टीएओ दिनेश यादव के जाने के बाद साइन अथॉरिटी तय नहीं होने से स्थिति बनी गंभीर, लोगों को उठानी पड़ रही दिक्कत
मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् में विभागीय कार्यप्रणाली मनमर्जी व्यवस्था पर आकर टिक गई है। एक बार फिर से पालिका में नागरिकों को सुविधा और सेवा पाने के लिए गंभीर उत्पीड़न जैसी स्थिति से गुजरना पड़ रहा है। न कर्मचारी सुन रहे हैं और न ही अधिकारियों के दर से राहत मिल रही है। अचल संपत्ति नामांतरण के साथ ही जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र पाने जैसे मूलभूत अधिकार में शासन द्वारा तय समयब(ता की बात तो छोड़ दो, कई-कई महीने बीतने पर भी पत्रावलियों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। ऐसे में आवेदक कामकाज छोड़कर टाउनहाल में यहां से वहां के चक्कर काटने को विवश हैं।
नगरपालिका परिषद् में अचल संपत्तियों पर गृहकर और जलकर का भुगतान पाने के लिए संपत्ति नामांतरण कराया जाता है। टैक्स विभाग में इसके लिए आये आवेदनों पर फिर से सुनवाई नहीं हो रही है। आवेदन के बाद जांच आख्या सहित करीब 800 से ज्यादा अचल संपत्ति नामांतरण की पत्रावलियां तैयार है, लेकिन उनका अंतिम निस्तारण बोर्ड प्रस्ताव और चेयरमैन के आदेश के फेर में लटका हुआ है।
बता दें कि पूर्व में भी करीब 800-900 अचल संपत्ति नामांतरण के लिए आवेदन पत्रावलियों का निस्तारण अधर में लटक गया था। शासन से यहां पर कर निर्धारण अधिकारी के रूप में दिनेश यादव की नियुक्ति हुई और बोर्ड ने उनको अधिकार दिये तो कई-कई माह से लंबित इन पत्रावलियों का निस्तारण हुआ, लेकिन अधिशासी अधिकारी डॉ. प्रज्ञा की शिकायत के बाद कर निर्धारण अधिकारी दिनेश यादव का 14 मई को स्थानीय निकाय निदेशालय में अटैचमेंट कर दिया गया। इसके बाद जून, जुलाई ओर अगस्त के साथ ही सितम्बर तक अचल संपत्तियों के नामांतरण के लिए टैक्स विभाग में आये आवेदनों का निस्तारण अधर में लटक गया है। बताया गया कि करीब 800 से ज्यादा अचल संपत्ति नामांतरण की पत्रावलियां जांच प्रक्रिण पूर्ण होने के बाद अंतिम आदेश के फेर में लटकी हैं, इसके लिए लोगों को लगातार पालिका के चक्कर लगाते हुए देखा जा सकता हैै।
वहीं दूसरी ओर जन्म मृत्यु पटल पर शपथ पत्र के आधार पर सिटी मजिस्ट्रेट न्यायालय से बनने वाले प्रमाण पत्र भी लंबित रहने के कारण लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बताया गया है कि करीब 250 जन्म मृत्यु आवेदन पत्रावलियों को कमेटी की जांच के बाद सिटी मजिस्ट्रेट के कार्यालय से वापस पालिका भेज दिया गया है, इसमें कमेटी की रिपोर्ट पर सक्षम अधिकारी की संस्तुति आख्या नहीं पाई गई। इन सभी पत्रावलियों पर अधिशासी अधिकारी से कमेटी की रिपोर्ट पर संस्तुति आख्या मांगी गई है। ज्ञात रहे कि जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए शपथ पत्र वाले आवेदनों के निस्तारण के लिए ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह ने एक कमेटी का गठन किया था, इसमें नगर स्वास्थ्य अधिकारी, सीएसएफआई, संबंधित क्षेत्र के एसएफआई और संबंधित पटल लिपिक शामिल हैं। इन चारों की जांच आख्या के बाद ईओ अपने हस्ताक्षर से कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर प्रमाण पत्र जारी करने की आख्या सिटी मजिस्ट्रेट को भेज रही थी, लेकिन अब इस व्यवस्था में बदलाव के फंसे पेंच के कारण करीब 250 पत्रावलियां लटक गई हैं।
आठ महीने से जन्म प्रमाण पत्र के लिए धक्के खा रहा प्रवीण
मुजफ्फरनगर पालिका में विभागीय कामकाज में ठहराव लोगों को मानिसक और आर्थिक दोनों रूप से परेशान कर रहा है। शहर के मौहल्ला गांधीनगर निवासी प्रवीण कुमार पुत्र पालेराम ऐसे ही व्यक्ति हैं, जो आठ महीने से टाउनहाल से कचहरी तक अपने पुत्र के जन्म प्रमाण पत्र के लिए चक्कर काट रहे हैं, कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
सोमवार को प्रवीण कुमार अपने एक साथी के साथ टाउनहाल स्थित जन्म मृत्यु पटल पर पहुंचे और अपने 14 वर्षीय पुत्र आर्यन जयन्त के जन्म प्रमाण पत्र के लिए किये गये आवेदन के निस्तारण की जानकारी करने पहुंचे थे, लेकिन उनको बताया गया कि सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय से आवेदन वापस आ गये, अभी नहीं बनेगा। प्रवीण ने बताया कि उसका पुत्र डीएवी में कक्षा आठवीं का छात्र हैं, उसने करीब आठ माह पूर्व उसका जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए नियमानुसार शपथ पत्र और दो गवाह के साथ सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय में आवेदन किया, इसके लिए उसको आवंेदन संख्या 1163 सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय से दिया गया। जहां से पत्रावली जांच के लिए पालिका में आई, जांच पूरी हो चुकी है, लेकिन फिर भी पत्रावली निस्तारित नहीं हो रही है। कॉलेज से हर रोज बच्चे का प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है, बच्चा भी परेशान है, वो काम छोड़कर पालिका से कचहरी तक चक्कर लगाने को विवश हैं।
चेयरमैन के आदेश बेमानी, बोर्ड प्रस्ताव से परेशानी
मुजफ्फरनगर। टैक्स विभाग में अचल संपत्ति नामांतरण पत्रावलियों के अंतिम निस्तारण का अधिकार चेयरमैन मीनाक्षी स्वरूप ने अधिशासी अधिकारी डॉ. प्रज्ञा सिंह को दिया, लेकिन उनको आदेश बेमानी होकर रह गया। इसमें बोर्ड से पारित अधिकार हस्तांतरण प्रस्ताव ने परेशानी पैदा कर दी है।
ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह का कहना है कि पूर्व में वो संपत्ति नामांतरण पत्रावलियों का निस्तारण कर रही थी, टीएओ की पोस्टिंग के बाद पालिका बोर्ड में प्रस्ताव लाकर उनसे अधिकार लेते हुए कर निर्धारण अधिकारी को दिया गया था। मई में वो यहां से हटा दिये गये तो उनके समस्त अधिकार कार्यवाहक टीएस पारूल यादव को दे दिये गये। इसमें पारूल ने पत्रावलियों के निस्तारण पर हस्ताक्षर करने से इंकार किया तो अंतिम संस्तुति के लिए चेयरमैन मीनाक्षी स्वरूप ने ईओ को नामित करते हुए अधिकार दिया। बताया कि उनके आदेश की प्रतिलिपि उनको अभी तक नहीं मिली है। ऐसे में पिछले सप्ताह ही पटल लिपिक मोहन ने उनको पत्रावलियों के लंबित रहने और चेयरमैन द्वारा अधिकार संबंधी आदेश के बारे में बताया, तो वो चेयरमैन से मिली और बताया कि जब तक बोर्ड में पारित प्रस्ताव निरस्त नहीं होता वो साइन नहीं कर सकती। उनको आदेश संशोधित करने का आग्रह करते हुए पत्र लिखा है।
जन्म मृत्यु पटल पर पत्रावलियां लंबित रहने पर ईओ ने कहा कि पटल लिपिक नितिन कुमार 15 अगस्त के बाद लगातार बिना बताये अवकाश पर रहे। करीब 12 दिनों तक कार्यालय नहीं आने पर उनका वेतन काटने के निर्देश दिये जा चुके हैं। ऐसे में कार्य सुचारू बनाने को उनका चार्ज चेयरमैन द्वारा राजीव वर्मा को दिया गया, उन्होंने असमर्थता जताई तो यह चार्ज वर्तमान में लिपिक मनोज पाल को दिया गया है। ऐसे में करीब 20 दिनों तक कार्य प्रभावित रहा। पूर्व से सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय में पत्रावलियां कमेटी की रिपोर्ट पर उनके साइन से प्रेषित की जा रही थीं, लेकिन पिछले सप्ताह ही पता चला कि करीब 200-250 पत्रावलियां लौटाई गई, इन पर उनसे संस्तुति सहित आख्या मांगी है। हमने सिटी मजिस्ट्रेट को पूर्व व्यवस्था की जानकारी दी और लंबित इन पत्रावलियों को कमेटी रिपोर्ट पर ही स्वीकृत करने का आग्रह किया। अब जो भी नए आवेदन होंगे वो कमेटी रिपोर्ट पर उनकी संस्तुति के साथ प्रेषित करने के लिए लिपिक मनोज पाल को निर्देशित किया है।







