देहरादून- ग्लेशियरों के टूटने से निचले क्षेत्रों में बाढ़ का अधिक खतरा है। जलाशयों की क्षमता कम होने से विद्युत उत्पादन में कमी आएगी। प्रदेश की नदियों का बढ़ता जलस्तर चिंता का विषय हैए जिसका एक मुख्य कारण ग्लेशियरों का बड़ी मात्रा में टूटना है। भारी बारिश और ग्लेशियरों के पिघलने से नदियों में पानी की मात्रा बढ़ रही है जिससे निचले इलाकों में गाद ;सिल्टद्ध और बाढ़ का खतरा बढ़ गया है, भू.वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यदि ग्लेशियरों की स्थिति में सुधार नहीं होता है तो भविष्य में नदी किनारे बसे निचले क्षेत्रों में बाढ़ का जोखिम और भी बढ़ जाएगा। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के भू.विज्ञान विभाग के प्रोफेसर एचसी नैनवाल के अनुसार उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के ग्लेशियर हर साल 5 से 20 मीटर तक पीछे खिसक रहे हैं। इससे भी ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि उनकी मोटाई लगातार कम हो रही है। उन्होंने बताया कि हैंगिंग ग्लेशियर ;लटकते हुए ग्लेशियरद्ध ज्यादा टूटते हैं जिससे हिमस्खलन की घटनाएं बढ़ती हैं। प्रोफेसर नैनवाल ने ग्लेशियरों के तेजी से टूटने के पीछे पृथ्वी के तापमान में बदलाव और गैसों के उत्सर्जन को मुख्य कारण बताया है। जंगलों में लगने वाली आग से निकलने वाली गैसों का भी इन पर बुरा असर पड़ रहा है।

रामलीला-बालि का हुआ वध, हनुमान जी ने की लंका दहन
श्री आदर्श रामलीला कमेटी पटेलनगर में वायुमार्ग से उड़े बजरंग बली तो श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा आसमां मुजफ्फरनगर। श्री आदर्श रामलीला भवन सेवा समिति पटेलनगर द्वारा इस साल मनाये जा रहे स्वर्ण जयंती रामलीला मंचन महोत्सव में सोमवार की रात्रि में कलाकारों द्वारा बालि वध के बाद लंका दहन लीला का रोमांचकारी मंचन किया गया। मां सीता की खोज में सौ योजन समुद्र पार कर लंका पहुंचे हुनमान जी ने वायुमार्ग से उड़कर लंका में आग लगाई, दर्शकों ने जय बजरंगबली और जय श्रीराम के नारों से पूरा माहौल भक्तिमय बना दिया। लंका दहन के साथ भव्य आतिशबाजी ने सभी को रोमांचित किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या