नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना (IAF) का इतिहास कई अहम लड़ाकू विमानों से जुड़ा है। आज़ादी से पहले 1932 में ब्रिटिश हुकूमत के दौरान रॉयल इंडियन एयर फोर्स अस्तित्व में आई और इसके विमानों ने द्वितीय विश्व युद्ध से लेकर 1947-48 के भारत-पाक युद्ध तक अपनी ताकत का प्रदर्शन किया।
शुरुआती दौर के विमान
सुपरमैरीन स्पिटफायर (1947–1950):
ब्रिटिश निर्मित यह विमान द्वितीय विश्व युद्ध में बैटल ऑफ ब्रिटेन का हीरो रहा। भारत में इसने 1950 तक सेवा दी। करीब 20,000 से अधिक विमान बनाए गए थे।हॉकर टेंपेस्ट (1947–1953):
पाकिस्तान से 1947-48 की जंग के दौरान इसने अहम भूमिका निभाई और 1953 तक वायुसेना में सक्रिय रहा।वैंपायर (1948–1965):
स्वतंत्र भारत का पहला फाइटर जेट। इसने सेकेंड वर्ल्ड वॉर में जर्मनी के खिलाफ बड़ी जीत दिलाई थी और भारत में 17 साल तक सेवा दी।
भारत-पाक युद्धों के नायक
फॉलैंड नैट (1958–1978):
‘सबरे स्लेयर’ नाम से मशहूर नैट 1965 की जंग में पाकिस्तान के सबरे जेट्स पर भारी पड़ा।हॉकर हंटर (1957–1980):
1965 और 1971 की लड़ाई में इसने मोर्चा संभाला और लंबे समय तक वायुसेना का हिस्सा रहा।
मिग-21 का युग
सोवियत संघ से आए मिग-21 को 1963 में शामिल किया गया।
यह IAF का सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाला जेट बना और 26 सितंबर 2025 को 62 साल बाद रिटायर हो गया।
1971 की जंग में इसने ढाका के गवर्नर हाउस पर बमबारी की, जिससे पाकिस्तान का मनोबल टूट गया और आत्मसमर्पण करना पड़ा।
बालाकोट एयरस्ट्राइक में विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने मिग-21 उड़ाकर पाकिस्तान के F-16 को गिराया था।
आधुनिक दौर की ताकत
जगुआर (1979): ब्रिटिश डिज़ाइन का यह विमान ग्राउंड अटैक मिशनों में आज भी कारगर है।
मिराज-2000 (1985): कारगिल युद्ध के दौरान ऊंचे पहाड़ी मोर्चों पर पाकिस्तानी ठिकानों को तबाह किया।
सुखोई-30MKI (2002): भारतीय वायुसेना का रीढ़ कहा जाने वाला मल्टीरोल जेट।
राफेल (2020): फ्रांसीसी तकनीक से लैस यह जेट परमाणु हथियार ले जाने, समुद्री निगरानी और लंबी दूरी से दुश्मन को सटीक निशाना बनाने में माहिर है।
तेजस (स्वदेशी): देश की अपनी टेक्नोलॉजी पर आधारित हल्का लड़ाकू विमान, जिसे तेजी से वायुसेना में शामिल किया जा रहा है।