फर्जी डिग्री वाले टीचरों को हाईकोर्ट से बड़ा झटका

Update: 2021-02-26 16:47 GMT

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा से बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त हजारों सहायक टीचरों को बर्खास्त करने के एकल पीठ के आदेश को सही माना है।

कोर्ट ने अंकपत्र में छेड़छाड़ के इन आरोपियों की जांच चार महीने में पूरी करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह जांच कुलपति की निगरानी में की जाए। कोर्ट ने विश्वविद्यालय को दिए गए जांच के एकल पीठ के आदेश को सही मानते हुए कहा कि जांच होने तक चार माह तक ऐसे अध्यापकों की बर्खास्तगी स्थगित रहेगी। वे वेतन सहित कार्य करते रहेंगे। इनकी बर्खास्तगी का आदेश जांच के परिणाम पर निर्भर करेगा।

कोर्ट ने जांच की निगरानी कुलपति को सौंपते हुए कहा है कि जांच में देरी हुई तो सम्बंधित अधिकारी को वेतन पाने का हक नहीं होगा। जांच की अवधि नहीं बढ़ेगी। कोर्ट ने यह भी कहा है कि जांच के बाद डिग्री सही होने पर बर्खास्तगी वापस ली जाए। कोर्ट ने दस्तावेज पेश करने वाले सात अभ्यर्थियों को एक माह में प्रवेश परीक्षा में बैठने का सत्यापन करने का भी निर्देश दिया है और कहा है कि यदि सही हो तो इनकी बर्खास्तगी रद्द की जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति एमएन भंडारी एवं न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ ने किरण लता सिंह सहित हजारों सहायक अध्यापकों की विशेष अपील को निस्तारित करते हुए दिया है। अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी, अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय, स्थायी अधिवक्ता राजीव सिंह ने प्रदेश सरकार की तरफ से अपील पर प्रतिवाद किया जबकि अशोक खरे, आरके ओझा व एचएन सिंह ने अपीलार्थियों का पक्ष रखा। विश्वविद्यालय की तरफ से अशोक मेहता व बोर्ड की तरफ से जेएन मौर्य ने बहस की।

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