जायेगा। 

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