नई दिल्ली. किसान संगठनों की मांग संसद में आवाज उठाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा 17 जुलाई तक विपक्षी दलों को चेतावनी पत्र भेजेगा. 22 जुलाई से लेकर मॉनसून सत्र के अंत तक हर किसान संगठन के 5 सदस्य, कुल मिलाकर कम से कम 200 किसान, संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे.
भाजपा नेताओं के खिलाफ पूरे पंजाब में विरोध प्रदर्शन जारी है. बरनाला जिले के धनोला में आज सोमवार को भाजपा नेता हरजीत ग्रेवाल के खिलाफ रैली का आयोजन किया गया. धनोला की दाना मंडी में इकट्ठा होने के बाद प्रदर्शनकारी किसान काले कृषि कानूनों को निरस्त करने और एमएसपी की गारंटी के कानून को लागू करने के नारे लगाते हुए धनोला बाजार पहुंचे. हजारों प्रदर्शनकारियों ने शहर भर में विरोध मार्च निकाला. किसानों को गुंडा कहने और उनके लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करने के खिलाफ किसान नेताओं ने भाजपा के हरजीत ग्रेवाल की कड़ी आलोचना की और कहा कि जनता के गुस्से में कट्टरपंथियों के अहंकार को तोड़ने की ताकत है.
किसान नेताओं ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा किसानों के खिलाफ मोदी सरकार की हर साजिश का करारा जवाब देगा. तीनों किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करने और एमएसपी की गारंटी के कानून लागू कराने के बाद ही किसानों का विरोध खत्म होगा. किसान नेताओं ने कहा कि कांके कलां गांव के 45 वर्षीय सोहन सिंह, जो सिंघु बॉर्डर पर शहीद हो गए थे और जिनके परिवार को औपचारिकताएं पूरी होने के बावजूद सरकारी मुआवजे का चेक नहीं मिला है, के लिए कल जीटी रोड जाम कर दिया जाएगा.
पंजाब के किसान संगठनों ने टोल प्लाजा, रिलायंस पंप, कॉरपोरेट मॉल, रेलवे पार्क, अदानी के ड्राई पोर्ट और भाजपा नेताओं के घरों सहित 108 स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि दिल्ली सीमा पर शहीद हुए किसानों और मजदूरों के लिए मोदी सरकार के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाए. वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि व्यापारियों के स्टॉक को सीमित करने की मोदी सरकार की घोषणा किसानों के संघर्ष की जीत है. क्योंकि एक प्रभावी आवश्यक वस्तु अधिनियम की आवश्यकता को स्वीकार किया गया है और मोदी शासन द्वारा इसे कमजोर करने के प्रयास गलत और लोक-विरोधी साबित हुए हैं.
पंजाब के किसान संगठनों ने बताया कि किसानों का काफिला, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हैं, पंजाब से दिल्ली के लिए रवाना हो रहा है. लुधियाना, संगरूर, मानसा, बठिंडा, बरनाला, रोपड़, फाजिल्का और फरीदकोट सहित विभिन्न जिलों से दर्जनों किसानों का काफिला सिंघु और टिकरी बॉर्डर के लिए रवाना हो चुका है.