दिल्ली के अशोक विहार इलाके में दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा पर कथित एसिड अटैक का मामला पूरी तरह झूठा निकला है। पुलिस जांच में पता चला कि यह पूरी घटना छात्रा और उसके पिता अकील खान की साजिश थी, ताकि तीन युवकों जितेंद्र, ईशान और अरमान को झूठे केस में फंसाया जा सके। पुलिस ने अकील खान को हिरासत में लेकर पूछताछ की, तो उसने कबूल किया कि उसने खुद अपनी बेटी के साथ टॉयलेट क्लीनर फेंका था, जिसे एसिड अटैक का रूप देने की कोशिश की गई। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया कि इस्तेमाल किया गया पदार्थ ज्वलनशील जरूर था, लेकिन एसिड नहीं था।
छात्रा ने पहले दावा किया था कि 26 अक्टूबर की सुबह जब वह कॉलेज जा रही थी, तभी बाइक सवार तीन युवकों ने उस पर तेजाब फेंका और फरार हो गए। उसने कहा था कि जितेंद्र नाम का युवक काफी समय से उसका पीछा कर रहा था। मामले की गंभीरता देखते हुए पुलिस ने तुरंत जांच शुरू की और आसपास के CCTV फुटेज खंगाले, लेकिन किसी भी बाइक सवार के सबूत नहीं मिले। पुलिस जांच में सामने आया कि कथित हमले के वक्त जितेंद्र करोलबाग में अपनी पत्नी के साथ था। उसकी लोकेशन, कॉल रिकॉर्ड और CCTV फुटेज ने यह साबित कर दिया कि वह घटना स्थल पर मौजूद ही नहीं था। वहीं, घटनास्थल से कोई एसिड की बोतल या निशान भी नहीं मिला। लड़की का बैग और कपड़े जब्त किए गए, जिन पर भी कोई एसिड के चिन्ह नहीं पाए गए।
मामले की गहराई से पड़ताल में सामने आया कि छात्रा के पिता अकील खान पर पहले से ही जितेंद्र की पत्नी ने रेप का केस दर्ज कराया था। उसने आरोप लगाया था कि अकील की फैक्ट्री में काम करने के दौरान उसका यौन शोषण हुआ था और उसके निजी फोटो खींचे गए थे।
इसके अलावा, आरोपी युवकों की लोकेशन आगरा में मिली थी, जिसकी पुष्टि उनकी मां ने भी की। तीनों परिवारों के बीच पहले से मंगोलपुरी की एक प्रॉपर्टी को लेकर विवाद चल रहा था। युवकों की मां शबनम ने पुलिस को बताया कि 2018 में भी अकील खान ने उन पर एसिड फेंकने का प्रयास किया था। पुलिस अब इस पूरे फर्जी केस में अकील खान के खिलाफ फ्रॉड, झूठी शिकायत और साजिश रचने की धाराओं में कार्रवाई की तैयारी कर रही है।






