महिला सभासद ने शिकायत कर ईओ से की जांच की मांग, निर्माण विभाग में चल रही थी वर्क ऑर्डर जारी करने की तैयारी
मुजफ्फरनगर। शहर के विकास कार्यों को पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा के आधार पर संचालित करने के दावों के बीच नगर पालिका परिषद् में गंभीर वित्तीय अनियमितताओं की आशंका ने तूल पकड़ लिया है। 15वें वित्त आयोग से प्राप्त अनुदान के तहत स्वीकृत निर्माण कार्यों में कथित रूप से ठेकेदारों द्वारा पूल किए जाने का मामला सामने आया है। नगर पालिका की की महिला सभासद ने अधिशासी अधिकारी को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई और दो ठेकेदारों के बीच आपसी समझौते के तहत कार्यों का बंटवारा किया गया है। सभासद ने ठेकेदारों को वर्क ऑर्डर नहीं देने और जांच कराने की मांग की है।
नगरपालिका के वार्ड संख्या 33 की सभासद सीमा जैन ने अधिशासी अधिकारी डॉ. प्रज्ञा सिंह को पत्र लिखकर 15वें वित्त आयोग की धनराशि से स्वीकृति कार्यों के टैंडर में पूल होने के आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है। सभासद सीमा जैन ने अपनी शिकायत में कहा है कि निर्माण विभाग से 15वां वित्त के अन्तर्गत प्रस्तावित कार्यों में 16 कार्यों के टैण्डर की हाल ही में स्वीकृति दी गई है। इन कार्यों के लिए जो सूची जारी की गई है, उसके क्रमांक 3 पर रेलवे रोड स्थित स्टेशन गेट के सामने सतीश वैष्णो होटल से होटल शैरेटन तक डेन्स द्वारा सडक निर्माण कार्य और क्रमांक 4 पर सरकुलर रोड स्थित दीप्ति नर्सिंग होम से सुजडू चुंगी तक डी0बी0एम0 बी0सी0 सड़क निर्माण कार्य में पूल किया गया है। इनमें कार्य नम्बर 3 ठेकेदार सुक्रमपाल तोमर और कार्य नम्बर 4 ठेकेदार फर्म ओम शिव कंस्ट्रक्शन को स्वीकृत किया गया है। सभासद ने कहा कि इस सूची में जिन 16 निर्माण कार्यों को स्वीकृति दी गई है, उनमें निर्माण विभाग के व्ययानुमान पर कम से कम लगभग 23 और अधिकतम 41 प्रतिशत बिलो रेट पर टैण्डर आये हैं, लेकिन क्रमांक 3 का कार्य 5.55 प्रतिशत और क्रमांक 4 का कार्य 0.92 प्रतिशत बिलो रेट पर स्वीकृत किया गया है, जो इन दोनों कार्यों में ठेकेदारों/ठेकेदार फर्म के बीच पूल होने का प्रत्यक्ष प्रमाण है और ठेकेदारों के बीच सांठगांठ को साबित करता है।
सभासद सीमा जैन ने निर्माण कार्यों में सरकार और जनता का धन खर्च किया जाता है, ऐसे में पूल होने से इस धन का दुरुपयोग होगा। यह स्थिति नगर पालिका परिषद् की छवि को नुकसान पहुंचा सकती है और इस प्रकार की गड़बड़ियों से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। सभासद ने ईओ से मांग की है कि इस मामले की गम्भीरता से जांच करवाई जाए और यदि जांचोपरांत पूल साबित होता है तो दोषी ठेकेदारों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए। वहीं पालिका सूत्रों ने बताया कि जून माह में 15वें वित्त आयोग से उक्त कार्यों को जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति से स्वीकृति मिली थी, इसके बाद टैण्डर आमंत्रित किये गये थे। 28 अगस्त को एई निर्माण द्वारा 15वें वित्त के 16 कार्यों के टैण्डर खोले गये थे। इनकी स्वीकृति के बाद निर्माण विभाग से ठेकेदारों और ठेकेदार फर्मों को वर्क ऑर्डर जारी करने की तैयारी चल रही थी। इसमें अब शिकायत के बाद विवाद की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है।
ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह ने बताया कि टैण्डर खुलने के बाद उनके सामने स्वीकृति के लिए पत्रावली लाई गई थी। 16 कार्यों में 41 प्रतिशत से बिलो रेट पर टैण्डर स्वीकृत हुए हैं, ऐसे में दो कार्यों में कम बिलो रेट पर स्वीकृति संदिग्ध होने पर उन्होंने पहले ही लेखाकार को पत्र लिखकर आख्या तलब की थी, उनके द्वारा बताया गया है कि एई निर्माण से विस्तृत विवरण मांगा गया है, जो अभी नहीं मिला है। ईओ का कहना है कि इसके बाद सभासद ममता बालियान ने भी शिकायत दी, उस समय हड़ताल चल रही थी। अब व्हाटसएप पर सभासद सीमा जैन की ओर से भी शिकायत मिली है। मामला गंभीर और वित्तीय अनियमितता से जुड़ा होने के कारण तत्काल प्रभाव से दो कार्यों के वर्क ऑर्डर अभी जारी नहीं करने के लिए कहा गया है। लेखाकार और एई निर्माण से जांच आने के बाद ही आगामी निर्णय लिया जायेगा।