सहारनपुर: उत्तर प्रदेश की कैराना सीट से समाजवादी पार्टी सांसद इकरा हसन बुधवार को सहारनपुर पहुंचीं। उन्होंने छापुर गांव में शिव मंदिर टूटने की घटना पर गहरा दुख जताते हुए कहा कि किसी भी आस्था स्थल को नुकसान पहुंचाना अस्वीकार्य है।
इकरा हसन ने कहा — “ऐसे कृत्य समाज में दरार पैदा करते हैं। हमें जोड़ने की राजनीति करनी चाहिए, तोड़ने की नहीं।”
नफरत फैलाने की राजनीति पर निशाना
बिना नाम लिए उन्होंने कहा कि आज के दौर में नफरत की राजनीति बढ़ रही है, जिससे समाज बंट रहा है। उन्होंने खुलासा किया कि एक प्रभावशाली व्यक्ति के समर्थक ने उन्हें आतंकवादी और ‘मुल्ली’ जैसे अपमानजनक शब्दों से संबोधित किया, जो केवल उनका नहीं, बल्कि हर महिला का अपमान है।
उन्होंने सवाल उठाया कि जब सरकार बहनों-बेटियों के सम्मान की बात करती है, तो फिर महिलाओं को गालियाँ देना किस संस्कृति का हिस्सा है? “यह दोहरा चरित्र अब स्वीकार नहीं किया जाएगा,” इकरा ने कहा।
दबकर राजनीति नहीं करूंगी
सांसद ने साफ कहा कि वे दबकर राजनीति नहीं करेंगी और जो लोग समाज को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, उनके खिलाफ कानूनी और लोकतांत्रिक लड़ाई जारी रखेंगी।
इकरा ने यह भी स्पष्ट किया कि मंदिर तोड़ने के आरोपियों के समर्थन में उन्होंने कभी कोई कॉल या सिफारिश नहीं की। उन्होंने कहा — “महापुरुषों का काम समाज को जोड़ना होता है, कुछ लोग उसी विरासत को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं।”
महिलाओं के अपमान पर कड़ा रुख
इकरा हसन ने कहा कि जब उन्होंने चुनाव जीता था, तब हर धर्म-समुदाय के लोगों ने उन्हें बेटी-बहन मानकर वोट दिया था।
“आज जो लोग अपशब्द बोल रहे हैं, वे केवल मुझे नहीं बल्कि इस क्षेत्र की हर महिला का अपमान कर रहे हैं,” उन्होंने कहा।
भाजपा नेता पर सवाल
इकरा हसन ने भाजपा के पूर्व सांसद प्रदीप कुमार पर सवाल उठाते हुए कहा — “क्या उनके घर में बहन-बेटियाँ नहीं हैं? एक महिला के प्रति ऐसी सोच कहाँ से आती है?”
उन्होंने बताया कि पुलिस कप्तान ने खुद फोन कर उन्हें भरोसा दिलाया है कि दोषियों पर कार्रवाई होगी।
कैराना में नफरत की सियासत नहीं चलने दूंगी
इकरा ने कहा कि वे डरने वाली नहीं हैं और जो लोग कैराना में धर्म के नाम पर नफरत फैलाना चाहते हैं, उनके मंसूबे कभी पूरे नहीं होंगे। उन्होंने बताया कि उनका परिवार हमेशा से लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करता आया है।
प्रशासन को दी चुनौती
इकरा ने अंत में बताया कि प्रशासन ने उन्हें छापुर न जाने की सलाह दी थी, लेकिन उन्होंने कहा — “यह मेरा इलाका है, मैं अपने लोगों से मिलने आई हूँ। मेरा धर्म, समाज और जिम्मेदारी मुझे सबको साथ लेकर चलना सिखाते हैं।”






