हर्ष राठी लीवर की गंभीर बीमारी से पीड़ित हो गये थे। उनका लंबा उपचार चला और उनका लीवर प्रत्यारोपण का ऑपरेशन किया गया।
मुजफ्फरनगर। राजनीति के उज्ज्वल भविष्य की उम्मीद माने जाने वाले युवा रालोद नेता हर्ष राठी के असमय निधन की खबर ने पूरे जिले को स्तब्ध कर दिया। कम उम्र में जीवन की डोर टूटने से न केवल परिवार बल्कि समर्थकों और राजनीतिक जगत में गहरा शोक व्याप्त हो गया। रालोद के पूर्व जिलाध्यक्ष रहे पिता के राजनीतिक संस्कारों से सधे हर्ष ने छात्र नेता के रूप में बड़ा नाम कमाया था। छात्र राजनीति से शुरू हुई उनकी संघर्षपूर्ण यात्रा ने उन्हें युवाओं की मजबूत आवाज बनाया था, मगर नियति के इस क्रूर मोड़ ने यह कारवां रोक दिया। उनके अचानक निधन की खबर ने परिवार, समर्थकों और राजनीतिक हलके को स्तब्ध कर दिया, जबकि हर्ष के यूं अचानक चले जाने से उनके दो नन्हें बेटों के सिर से पिता का साया उठ गया।

राष्ट्रीय लोकदल में युवा विंग के जिलाध्यक्ष और सहारनपुर मंडल में युवा विंग के अध्यक्ष रह चुके छात्र नेता हर्ष राठी पुत्र स्व. बाबूराम राठी निवासी लालबाग गांधी कालोनी का बुधवार देर रात आवास पर ही आकस्मिक निधन हो गया। वो लंबे समय से बीमारी से ग्रसित थे। हर्ष राठी को राजनीति विरासत में मिली। मूल रूप से भोपा क्षेत्र के गंाव बेहड़ा थू्र निवासी उनके पिता स्व. बाबूराम ने चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व में राजनीति शुरू की और चौधरी अजित सिंह के साथ मिलकर संघर्ष किया। वो रालोद में जिलाध्यक्ष रहे और जिला सहकारी बैंक के सभापति भी चुने गये।
बाबूराम राठी की राजनीतिक विरासत को उनके छोटे पुत्र हर्ष राठी ने संभाला। वो जनता इंटर कॉलेज भोपा के छात्र रहे और फिर एसडी मैनेजमेंट कॉलेज से प्रबंधन कौशली की डिग्री हासिल करने के साथ ही डीएवी डिग्री कॉलेज से वकालत भी की। छात्र जीवन से ही हर्ष राठी ने अपने पिता के नेतृत्व की छांव में एक छात्र नेता के रूप में अच्छी पहचान बनाई और रालोद में ही उनको युवा विंग का जिलाध्यक्ष बनने का अवसर चौधरी अजित सिंह ने दिया।
सूत्रों के अनुसार करीब दो साल से हर्ष राठी लीवर की गंभीर बीमारी से पीड़ित हो गये थे। उनका लंबा उपचार चला और आखिरकार मेदांता में दिसंबर 2024 को उनका लीवर प्रत्यारोपण का ऑपरेशन किया गया। इसके बाद से भी उनकी सेहत में कोई खास सुधार नहीं आया और बुधवार को आवास पर ही उनका निधन हो गया। हर्ष राठी मात्र 37 साल की अल्पायु में यह संसार छोड़ गये। वो अपने पीछे पत्नी और दो बेटों के साथ बड़े भाई सि(ार्थ और अन्य परिजनों को रोता बिखलता छोड़ गये। गुरूवार को सवेरे नई मंडी स्थित श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान पूर्व मंत्री योगराज सिंह, रालोद जिलाध्यक्ष संदीप मलिक, मंडल अध्यक्ष प्रभात तोमर, सुधीर भारतीय, अभिषेक गुर्जर, रामनिवास पाल सहित सैंकड़ों लोगों ने उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होकर शोक संवेदना व्यक्त की।