मंदिरों के पुजारियों ने कहा कि सभी को मत, सत्य और धर्म सम्मत मार्ग बताने का कार्य हमारा है। उसका पालन करना और कराना धर्माचार्यों का कार्य है।
मुजफ्फरनगर। अर्चक पुरोहित संघ की एक बैठक शिवा शिव मन्दिर केशवपुरी में हुई जिसमें अब की बार श्रद्धालुओं की असमजंस को दिवाली कब करना धर्मानुकूल है, पर विचार किया गया नगर के निर्णायक मण्डल त्योहार को लेकर स्पष्ट किया कि अमावस्या 20.10.2025 में 15रू45 पर आयेगी और 21.10.2025 को 17रू55 तक रहेगी सूर्याअस्त 21.10.2025 में 17रू55 पर होगा। अतः दिपावली 21.10.2025 को मनाना श्रेयकर है और स्थानीय कारणः पित्र पूजा पहले कर के फिर लक्ष्मी पूजन करते है। वो भी इस में प्राप्त होगा जब कि 20.10.2025 में चतुर्दशी में पित्र पूजन नही कर पायेंगे। सभी विद्वानों के लिए घोषणा की है। जो कि पंचागो के द्वारा भी पूर्व घोषित है।
मंदिरों के पुजारियों ने कहा कि सभी को मत, सत्य और धर्म सम्मत मार्ग बताने का कार्य हमारा है। उसका पालन करना और कराना धर्माचार्यों का कार्य है। इसलिए धनतेरस-19.10.2025, चतुर्दशी – 20.10.2025, बडी दिवाली-21.10.2025, अन्नकूट-22.10.2025 और भैयया दूज 23.10.2025 को मानना ही उचित है। उन्होंने बताया कि इस निर्णय का आधार कई कारण बने हैं, इनमें मुख्य रूप से कारण -1- अमावस्या अगर प्रदोष काल तक आ जाये तो उस दिन दिवाली होनी चाहिए। कारण-2- अगर प्रदोषकाल या 3 पहर आमवस्या के आ गये है। रात्री प्रतिप्रदा सुक्त्त ही तो दिपावली मनाना श्रेयकर है। कारण-3- शतक पंचाग मे भी 21.10.2025 का लक्ष्मी पूजन है। कारण-3- निर्णय सिन्धु और धर्म सिंन्धु 21.10.2025 को पुष्टि कर रहे है।
पत्रकार वार्ता में पंडित बृज बिहारी अत्री, पं. कर्माशंकर शुक्ला, पं. राधेजैमिनी, पं. सुधाकर भरद्वाज, पं. दिनेश वशिष्ठ, पं. अरविन्द पाण्डेय, पं. अचिंत पाराशर, पं. आनन्द, पं. मोहन अत्री, पं. कमल नारायण, पं. संगीता भारद्वाज, पं. शरणनन्द गिरी, पं. कृष्णजीवन, पं. विनोद पाराशर, पं. प्रहलाद कौशिक, पं. प्रभात कौशिक, पं. सुभाष चन्द्र शास्त्री, पं. केशवा नंद, पं. धर्मेन्द्र, पं. ध्यानचन्द्र आदि मौजूद रहे।






