परमधाम क्रांति स्थल पर धूमधाम से मनी गुरु पूर्णिमा

Update: 2022-07-13 13:01 GMT

मुजफ्फरनगर। बुधवार को श्री परमधाम क्रांति स्थल दौराला मेरठ में हिन्द मजदूर किसान समिति राष्ट्रीय अध्यक्ष और श्री परमधाम के संस्थापक श्री चंद्रमोहन जी के नेतृत्व में श्री गुरु पूर्णिमा महोत्सव को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया। सर्वप्रथम श्री चंद्रमोहन जी का खतौली बाईपास पर खाप चौधरी वीरेंद्र लाठियान व हिन्द मजदूर किसान समिति राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री राजपाल जी ने सैकड़ों ग्रामीणों के साथ स्वागत किया। श्री परमधाम पहुंचने पर स्वयं केंद्रीय मंत्री श्री संजीव बालियान जी ने समिति हजारों पदाधिकारियों के साथ श्री चंद्रमोहन जी का मुख्य द्वार पर स्वागत किया।



इस अवसर पर हिंद मजदूर किसान समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री चंद्रमोहन जी ने अपने संबोधन में कहा कि गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है व्यास का अर्थ होता है अंदर की माप, पूरा गुरु ही हमें अंदर की यात्रा कराता है। साल के 365 दिनों में से 364 दिन केवल परमात्मा की पूजा होती है गुरु की नहीं, लेकिन श्री गुरु पूर्णिमा का दिन उस व्यक्ति पर समर्पित होता है जो हमें अंदर की गहराइयों का अनुभव कराता है और अंदर के लोक लोकांत्रो अंदर की धुनकारों का अनुभव कराता है। उस व्यक्ति को पूर्णगुरु कहते हैं। पूरे गुरू की पहचान है जो जोड़ता है जाति रहित एकजुटता से व परमात्मा से । जो जाति रहे एकजुटता से जुड़ गया उसकी पूजा सफल होती है । इसलिए पूजा पाठ से पहले जातिरहित एकजुटता महत्वपूर्ण है।

इस अवसर श्री चंद्रमोहन जी ने राम भक्त का महत्व बताते हुए कहा की जो राष्ट और मन को मजबूत करने का रास्ता वो हो सच्चा गुरु है और जो इस मार्ग में लगा है वो हो राम भक्त है।

जब तक जातियों में बंटे रहेंगे मुट्ठी भर रहेंगे और जब हम जातिरहित एकजुट हो जायेंगे संसार को मुट्ठी में रख सकते हैं।

उन्होंने चंद्रायण यज्ञ का महत्व बताते हुए कहा की ये एक सनातन कायाकल्प सिद्धांत था जो लुप्त हो गया था लेकिन अब पुनः इसे उजागर किया जा रहा है। इस चंद्रायण यज्ञ को करने से हम रोगों और कलेशों से मुक्त होते हैं। साल में 01 माह के चंद्रायण यज्ञ को करने से हम 11 माह तक रोगों और कलेशों से मुक्त रहते हैं। चंद्रायण यज्ञ श्री गुरु पूर्णिमा से प्रारभ होकर रक्षाबंधन की पूर्णिमा पर संपन्न होता है। अतः सभी को इस पुण्य यज्ञ को करना चाहिए।

इस अवसर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र, हरियाणा इत्यादि से हजारों सहयोगी एकत्र हुए।

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