श्री आदर्श रामलीला कमेटी पटेलनगर में वायुमार्ग से उड़े बजरंग बली तो श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा आसमां
मुजफ्फरनगर। श्री आदर्श रामलीला भवन सेवा समिति पटेलनगर द्वारा इस साल मनाये जा रहे स्वर्ण जयंती रामलीला मंचन महोत्सव में सोमवार की रात्रि में कलाकारों द्वारा बालि वध के बाद लंका दहन लीला का रोमांचकारी मंचन किया गया। मां सीता की खोज में सौ योजन समुद्र पार कर लंका पहुंचे हुनमान जी ने वायुमार्ग से उड़कर लंका में आग लगाई, दर्शकों ने जय बजरंगबली और जय श्रीराम के नारों से पूरा माहौल भक्तिमय बना दिया। लंका दहन के साथ भव्य आतिशबाजी ने सभी को रोमांचित किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में दर्शक उपस्थित थे, जिनमें बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी ने इस दिव्य लीला का आनंद उठाया।

श्री आदर्श रामलीला भवन सेवा समिति पटेलनगर में बुधवार को लीला मंचन का शुभारंभ आरती और पूजन के बाद मुख्य अतिथि सीए शीतल जैन, चिराग गर्ग शाकुम्भरी पेपर मिल, जय प्रकाश बंसल और सत्यप्रकाश रेशू एडवरटाईजर्स के पारिवारिक सदस्यों के द्वारा मंच पर दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ। रामलीला कमेटी के मुख्य प्रबंधक अनिल ऐरन, कार्यक्रम संयोजक विकल्प जैन, अध्यक्ष गोपाल चौधरी, उपाध्यक्ष प्रमोद गुप्ता, महामंत्री सुरेंद्र मंगल, मंत्री जितेंद्र कुच्छल, मनोज पाटिल ने अतिथियों को रामलला की भव्य भेंट देकर सम्मानित किया। लीला की शुरूआत बालि और सुग्रीव के बीच भयंकर यु( के साथ होती है। बालि से पराजित होने के बाद सुग्रीव भगवान राम की शरण में पहुंचते हैं और फिर दूसरे यु( में भगवान श्री राम बालि का वध कर सुग्रीव को राजपाट सौंप देते हैं। इसके पश्चात मां सीता की खोज के लिए हनुमान जी को उनकी शक्ति का स्मरण कराने की लीला ने सभी का मन मोह लिया।

जब राम जी की सेना समुंद्र के किनारे पहुंच जाती है तो प्रभु श्री राम हनुमान जी को रावण को अंतिम चेतावनी व सीता जी का हाल जानने के लिए भेजते हैं, जब हनुमान जी सौ योजन समुंद्र को पार कर पानी के ऊपर से जा रहे होते हैं तो आगे बढ़ने पर सुरसा हनुमानजी का रास्ता रोक लेती है। अनुनय विनय के बाद भी बात न बनने पर सुरसा के मुख का फैलाव 32 योजन होते ही हनुमान जी सूक्ष्म रूप धर प्रवेश कर, बाहर आ जाते हैं। मच्छर रूप धारण कर लंका में प्रवेश करने के बाद हनुमान जी मां सीता का पता लगाने में जुट जाते हैं, एक कुटिया से राम-राम की आवाज सुन हनुमान ब्राह्मण वेष धारण कर अंदर जाते हैं और सामने विभीषण को पाते हैं।

हनुमान का परिचय पाते ही विभीषण प्रणाम करते हैं और माता सीता का पता बताते हैं। अशोक वाटिका पहुंचे हनुमान सीता पर रावण द्वारा किए जा रहे अत्याचार से व्यथित हो जाते हैं। इसके बाद खाना खाने के समय उत्पात मचाने के चलते जब हनुमान जी को रोकने के लिए रावण पुत्र अक्षय पहुंचता है तो उसका संहार हो जाता है। मेघनाद द्वारा बंदी बनाकर उनको रावण दरबार में लाया जाता है तो अहंकारी रावण हनुमान जी की पूंछ में आग लगाने का आदेश देता है, लेकिन पल भर में हनुमान जी रावण की लंका को जलाकर राख करते हैं। रावण के दरबार से वायु मार्ग से होते हुए हनुमान लंका दहन करते हैं तो दर्शक रोमांच से भर जाते हैं। लंका दहन के बाद विभीषण शरणागत, सेतुबंध और श्री रामेश्वरम की स्थापना की लीला का सुन्दर मंचन कलाकारों द्वारा किया जाता है।

रामलीला समिति के संयोजक विकल्प जैन ने बताया कि पटेलनगर मैदान पर रामलीला महोत्सव के दौरान लंका दहन की लीला विशेष आकर्षण का केन्द्र रहती है। रामलीला मंच से करीब 25 फुट ऊंचाई पर भव्य लंका महल का सेट बनाया गया था। जहां वायुमार्ग से उड़कर हनुमान जी पहुंचे और लंका को दहन किया, यह मुख्य रोमांच देखने के लिए शहर के साथ ही आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से भी हर साल भारी संख्या में रामभक्त उमड़ते हैं। इस वर्ष भी लंका दहन की लीला को विशेष रूप से तैयार किया गया था, जिससे दर्शकों को एक नया रोमांच मिल सके।

इस अवसर पर मुख्य रूप से रामलीला कमेटी के मुख्य प्रबंधक अनिल ऐरन, कार्यक्रम संयोजक विकल्प जैन, अध्यक्ष गोपाल चौधरी, महामंत्री सुरेंद्र मंगल, मंत्री जितेंद्र कुच्छल, उपाध्यक्ष प्रमोद गुप्ता, मनोज पाटिल, दिनेश जैन ठेकेदार, अनिल लोहिया, पीयूष शर्मा, राकेश मित्तल, विनोद गुप्ता, रामलीला निर्देशक पंकज शर्मा, नारायण ऐरन, विजय मित्तल, जितेन्द्र नामदेव और गोविंद शर्मा, ज्योति ऐरन, कन्दर्प ऐरन, अनिल गोयल, यश चौधरी, गौरव मित्तल, अंशुल गुप्ता, अमर चौधरी, प्रदीप बॉबी, हरिओम मास्टर, सोनू सिंह, राजेश वशिष्ठ, देवेन्द्र पतला, शिवांश ठाकुर, पंकज वशिष्ठ, स्पर्श गर्ग, यश गर्ग, कृष्णा नामदेव, विशाल शर्मा, उदय कौशिक, जय प्रकाश, लक्ष्य बंसल, अभिषेक कश्यप, जतिन गर्ग, विपुल मोहन, अज्जु जैन, सहित अन्य कलाकार मौजूद रहे।






