मंत्री कपिल देव अग्रवाल भी रहे शामिल, कहा-धर्म संसद सनातन संस्कृति, सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता का सशक्त मंच
मुजफ्फरनगर। प्राचीन परंपराओं और आध्यात्मिक विरासत से ओतप्रोत पावन शुकतीर्थ में रविवार को सनातन चेतना, राष्ट्रधर्म और सामाजिक एकता का अद्भुत संगम देखने को मिला। साधु-संतों, धर्मगुरुओं और हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में आयोजित यह धर्म संसद न केवल एक धार्मिक आयोजन साबित हुई, बल्कि सांस्कृतिक जागरण और वैचारिक शक्ति का मजबूत मंच बनकर उभरी।

रविवार को महर्षि शुकदेव की तपोभूमि तथा पावन तीर्थनगरी और श्रीमद भागवत कथा की उदगम स्थली शुकतीर्थ में हिंदू संघर्ष समिति के तत्वावधान में ऐतिहासिक एवं विराट सनातन धर्म संसद का आयोजन भव्य रूप से संपन्न हुआ। धर्म संसद में देशभर से पहुंचे साधु-संतों और महामंडलेश्वरों की उपस्थिति में कुल 12 प्रस्ताव पारित किए गए, जिनमें भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने, गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा देने तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन सहित हिंदुत्व हित में अनेक विचार शामिल रहे। धर्म संसद में उत्तर प्रदेश सरकार के व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल ने भी प्रतिभाग किया। आयोजकों ने उनका स्वागत एवं अभिनंदन किया।

मंत्री कपिल देव ने कहा कि यह आयोजन सनातन संस्कृति और राष्ट्रधर्म को नई दिशा देने वाला सिद्ध हुआ है। उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रांतों से आए साधु-संतों ने अपने उद्बोधनों में राष्ट्रप्रेम, सामाजिक चेतना और आध्यात्मिक नचसपजिउमदज का संदेश दिया। मंत्री ने कहा कि यह धर्म संसद सनातन संस्कृति, सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता का सशक्त मंच बनकर उभरी है। संतों के प्रेरक विचारों ने जनमानस को नई ऊर्जा प्रदान की है। धर्म संसद में साधु-संतों ने सनातन धर्म की महान परंपराओं, भारतीय आध्यात्मिक विरासत, सामाजिक समरसता, राष्ट्र की अखंडता और धर्म-रक्षा के संकल्प को मजबूती से दोहराया। युवा पीढ़ी को राष्ट्रहित और संस्कृति संरक्षण के लिए जागरूक एवं सक्रिय रहने का संदेश देते हुए संतों ने कहा कि सनातन धर्म की शक्ति ही देश की पहचान और ऊर्जा का मूल है। मंच से उठी हर वाणी में राष्ट्रभक्ति, आध्यात्मिक चेतना और सामाजिक नचसपजिउमदज का स्वर स्पष्ट सुनाई दिया।

पूरे आयोजन के दौरान “हर-हर महादेव” और “जय श्रीराम” के उद्घोष से वातावरण गुंजायमान रहा। शुकतीर्थ की पावन भूमि आध्यात्मिक ऊर्जा और सांस्कृतिक भावनाओं से सराबोर हो गई। श्रद्धालुओं ने इसे केवल एक सभा नहीं, बल्कि सनातन चेतना के नवजागरण का सशक्त अभियान बताया। धर्म संसद में प्रमुख रूप से महामंडलेश्वर प्रबोधानंद गिरी, महामंडलेश्वर अनंतानंद सरस्वती महाराज, स्वामी विज्ञानंद सरस्वती, स्वामी विष्णु आचार्य, संयोजक नरेंद्र पावर साधु गुर्जर, देशराज चौहान, कुंवर देव राज पवार, सुभाष चौहान, ललित मोहन शर्मा, सत्यप्रकाश रेशु, मनोज पाटिल, राजेंद्र तायल, गिरजेश कुमार, सोनू, शिवकुमार, पूनम चौधरी, मधु तायल, अमरीश गोयल, भुवन शर्मा, अरुण प्रताप आदि उपस्थित रहे। यह भव्य आयोजन श्रद्धालुओं और संत समाज के लिए प्रेरणादायक एवं आध्यात्मिक रूप से समृद्ध करने वाला साबित हुआ। उपस्थित लोगों ने इसे अविस्मरणीय अनुभव बताते हुए कहा कि यह धर्म संसद आने वाली पीढ़ियों के लिए संस्कार, संस्कृति और राष्ट्रधर्म का प्रेरक मार्ग प्रशस्त करेगी।






