गौशालाओं के लिए पैसा देने से प्रधानों ने किया इंकार!
मुजफ्फरनगर जनपद में अपनी विकास निधि बचाने को प्रधान एकजुट, गौशाला के नाम पर राज्य वित्त की धनराशि में से 4 प्रतिशत की कटौती पर जताई अखिल भारतीय ग्राम प्रधान संगठन ने नाराजगी। डीएम चंद्रभूषण सिंह से मिलकर पदाधिकारियों ने की कटौती रोकने की मांग। प्रधानों ने कहा-कटौती और मानदेय के कारण ग्राम पंचायतों में बिगड़ रहे आर्थिक हालात।
मुजफ्फरनगर। अपनी विकास निधि में हो रही कटौती और सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों के तहत बढ़ते जा रहे मानदेय के बोझ से परेशान ग्राम प्रधानों ने कटौती की इस परम्परा को रोकने के लिए अब आवाज उठाई है। ग्राम प्रधानों ने राज्य वित्त से प्राप्त हो रही धनराशि में गौशालाओं के रखरखाव के नाम पर की जा रही 4 प्रतिशत की कटौती को रोकने की व्यवस्था पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए आज जिलाधिकारी से मिलकर निधि का पैसा विकास कार्यों के लिए कटौती मुक्त कराने की मांग की और मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन भी सौंपा है। इसके साथ ही विभिन्न कार्यक्रमों के मानदेय का बोझ, प्राइमरी विद्यालयों के विद्युत बिलों के भुगतान का बोझ भी ग्राम पंचायतों से कम करते हुए शासन स्तर से व्यवस्था कराये जाने की मांग की है।
अखिल भारतीय प्रधान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सतेन्द कुमार बालियान के नेतृत्व में शुक्रवार को ग्राम प्रधानों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर डीएम चंद्रभूषण सिंह से मुलाकात की और अपना पक्ष रखा। प्रधान संगठन के मंडल अध्यक्ष ग्राम प्रधान अशोक राठी ने बताया कि राज्य वित्त और केन्द्रीय वित्त आयोग से ग्राम पंचायतों के विकास के लिए प्राप्त होने वाली निधि से लगातार कटौती की जा रही है। इससे ग्राम पंचायतों का विकास प्रभावित हो रहा है। पूरी निधि नहीं मिलने के कारण विकास कार्यों के प्रस्ताव नहीं हो पा रहे हैं। कटौती और मानदेय को बोझ ग्राम पंचायतों की निधियों पर बढ़ता ही जा रहा है। निधि कम हो रही है और विकास कार्यों की अपेक्षा ज्यादा होने के कारण ग्राम प्रधानों से ग्रामीण जनता की आशा भी बढ़ रही है, जबकि प्रधानों के समक्ष निधि में कटौती होने से बने आर्थिक हालातों के कारण विषम परिस्थित पैदा हो रही है। लोग प्रधानों पर निधि का पैसा हजम करने के आरोप तक लगा रहे हैं। जबकि पैसा प्रशासनिक स्तर पर ही सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों के लिए काटा जा रहा है। इससे पहले भी कई कार्यक्रमों के लिए कटौती हुई है। इसमें ग्राम पंचायतों का विकास कम निधि के कारण प्रभावित हो रहा है। उन्होंने बताया कि हाल ही में वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए ग्राम पंचायतों को राज्य वित्त के तहत प्राप्त हुई निधि में गौशालाओं के रखरखाव के लिए 4 प्रतिशत की धनराशि की कटौती ब्लॉक पर कराई जा रही है। इससे निधि में प्राप्त धन घट रहा है। उन्होंने बताया कि इसी को लेकर आज डीएम से मुलाकात कर ज्ञापन दिया गया है और मुख्यमंत्री से भी मांग की गयी है कि ग्राम पंचायतों को विकास निधि कटौती मुक्त प्रदान की जाये, ताकि ज्यादा से ज्यादा विकास कराया जा सके।
संगठन के प्रदेशाध्यक्ष सतेन्द्र बालियान ने कहा कि सामुदायिक शौचालयों के रखरखाव के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों को जिम्मेदारी दी गई। इनका रखरखाव तो समूह कर नहीं रहे, लेकिन इसके लिए प्रत्येक माह 9 हजार रुपये की कटौती निधि से मानदेय के रूप में की जा रही है। इसमें ग्राम प्रधान का मानदेय 5 हजार रुपये, पंचायत सहायक का मानदेय 6 हजार रुपये भी निधि से काटा जा रहा है। मानदेय कटने के साथ ही अन्य कार्यक्रमों के लिए भी कटौती की जा रही है। उन्होंने कहा कि निधि में से पहले ही जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायतों के सहयोग के लिए 30 प्रतिशत की धनराशि की कटौती की गयी है, और शेष धनराशि पंचायतों को मिली है। अब गौशाला के खर्च के नाम पर 4 प्रतिशत की कटौती अलग से की जा रही है, जो गलत है। इस निधि को कटौती मुक्त करने की मांग ही हमने की है। राज्य वित्त की धनराशि से कटौती नहीं होने दी जायेगी। हमने अपनी बात जिलाधिकारी के समक्ष रखी है, उन्होंने भी यह स्वीकार किया है कि ग्राम पंचायतों की निधि को कटौती मुक्त किया जाना चाहिए, उन्होंने इसके लिए आश्वासन दिया है। इस दौरान मुख्य रूप से प्रधान सतेन्द्र बालियान, कुलदीप चौधरी, अशोक राठी, ओमवीर सिंह ब्लॉक अध्यक्ष खतौली, अजय चौधरी ब्लॉक अध्यक्ष जानसठ, जगमोहन सिंह, मनीष प्रधान सिमरथी, राहुल देव प्रधान जन्धेडी, अनूप सिंह सिखेडा, राजीव धनगर खानूपुर, दीपक चौधरी ताजपुर, इसरार प्रधान टिटौडा सहित अन्य ग्राम प्रधान भी शामिल रहे।
कई ग्राम पंचायतों नाली बनवाने की हैसियत में भी नहीं प्रधान
प्रधान संगठन के पदाधिकारियों ने बातचीत मेें कहा कि जिले में कई छोटी ग्राम पंचायतों के प्रधानों के हालात तो ज्यादा खराब हैं। इन पंचायतों को निधि के रूप में 5 से 6 लाख रुपये ही प्राप्त हो रहे है, इनमें से 3 से 4 लाख रुपये मानदेय और कटौती में खत्म हो जाते हैं तो ऐसी पंचायतों के प्रधान गांव में एक नाली का निर्माण कराने की भी हैसियत में नहीं रह गये हैं। उनके समक्ष विकट संकट खड़ा हुआ है।
ब्लॉक में पंचायत निधि का 10-10 लाख इकट्ठा, खर्च नहीं
प्रधान संगठन के मण्डल अध्यक्ष अशोक राठी प्रधान दीदाहेडी का कहना है कि राज्य वित्त में कटौती के साथ ही केन्द्रीय वित्त कि किश्तों में भी कटौती की जाती है। उनका कहना है कि केन्द्रीय वित्त से एक प्रतिशत की कटौती हर बार की जाती है। इस कटौती के कारण प्रत्येक ब्लॉक में कम से कम 10-10 लाख रुपये एकत्र हो चुका है, उसको खर्च ही नहीं किया जा रहा है। यदि गौशाला के लिए पैसा देना भी है तो प्रशासन इस एकत्र पैसे को रिलीज कराये। राज्य वित्त की निधि से छेड़छाड़ न हो। उन्होंने बताया कि डीएम को दिये ज्ञापन में हमने यही मांग की है कि गौ आश्रय स्थलों पर गौभरण के लिए लिये जा रहे 4 प्रतिशत धन की कटौती राज्य वित्त की मौजूदा प्राप्त निधि से न की जाये। इसके लिए ब्लॉक पर जमा पूर्व धनराशि का उपयोग किया जा सकता है। इससे विकास भी प्रभावित नहीं होगा।
24 जनवरी को प्रांतीय सम्मेलन, जीआईसी में जुटेंगे यूपी के प्रधान
अखिल भारतीय ग्राम प्रधान संगठन के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष सतेन्द्र बालियान ने बताया कि 24 जनवरी को ग्राम प्रधानों की समस्याओं के समाधान के लिए संगठन का प्रांतीय सम्मेलन मुजफ्फरनगर जनपद में किया जा रहा है। इसमें प्रदेशभर की करीब 60 हजार ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधि प्रतिभाग करेगे। इसके लिए जीआईसी मैदान में सम्मेलन की तैयारी है। उन्होंने बताया कि मैदान पर आयोजन की अनुमति के लिए नगर मजिस्ट्रेट अनूप कुमार के यहां आवेदन किया गया था, लेकिन उनके द्वारा डीएम की रोक होने के जानकारी देते हुए आवेदन निरस्त कर दिया। आज डीएम चंद्रभूषण सिंह से मिलकर यह मामला भी उनके संज्ञान में रखते हुए जीआईसी मैदान पर प्रांतीय सम्मेलन की अनुमति मांगी गयी, जिसको उन्होंने सहर्ष स्वीकृत किया है। इसके लिए तैयारी भी जोर शोर से चल रही है।