नई दिल्ली | कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला। सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर कांग्रेस की आलोचना करने वाले, प्रधानमंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए खड़गे ने कहा कि “देश में कानून-व्यवस्था की दिक्कतें भाजपा और RSS की वजह से हैं, और अब समय आ गया है कि RSS पर बैन लगाया जाए।”
दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में खड़गे ने कहा—
“यह मेरा स्पष्ट मत है कि RSS पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। अगर प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह वास्तव में सरदार पटेल के सिद्धांतों का सम्मान करते हैं, तो उन्हें पटेल जी की तरह ही कदम उठाना चाहिए।”
1948 के पटेल पत्र का हवाला
खड़गे ने 18 जुलाई 1948 को तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल द्वारा श्यामा प्रसाद मुखर्जी को लिखे एक पत्र का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पटेल ने खुद स्वीकार किया था कि RSS के माहौल ने महात्मा गांधी की हत्या का रास्ता तैयार किया था। पत्र में पटेल ने लिखा था — “गांधी जी की हत्या की पृष्ठभूमि RSS और हिंदू महासभा की गतिविधियों से जुड़ी थी। इन संगठनों की कार्रवाइयों से देश की एकता और सरकार के अस्तित्व को खतरा पैदा हुआ।”
कांग्रेस अध्यक्ष ने भाजपा पर आरोप लगाया कि पार्टी ने नेहरू और पटेल के बीच मतभेद पैदा करने की झूठी कहानी गढ़ी। उन्होंने कहा, “नेहरू और पटेल में परस्पर सम्मान था। नेहरू ने पटेल की प्रशंसा की कि उन्होंने भारत की एकता को साकार किया, और पटेल ने नेहरू को राष्ट्र का आदर्श बताया था।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के एकता नगर (नर्मदा जिला) में सरदार पटेल की जयंती पर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर पुष्पांजलि अर्पित की और कार्यक्रम में कहा — “सरदार पटेल पूरे कश्मीर को भारत में मिलाना चाहते थे, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने ऐसा नहीं होने दिया। उन्होंने कश्मीर को अलग संविधान से बांट दिया, जिससे देश दशकों तक उसकी आग में झुलसता रहा।” मोदी ने कांग्रेस पर यह भी आरोप लगाया कि पार्टी ने अंग्रेजों की गुलाम मानसिकता को अपनाया और वंदे मातरम् के एक हिस्से को हटाकर समाज में विभाजन की राजनीति को बढ़ावा दिया।
महात्मा गांधी की हत्या के बाद, 4 फरवरी 1948 को तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल ने RSS पर प्रतिबंध लगाया था। उन्होंने कहा था कि “गांधी जी की हत्या के बाद RSS के कुछ लोगों ने मिठाई बांटी थी।” बाद में 11 जुलाई 1949 को RSS ने सरकार को लिखित रूप में संविधान और अहिंसा का पालन करने का आश्वासन दिया, जिसके बाद बैन हटा लिया गया।






